Humsafar सोल्जर
( सीन सिटी सेंटर मॉल फर्स्ट फ्लोर)
लोग इधर से उधर आ जा रहे हैं। कुछ लोग शूज़ सेक्शन पर हैं तो कुछ क्लॉथ सेक्शन पर, एक औरत अपने पांच साला बेटे के साथ खड़ी उसको टेडी बेयर पसंद करा रही है वह कभी किसी टैडी बियर की तरफ़ तो तरफ कभी किसी टैडी बियर की तरफ इशारा कर रहा है।
मॉल के सब वर्कर्स एक जैसी ड्रेस में अपने काम को अंजाम देते हुए फिर रहे हैं उनमें से कुछ के कानों में ब्लूटूथ लगी हुई है। हालांकि यह बात काफी अजीब थी। क्योंकि ब्लूटूथ सबके पास नहीं थी सिर्फ़ कुछ एक के पास ही थी।
तभी ब्लूटूथ लगाए हुए ही एक बंदा जिसके हाथ में किसी सामान का कार्टन था उसने बाकी लोगों को कोई इशारा किया और खुद फर्स्ट फ्लोर पर बने स्टोर रूम की तरफ चला गया तो तीन लोग उस के पीछे स्टोर की तरफ़ हो लिए और एक दूसरा बंदा जिस के हाथ में भी कार्टन था वह लिफ्ट की तरफ़ चला गया।
उन में से ही 3 लड़के और एक लड़की सेकंड फ्लोर पर भी मौजूद थे। वह लड़का जो फर्स्ट फ्लोर से कार्टन लेकर लिफ्ट में बैठा था सेकंड फ्लोर पर लिफ्ट से बाहर आया और उन चारों को फायर एग्जिट की तरफ आने का इशारा किया क्योंकि उधर के एरिया में कोई ज़्यादा आता जाता नहीं था। वहां पहुंच कर उस ने चारों तरफ़ देखा आसपास कोई नही था उस ने हाथ में पकड़े कार्टन से गन निकाल कर उन चारों को थमाईं।
सेकंड फ्लोर पर ही एक तरफ मॉल के कुछ स्टाफ मेंबर्स बैठे इनॉग्रेशन की तैयारी में थे जो वहां के CM के हाथों होनी थी।
सब को गन देनें के बाद उस ने उन को गन हाईड करने का ईशारा किया और कार्टन को वहीं पर छोड़ कर लिफ्ट से टॉप फ्लोर पर पहुंच गया।
“ठांय” !!!!!!!
उधर ऐंट्री गेट पर एक जोरदार गन फायर की आवाज़ पर मॉल में मौजूद सब लोगों ने घबराकर दरवाजे की तरफ देखा जहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड जख्मी हो कर एक तरफ ढेर हो चुका था। जो लोग मॉल के बाहर अभी ऐंटर करने के इंतेज़ार में ही थे वह डर कर भाग खड़े हुए।
अभी सब पहले फायर के डर के घेरे से बाहर निकले नहीं थे कि दूसरे फायर की आवाज पर पूरे मॉल में भगदड़ मच गई। सब अपनी जान बचाने के लिए इधर से उधर भाग रहे थे। कुछ लिफ्ट की तरफ जा रहे थे तो कुछ एस्केलेटर की तरफ।
सबसे ज्यादा परेशान छोटे बच्चों की माएं थीं जो रोती रोती अपने साथ अपने बच्चों की भी जान बचाने की कोशिशें कर रही थी और तभी एक महिला जो अपने पांच साल के बेटे का हाथ पकड़ कर एस्केलेटर पर चढ़ने की कोशिश कर रही थी कि उस का पांव एस्केलेटर पर पड़ा एस्केलेटर के चलते ही झटका लगा और वह छोटा बच्चा उस महिला हाथ छूट कर गिर पड़ा। वह महिला बुरी तरह से चिल्लाती हुई वापस नीचे की तरफ़ भाग रही थी और एस्केलेटर ऊपर जा रहा था लेकिन किसी को किसी की परवाह नही थी सब अपनी अपनी जान बचाने में लगे हुए थे। कुछ लोग वहां बने पिलर के पीछे छुपने के लिए भागे तो कुछ लोग शु सेक्शन की तरफ और कुछ क्लॉथ सेक्शन की तरफ। शॉप कीपर्स को भी समझ नहीं आ रहा था कि यह अचानक हुआ क्या है???
“ कट दा पावर सप्लाई” !!!
टॉप फ्लोर पर पहुंच कर उस शख्स नें इस्टर्क्ट किया तो पावर सप्लाई कट कर दी गई जिस से CCTV Lift or accelator भी बंद हो गए।
गोली चलने से मची भाग दौड़ और हंगामें की वजह से कुछ ही देर पहले कांच के शीशों से सजा शानदार खड़ा मॉल पल भर में मौत का मैदान नजर आने लगा था।
“ सब लोग अपने दोनों हाथ अपने सरो पर रख कर ज़मीन पर लेट जाओ और किसी ने भी कोई होशियारी दिखाने की कोशिश की तो उसे वहीं ढेर कर देंगे” !!!
ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद ब्लूटूथ लगे हुए मॉल वर्कर्स की ड्रैस में मौजूद लोग जो यक़ीनन आतंकवादी ही थे उन्होंने अलग-अलग दिशाओं की तरफ रुख करके खड़े होते हुए वहां की औरतों बच्चों और बाकी जितने लोग पिलर के पीछे छुपे हुए थे सब को बाहर निकाल कर घेरे में लेते हुए धमकी दी तो सब जहां थे वहीं दोनों हाथ सर पर रख कर ज़मीन पर बैठ गए।
उन ही लोगो में से सेकंड फ्लोर पर जो लोग पहुंचे हुए थे उन्होनें पहले सबको हैंड्स अप करने की चेतावनी दी और फिर उन में से दो उस तरफ पहुंच गए जिधर इनॉग्रेशन की तैयारियां चल रही थीं और एक तरफ सी एम साहब बैठे हुए थे। एक ने पीछे वाले रास्ते से जा कर सफेद कपड़ों में बैठे सी एम के सर पर बंदूक रख ली। और सिक्योरिटी गार्ड और बाकी लोगों को पीछे हटने को कहा तो मजबूरन उन्हें पीछे हटना पड़ा उसके दूसरे साथी उन सब की निगरानी करते हुए गन उनकी साइड किए खड़े थे ताकि वह कोई हरकत ना कर सके। पहले वाले ने गन सी एम के सर पर किए किए ही उसे खड़े होने और बिना कोई हरकत किये उसके साथ चुपचाप चलने के लिए कहा तो मजबूरन उनको खड़े होना पड़ा। और बाक़ी लोग चारों दिशाओं में फैले उस फ्लोर पर मौजूद सब लोगों की निगरानी कर रहे थे।
“ हैलो पुलिस कंट्रोल रूम, मैं अमित बात कर रहा हूं सिटी सेंटर मॉल मे Terrorists नें अटैक कर दिया है और सब लोगो को बंदी बनाया हुआ है मैं अभी मॉल में ऐंटर नही हुआ था इसलिये भाग खड़ा हुआ, मेरी जान बच गई तौ मैं आपको इंफॉर्म कर पाया हूं “ !!!!
जब फोन पर फूली हुई सांस के साथ इंसपेक्टर ज़ाहिद को यह इंफॉर्मेशन मिली तो वह दंग रह गए।
धमाके की आवाज़ मॉल के बाहर खड़े पेट्रोलिंग ऑफिसर नें भी सुनी थी और फौरन ही मामले की तह तक पहुंच गये और उन्होंने भी फोन घुमा दिया।
“ हेलो कमांड सेंटर मैं पेट्रोलिंग कार 5657 से ऑफिसर धावड़े बात कर रहा हूं। सिटी सेंटर मॉल में टेररिस्ट ने अटैक कर दिया है वहां से फायरिंग की आवाज़ें आ रही है और वहां इनॉगरेशन का भी प्रोग्राम था जो चीफ मिनिस्टर के हाथों होना था तो सीएम साहब भी अंदर ही है बैकअप भेजो फास्ट” !!!!
“ ठीक है आप लोग वहां का कोई एक एरिया सिक्योर करें बैकअप आ रहा है” !!!
ऑफिसर यह बात सुनकर फॉरेन रिएक्शन में आ गए।
और कुछ ही देर में पुलिस टीम नें मॉल की घेराबंदी कर ली मीडिया तक भी यह बात पहुंच चुकी थी इसलिए मीडिया वाले भी इस खबर को कवर करने के लिए वहां मौजूद थे।
“ पुलिस ने तुम लोगों को चारों तरफ से घेर लिया है इसलिए बेहतराई इसी में है कि तुम लोग सरेंडर कर दो” !!!!
पुलिस ने लाउडस्पीकर का यूज़ करते हुए टेरेरिस्ट्स को चेतावनी दी तो वह भी हरकत में आ गए और फायरिंग शुरू कर दी जिसमें सीनियर ऑफिसर घायल भी हो गया।
“ यहां से हैवी फायरिंग हो रही है इसका मतलब है कि कोई छोटे-मोटे गुंडे नहीं है कोई बड़ा टेरेरिस्ट अटैक है इसलिए हमें डिफेंस सेक्रेट्री से अर्जेंट बेसिस पर कांटेक्ट करना होगा।
कमिशनर ने वायरलेस से अपने ऑफिसर्स को इत्तेला दी।
डिफेंस सेकेटरी, सीएम की पार्टी का अध्यक्ष और कमिशनर सब एक कमरे में जमा है डिफेंस मिनिस्टर के आने का वेट हो रहा है ताकि मीटिंग शुरू की जा सके।
“ हेलो सर गुड मॉर्निंग” !!!
डिफेंस मिनिस्टर के ऐंटर करते ही सब ने मॉर्निंग विश किया।
“ मॉर्निंग हमारी गुड कैसे हो सकती है। चीफ मिनिसटर साहब मुसीबत में है कोई एहसास है आप लोगों को” !!!!
डिफेंस मिनिस्टर ने एक गुस्से भरी नजर सब पर डालकर अपनी सीट का रुख किया।
“ सॉरी सर यह पता नहीं कैसे हो गया सीएम साहब की सिक्योरिटी तो बहुत सख्त थी। मेरा ख्याल है कि मॉल के कुछ वर्कर्स भी उन टेरेरिस्ट के साथ मिले हुए हैं तब ही इतनी टाइट सिक्योरिटी के बाद भी वे लोग कामयाब हो गए” !!!!
Deffence secetry मिनमिनाया।
“ सॉरी फॉर वॉट??? क्या करूं मैं आपके सॉरी का। और यह पता नहीं का क्या मतलब है और यह कैसी सिक्योरिटी है तुम्हारी जिसने सीएम को मुसीबत में डाल दिया। तुम लोगों जैसे लापरवाह ऑफिसर्स ही होते हैं जो देश के लिए खतरा साबित होते हैं” !!!
डिफेंस मिनिस्टर को बहुत ज्यादा गुस्सा आया हुआ था Deffence secetry ने खामोश होनें में ही बेहतरी जानी।
“आप बाहर जाइये मुझे शिंदे से अकेले में कुछ बात करनी है”!!!
डिफेंस मिनिस्टर ने सीएम की पार्टी के अध्यक्ष यादव को कहा तो वह वहां से जाने को कहने पर बड़बड़ाता हुआ उठ गया।
“ आप भी जाइये और जब तक अगला ऑर्डर नही आता आप मौक़े पर मोजूद रहेंगे” !!!
डिफेंस मिनिस्टर ने इस बार कमिशनर की तरफ़ रुख किया।
“यस सर”!!!
कमिशनर ने जवाब दिया और बाहर निकल गया।
“ शिंदे पहले मुझे यह बताओ कि हालात क्या है और तुमने डिफेंस के लिए क्या तैयारी की है” !!!
कमिशनर के जाने के बाद डिफेंस मिनिसटर ने अब डिफेंस सेकेटरी से पूछा।
“ सर स्पेशल टास्क फोर्स के मेजर आरव इस ऑपरेशन के लिए बिल्कुल सही रहेंगे। उन्होंने पहले भी इस तरह के खुफिया मिलिट्री ऑपरेशन बहुत पर्फेक्ट तरीके से किए हैं” !!!
“ ठीक है तुम Intelligence के commanding officer को कॉल लगाओ और मेरी बात कराओ और फोन स्पीकर पर डाल देना।“ !!!
“यस सर” !!!
शिंदे ने फौरन हुकम की तामील करते हुए Intelligence के commanding officer को कॉल लगाया और फोन स्पीकर पर डाल दिया।
कमांडिंग ऑफिसर को ब्रीफ देने के बाद डिफेंस सेक्रेट्री और डिफेंस मिनिस्टर ने मेजर आरव का नाम सजेस्ट किया।
“ ओके सर मैं अभी मेजर आरव को इन्फॉर्म कर देता हूं कि वह अपनी टीम के साथ लोकेशन पर पहुंचे” !!!
Intelligence के commanding officer प्रभाकर ने ब्रीफ सुन कर फौरन ही कहा।
“शिंदे यह ड्यूटी तुम्हारी है इस सिचुएशन को बेस्ट टीम हैंडल कराओ यह पूरा ऑपरेशन कवर्ड रख कर देश की इज्जत बचानी है तुम्हें” !!!
प्रभाकर का फोन कट करने के बाद डिफेंस मिनिस्टर ने डिफेंस सेकेटरी से कहा।
“यस सर”!!!
शिंदे ने खड़े होकर माथे तक हाथ ले जाते हुए Obedient तरीके से जवाब दिया।
“ यस सर गुड मॉर्निंग” !!!!
कर्नल प्रभाकर का फोन आते ही आरव ने मॉर्निंग विश किया।
“ मॉर्निंग मेजर आरव कम टू माइ ऑफिस फास्ट देयर इज़ वेरी इंपॉर्टेंट ऑपरेशन डेट ओनली यू कैन हैंडल “ !!!
प्रभाकर ने कहा।
“ ओके सर आई एम कमिंग आई एम जस्ट कमिंग” !!!
आरव सुनते ही खड़ा हो गया।
“ ओके मेजर आरव, एंड टेल योर टीम आल्सो टू रेडी फॉर दिस ऑपरेशन “ !!!
“ओके सर” !!!
कहते हुए आरव ने फोन रखा और बराबर पड़ी जैकेट और अपना फोन उठाते हुए बाहर निकल गया।
“ हेलो ऑफिसर सारा आप ऑफिसर सिंह विक्रम एंड जैकब को भी कांफ्रेंस पर लीजिए इट्स टू अर्जेंट” !!!
मेजर आरव नें अपनी टीम की नेविगेटर और सर्विलेंस एक्सपर्ट सारा खान को फोन मिलाते ही कहा।
“ ओके सर” !!!
सारा खान ने फौरन इन तीनों को कांफ्रेंस में ले लिया।
“यस सर”!!!
कुछ ही मिनट के बाद एक साथ सब ऑफिसर्स की आवाज फोन से उभरी
“ यस ऑफिसर्स लिसन टू मी केयरफुली ऑल ऑफ यू!! हमें फौरन ही एक प्राइवेट ऑपरेशन के लिए निकलना है सो बी रेडी फॉर दैट आई विल कॉल यू आफ्टर सम टाइम” !!!
इतना कह कर आरव ने फोन रख दिया।
मेजर आरव स्पेशल टास्क फोर्स का ऑफिसर और अपनी टीम का हेड था जिनकी टीम में ऑफिसर सारा खान हरभजन सिंह ऑफिसर विक्रम और ऑफिसर जैकब मौजूद थे।
सारा खान नेविगेशन और सर्विलेंस एक्सपर्ट थी जो सिचुएशन के हिसाब से और लोकेशन देखकर प्लान बनाने में उन लोगों की मदद किया करती थी। हरभजन सिंह जो एक सरदार था बड़े हथियार चलाने में और सामने से लड़ने में एक्सपर्ट था। ऑफिसर विक्रम एक्सक्लूसिव एक्सपर्ट था जो छोटे बड़े बम चलाता। जैकब फनी और घुलने मिलने वाली आदत का एक क्रिश्चियन ऑफिसर था जो जिसको छोटे हथियार चलाना बड़ा पसंद था खासतौर से चाकू वगैरह” !!
************
2
"Hlo sir May I come"???
आरव ने ऑफिस के बाहर ही खड़े हुए इजाजत ली।
" Yes Major Aarav surely u can" !!!
कर्नल प्रभाकर आरव के इंतजार में ही बैठे थे उस की आवाज़ पर हाथ में पकड़ा न्यूज़ पेपर एक तरफ रख कर उसकी तरफ देखते हुए अंदर आने की इजाज़त दी।
"Sit Here Major "
उन्होंने वहां रखी हुई चेयर की तरफ इशारा किया।
"Thankyou sir"!!!
आरव उनका शुक्रिया अदा करता हुआ बैठ गया।
" We Dont have much time so We should come to the point " !!!
कर्नल ने उस की तरफ देखते हुए कहा।
"Ya sure sir" !!!
आरव ने Obediently सर हिला कर जवाब दिया तो कर्नल प्रभाकर ने बात शुरू कर दी।
" हमारे शहर के सिटी सेंटर मॉल में कुछ टेरेरिस्ट्स ने अटैक कर दिया है अटैक का सही रीज़न अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है शायद उन का मक़सद सी एम साहब को नुक़सान पहुंचाना है तब ही उन लोगों ने आज के दिन यह अटैक प्लान किया है। अब आप मेजर आरव इस प्राइवेट ऑपरेशन को अपनी टीम के साथ हैण्डल करेंगे क्योंकि सी एम साहब की जान और देश की इज़्ज़त दोनों ही खतरे में हैं और इसीलिये हमें आप की हॉलिडेज़ में भी आप को ड्यूटी पर बुलाना पड़ा। और जिस भी तरह की हैल्प चाहिये हो अस्क फ्रीली वी विल श्योर ली हैल्प यू " !!!
कर्नल के ब्रीफ देने के बाद आरव के माइंड ने उसे सिग्नल देने स्टार्ट कर दिये थे कि उन लोगों को अब क्या करना है।
"Got it sir और यह मेरी खुशक़िसमती होगी कि मैं अपनी खुद की सिटी के काम आंऊं लेकिन सर इस के लिये हमें मॉल का मैप चाहिये होगा " !!!!
" ओके आप टीम को रेडी करें और वैन भी लोड कराऐं आधे घन्टे में मैप आप के फोन पर पहुंच जाएगा" !!!!
कर्नल ने किसी को फोन मिलाते हुए कहा।
" ओके सर मुझे इजाज़त दें " !!!
आरव उठ खड़ा हुआ।
"Ok Major Aarav Best of luck " !!!
कर्नल ने फोन कान से लगाते हुए मुस्कुरा कर उसे विश किया।
"थैंक्यू सर " !!!
आरव ने सैल्यूट किया और जिस तेज़ी के साथ आया था वैसे ही वापस बाहर निकल गया।
**********
आरव ने अपनी यूनिफार्म के बजाय सादे कपड़े पहने और घर से निकल गया टीम के बाकी मेंबर्स को वह अपने आने की लोकेशन पहले ही बता चुका था और उसने यह भी सबको बता दिया था कि कोई भी अपनी यूनिफार्म में ना आए सब सादे कपड़ों में ही वहां पर जाएंगे।
उसके बाद वह लोग एक साथ पहले से फिक्स जगह पर पहुंच गए जहां पर विक्रम उनकी वैन लिए रेडी था।
"Yes officer Vikram is everything ready "???
"Yes sir सब सामान रखवा दिया है मैने वैन में " !!! विक्रम ने अदब से जवाब दिया।
"गुड"!!!
"ऑफिसर सारा से भी मालूम कीजिए वह कितनी देर में पहुंच रही है" ???
" सर मैंने मालूम किया है वह बस 10 मिनट में पहुंच रही है" !!!
" ठीक है अभी उनका वेट कर लेते हैं और ऑफिसर हरभजन और जैकब को आपने बोल दिया है ना कि वह डायरेक्ट लोकेशन पर ही आएं " ??
आरव ने पूछा वह दोनों पास वाली सिटी से थे और क्योंकि वह लोग बाय प्लेन आ रहे थे तो उनको आने में टाइम लग रहा था।
" Yes sir " !!!
दस मिन्ट बाद सारा खान भी वहां मौजूद थी।
" हेलो सर" !!!
बताई हुई जगह पर पहुंचकर सारा ने उन्हें दोनों को एक तरफ खड़े देखा तो खुद भी वहीं आ गई।
" हेलो ऑफिसर सारा be ready quickly क्योंकि हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है। मॉल को टेररिस्ट ने घेरा हुआ है और सबसे बड़ी बात यह है कि मॉल में सीएम साहब के हाथों इनॉग्रेशन हो रही थी इसलिए वह भी वही है और उनकी जान खतरे में है सो हमें जो भी करना है बहुत जल्दी करना होगा" !!!
आरव ने कहा
" यस सर आई एम रेडी चलें" !!!
सारा वैन की तरफ बढ़ती हुई बोली।
" ऑफिसर सारा मैं आपके मोबाइल पर मॉल का मैप सेंड कर रहा हूं वह चैक करें " !!!
"ओके सर" !!!
कह कर सारा पॉकेट से सेलफोन निकालने लगी।
" ऑफिसर विक्रम अब वैन को जल्दी मॉल की तरफ लेकर चले टाइम नही है हमारे पास " !!!
आरव कहता वैन की तरफ बढ़ गया तो विक्रम ने भी ड्राइविंग सीट संभाल ली और सारा ने भी बैठ कर अपना मोबाइल वैन के कम्प्यूटर से कनेक्ट किया और मैप को ध्यान से देखने लगी।
***********
वैन मॉल के क़रीब पहुंच चुकी थी क्योंकि आरव का ऑर्डर था कि वैन को मॉल के बिल्कुल बाहर ड्रॉप ना किया जाए ताकि किसी की नजर उन पर ना पड़े सके। इसलिए उन्होंने मॉल से कुछ पहले एक ओपन पार्किंग में वैन को पार्क कर दिया जो shaded था और वहां से उन की वैन भी दिखाई नही दे रही थी।
नेविगेटर सारा ने मॉल के मैप का अच्छी तरह से जायज़ा लेने के बाद चार ड्रोन वैन के कंप्यूटर से कनेक्ट किए और बहुत समार्टली उन सब की पोजीशन मॉल में सेट कर दी तो कम्प्यूटर स्क़्रीन पर वहां की पिक्चर्स आनी शुरू हो गईं अब वह कंप्यूटर की स्क्रीन को बहुत ध्यान से देख रही थी।
एक ड्रोन बैक डोर पर सेट किया गया था जहां से बैक साइड का पूरा व्यू दिखाई दे रहा था उस रास्ते से मॉल में सामान लाया ले जाया जाता था और अब टेरेरिस्ट्स ने एक अपने एक आदमी को वहीं पर खड़ा किया हुआ था ताकि वह सब पर नजर रख सके।
दूसरे ड्रोन को फ्रंट साइड ऊपर शीशे पर सेट किया गया जहां से तीनों फ्लोर की एक्टिविटीज पर पूरे तरीके से नजर रखी जा सकती थी। तीसरे ड्रोन को बेसमेंट में सेट करने के बाद उस नें उधर का एरिया भी अपनी निगरानी में ले लिया यह करने के बाद उसने चौथे ड्रोन को टॉप फ्लोर पर इस तरह से सेट किया कि मॉल के साथ-साथ आसपास के एरियाज़ पर भी नजर रखी जा सके।
हरभजन और जैकब भी अब तक आ चुके थे और अब पांचो पार्किंग के शेडिड एरिया में वैन के साइड खड़े प्लेन डिस्कस कर रहे थे।
"सर मैंने एक बात नोटिस की है कि कुछ मॉल वर्कर्स नें ही ब्लूटूथ लगाई हुई है सब ने नही । और यह वही लोग हैं जिन्होनें पब्लिक को बॉंड किया हुआ है इस का मतलब जितने टेरारिस्ट्स हैं सब मॉल वर्करस की ड्रैस में हैं यानि कि मॉल का कोई मेंमबर भी इन लोगों के साथ मिला हुआ है जिस नें इन्हें ड्रैस प्रोवाइड करने के साथ ऐंट्री करने में भी मदद की है। इसलिये हम लोग किसीस्टाफ मेंमबर पर भी भरोसा नही कर सकते" !!!!
सारा ने ड्रोन की पिक्चरस के बेसिस पर बताया।
" ओह तब तो हमें बहुत ज़्यादा संभल कर काम करना होगा गाईज़ " !!!
आरव ने सब को चेतावनी दी।
तय यह हुआ कि सिचुएशन की अकॉर्डिंग आरव की कमांड पर सारा पहले ड्रोन की लोकेशन चेंज करेगी और जहां जरूरत हो वहां स्नाइपर शॉट भी करेगी।
" लेकिन सर हम जाएंगे किधर से" ???
हरभजन ने पूछा।
" हरभजन तुम मेरे साथ रहोगे और हम बेसमेनट के रास्ते से अंदर एंट्री करेंगे और विक्रम तुम और जैकब तुम लोग जाओगे गोडाउन से। नाऊ इज़ ऐवरीवन रेडी " ???
आरव ने पूछा।
"यस सर" !!!
चारों ने एक आवाज़ हो कर कहा।
"गुड लक"!!!
आरव ने सब को अँगूठे के निशान से लक विश किया उस के बाद सारा ने अपनी पोज़ीशन ले ली और बाक़ी तीनों भी आरव के कहेअनुसार अपने अपने रास्ते को चल दिये।
************
आरव और उसके साथी पहले से प्लान किए गए मंसूबे के हिसाब से अंदर पहुंच गए इधर सारा खान अपने ड्रोन से अंदर की movements और एक्टिविटी check कर रही थी कि अंदर से आते एक शख्स को देखकर चौंक गई जो एंट्री गेट की तरफ जा रहा था और उसे वहां खड़े क्रिमिनल्स भी कुछ नहीं कह रहे थे लेकिन उस सिविलियन के साथ एक एक्सप्लुसिव भी था जिसे देखकर वहां मौजूद सब लोग चिल्लाने लगे और खुद सारा खान भी और ज्यादा अलर्ट हो गई।
वह बाहर जाता उस से पहले बॉम्ब स्कवार्ड उसे वहीं रोक लेते हैं और लोकल पुलिस भी अटैंशन हो जाती है जिस पर वह सिविलिअन चिल्लाने लगता है।
" रुक जाओ - रुक जाओ गोली मत चलाना। गोली मत चलाना मैं टेरेरिस्ट नहीं हूं मैं तो एक सिविलियन हूं। मुझे टेरेरिस्ट्स ने भेजा है और यह मोबाइल भी दिया है वह लोग आप से बात करना चाहते हैं। और उन्होंने कहा है कि अगर आप ने फायर किया तो इस एक्सप्लुसिव का रिमोट उन के पास है वह वहीं से ट्रिगर कर देंगे" !!!!
उस ने हाथ में पकड़ा मोबाइल बॉम्ब स्कवार्ड की तरफ करते हुए कहा। चेहरे पर फैला हुआ खौफ़ और सफेद पड़ता रंग उस की सच्चाई के ग्वाह थे" !!!
आरव और हरभजन बेसमेंट के रास्ते बहुत सावधानी से उपर की मंजिलों पर चढ़ रहे थे और विक्रम और जैकब फायर एग्जिट के रास्ते से मॉल में ऐंटर हुए। आरव और हरभजन चारों तरफ देखते हुए आगे बढ़ रहे थे उन दोनों के बीच में काफी फासला था। यह भी आरव का ही आईडिया था ताकि अगर आगे उन पर कोई हमला करें तो पीछे वाला उसे कवर अप कर सके।
आरव का यह अंदाजा बिल्कुल सही निकला क्योंकि उन लोगों ने बेसमेंट के रास्ते पर भी अपने एक साथी को पहरेदारी के लिए खड़ा किया हुआ था जिसकी नजर आरव पर पड़ गई आरव कुछ सोचता उससे पहले ही उसने अचानक से उस पर हमला किया और एक जोरदार घूंसा जड़ दिया जिससे वह डिसबैलेंस होकर गिर पड़ा लेकिन गिरते-गिरते भी उसने उस क्रिमिनल की टांगों को निशाना बनाया और सीधा उसके घुटनों पर वार किया जिससे वह भी अपना बैलेंस नहीं बना सका और गिर पड़ा।
इतनी देर में हरभजन भी वहां पहुंच चुका था और उसने यह सब देख लिया लेकिन उस क्रिमिनल की नजर हरभजन पर नहीं पड़ी थी इसलिए हरभजन ने आरव को इशारा किया और उस ने जानबूझ कर उस क्रिमिनल का रूख अपनी तरफ़ मोड़ लिया जिस पर हरभजन ने उस पर पीछे से चाक़ू से वार किया और उसे खत्म कर दिया।
अभी वह लोग कुछ ही आगे बढ़े थे कि उन क्रिमिनलस का दूसरा साथी आ मौजूद हुआ लेकिन इस बार वह दोनों किसी न्ये हमले के लिए पहले से तैयार थे तो दोनों ने एक साथ उस पर हमला किया और उसे भी वहीं खत्म कर दिया।
इधर विक्रम और जैकब फायर एग्जिट पर पहुंचे तो वहां का रास्ता बंद था।
" अब क्या करें" !!!
जैकब ने विक्रम की तरफ देखा।
"रूको एक मिन्ट" !!!!
विक्रम ने अपनी पॉकेट से मिनी एक्सप्लोसिव निकाला और उसे बिल्कुल दरवाजे की उस किनारी से लगा कर रख दिया है जो दरवाजे की चौखट से अटैच था।
" पीछे हटो जैकब" !!!
एक्सप्लोसिव लगाने के बाद ट्रिगर को संभालते हुए विक्रम ने तेज़ी से कहा।
कुछ देर बाद एक धमाका हुआ और दरवाजा अपनी जगह छोड़ चुका था लेकिन उस दरवाजे की दूसरी तरफ भी उनका कोई साथी पहरेदारी के लिएखड़ा हुआ था जो एकदम से अपना बैलेंस ना बना सका और दरवाजे की गिरते ही उसके नीचे दब गया।
जैकब और विक्रम के लिये यह अच्छा मौका था दोनों नें वही के वही उस को खत्म कर दिया और तेज़ी से आगे बढ़ गए।
उनके दो और साथी जो कि बेसमेंट से कुछ आगे जा कर पहरा दे रहे थे हलचल का एहसास होते ही वे भी वहीं पर आ गए और उन दोनों पर फायर करने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे क्योंकि विक्रम और जैकब ने बुलेट प्रूफ जैकेटस पहनी हुई थी उनके फायर करते ही वह दोनों घायल शेर की तरह उन पर झपट पड़े और उनकी गन छीनने के बाद उन पर लातों और घूसों की बारिश की और उन्हें बेहोश कर दिया।
इधर हरभजन सेकंड फ्लोर पर पहुंच चुका था और आरव टॉप फ्लोर पर।
हरभजन ने मंत्री को सिक्योर रहने का इशारा किया। दूसरी तरफ से विक्रम भी सेकंड फ्लोर पर ही पहुंच चुका था वह क्योंकि पीछे के रास्ते से था तो किसी की नजर उस पर नहीं पड़ी और उस ने जाकर उस क्रिमिनल को दबोच लिया जिसने सीएम के सर पर गन रखी हुई थी।
सबका ध्यान उधर हुआ इतनी देर में हरभजन ने बाकी के 2 क्रिमिनल पर वार किया तो उनकी गन्स छिटक कर दूर जा गिरी।
"हैलो आरव सर इट्स हरभजन नाऊ टाइम टू स्नाइपर शॉट्स" !!!!
दोनों को एक साथ काबू करते हुए हरभजन ने अपने डिवाइस से आरव को सिग्नल दिया आरव की कमांड पर सारा ड्रोनस की लोकेशन पहले ही चेंज कर चुकी थी।
" ओके , ऑफिसर सारा टेक दा स्नाइपर शॉट्स फास्ट" !!!
आरव ने इस बार सारा को कमांड दी।
" एक्सेप्टेड सर" !!!
सारा ने कंप्यूटर में देखते हुए दोनों ड्रोन से निशाना लगाया और हरभजन के पास मौजूद दो क्रिमिनल्स को वहीं से खत्म कर दिया।
" गुड जॉब ऑफिसर सारा " !!!
आरव नें शाबाशी दी।
"थैंक्यू सर " !!
स्नाइपर शॉट के बाद हरभजन ने फटाफट टॉप फ्लोर का रुख किया जहां आरव पहले से मौजूद था और वहां दरवाज़े पर उन क्रिमिनलस का एक साथी खड़ा पहरा दे रहा था वह दोनों पीछे से आ रहे थे इसलिए वह शख्स उनकी तरफ नहीं देख सका।
आरव और हरभजन दबे पांव उस शख्स के पीछे जा खड़े हुए हरभजन ने उसके कंधे पर हाथ रखा जैसे ही वह क्रिमिनल अपनी गन संभाल कर मुड़ा आरव ने खचाखच अपनी गन से दो गोलियां उसकी सीने में उतार दी।
इस के बाद वह दोनों आगे बढ़े जहां दो और लोग मौजूद थे।
" ऑफिसर सारा शूट अगेन " !!!
आरव ने सारा को कमांड देते हुए हरभजन को ईशारा किया। ईधर क्रिमिनलस ने उन लोगो को देखते ही फायर कर दिया तो दोंनो ने जम्प कर के अपनी पोज़ीशन चेंज कर ली।
कम्प्यूटर स्क्रीन पर देखते हुए सिचुएशन के अकॉरडिंग सारा ने जैसे ही स्नैप शॉट लिया तो सामने खड़े शख्स को बचने का मौक़ा नही मिल सका और वह वहीं ढेर हो गया।
बाक़ी को आरव और हरभजन पहले ही बेहोश कर चुके थे।
*************
सारा को चौथे ड्रोन की लोकेशन प्रॉपर सैट करने के लिये कमांड देने के बाद आरव ने जैकब को पब्लिक के बीच जा कर खड़े होने के लिये कहा और हरभजन को साथ ले कर फर्सट फ्लोर पर पहुंच गया।
हरभजन आरव से पहले वहां पहुंच गया और जान बूझ कर आवाज़ की ताकि उन टैररिस्ट का ध्यान उस की तरफ़ हो सके।
आवाज़ पर उन दोनों नें पलट कर उधर देखा तो जैकब उन की नज़र बचा कर पब्लिक के बीच जा खड़ा हुआ।
" ऐ चालाकी करने की कोशिश मत करना कोई बिलकुल भी वरना जान से हाथ धो बैठोगे" !!!
उन दोनों में से एक ने हरभजन को धमकी दी।
तो वह चुपचाप हैंड्स अप करके खड़ा हो गया और वह दोनों उस को पब्लिक की तरफ खड़े होने का ईशारा करके वापस पब्लिक की तरफ मुड़ गए।
इतनी देर में आरव भी बैक साइड के दबे पांव आ चुका था वह दोनों पर हमला करता कि पब्लिक में बैठा सिविलियन जो उनके साथ मिला हुआ था उस की नज़र आरव पर पड़ गयी।
" रुक जाओ वहीं पर , वरना मैं यह ट्रिगर दबा दूंगा " !!!!
उसने चिल्ला कर कहा तो मजबूरन आरव को वहीं रुकना पड़ा वरना उस सिविलियन की जान भी जा सकती थी जिसके एक्सप्लोसिव लगा हुआ था।
इतनी देर में जैकब एक्टिव हो गया और उसने धीमी आवाज़ में वायरलेस से बाहर खड़ी पुलिस को आंसू गैस छोड़ने का इशारा कर दिया।
आँसू गैस के छोड़ते ही वहां एक अफरा तफ़री मच गई और इस का फायदा उठा कर जैकब ने सब से पहले उस सिवीलियन से रिमोट छीन लिया और उसे भी क़बज़े में कर लिया।
इधर आरव और हरभजन नें फौरन उन पर हमला किया और उन की गन्स छीन लीं उन दोनों क्रिमिनलस ने फायर करने की कोशिश की लेकिन बहुत ज़्यादा आँसू आने की वजह से उन की आँखे जल रही थीं और वह लोग अपनी गन्स पर दबाव भी बना नहीं पा रहे थे। और क्योंकि आरव और उस की टीम इस सिचुएशन के लिये पहले से तैयार थी उन्होंने फौरन ही अपने अपने फेस मास्क और गॉगल्स निकाल कर भी पहन लिये थे और आरव ने सारा को भी अलर्ट रहने का इशारा कर दिया।
सब क्रिमिनलस के काबू में आते ही लोकल पुलिस भी एकशन में आ गई और उन दोनों को पकड़ लिया दो पुलिस वाले पहले ही ऊपर पहुंच चुके थे और उस क्रिमिनल को क़बज़ें में किया जिसे विक्रम ने पकड़ा हुआ था । इधर वह स्टाफ़ मेंमबर जो उन लोगों के साथ मिला हुआ था उस ने झटके से जैकब को धक्का दिया और पॉकेट से गन निकाल कर आरव की तरफ़ कर के शूट कर दिया।
गोली आरव के बाज़ू में लग चुकी थी वह अपने बाज़ू से बहते खून को दूसरे हाथ से रोकते हुए घूमा और यह देखते ही जैकब ज़ख्मी शेर की तरह उस पर झपट पड़ा और वहीं चाकू घोंप कर उसे खत्म कर दिया।
दो पुलिस वालों ने जल्दी जल्दी सब को बैक गेट से बाहर निकलने का ईशारा किया और कुछ स्टाफ़ मेंम्बरस मिल कर जल्दी से आरव को उठा कर बाहर खड़ी एम्बूलेंस में ले गए।
**********
3
आरव को हॉस्पिटल लेकर जाया गया तो साथ में टीम के अलावा कमिश्नर साहब भी मौजूद थे जिन को देखते ही आरव को हाथों हाथ लिया गया।
आरव क्योंकि प्राइवेट ऑपरेशन का ऑफिसर था इसलिए उसे और टीम को बाय फेस बहुत कम लोग ही जानते थे।
डॉक्टर सिंघानिया और डॉक्टर ईशा समेत उनकी पूरी टीम उनके साथ ऑपरेशन थिएटर में मौजूद थी।
ऑपरेशन थिएटर की ग्रीन लाइट ऑन थी और टीम के सारे मेंबर बाहर ही वेट कर रहे थे।
तीन घंटो के बाद OT की लाइट ऑफ हुई और कुछ देर बाद डॉक्टर्स भी बाहर निकल आए।
“ ही इज़ आऊट ऑफ डेंजर नाऊ , अब हम उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर रहे है उन्हें होश आ जाए तो आप लोग उन से मिल सकते हैं “ !!!
डॉ सिंघानिया ने कमिश्नर साहब और टीम की तरफ देखते हुए कहा।
“ अल्लाह का शुक्र है “ !!!
सारा खान ने एक स्माइल के साथ शुक्राना अदा किया था।
इसके बाद आरव को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।
“ ओके गाइज आप लोग भी अब जाकर रेस्ट करें, शाम में मिलते हैं। बाकी मेरी डॉक्टर सिंघानिया से बात हो चुकी है उनकी टीम आरव का बहुत अच्छे से ख्याल रखेगी “ !!!
कमिश्नर साहब ने टीम के बाकी ऑफिसर्स की तरफ देखते हुए कहा इतने लंबे प्राइवेट ऑपरेशन के बाद सबके चेहरों पर थकान नजर आ रही थी।
“ ओके सर” !!!
तीनों ने एक साथ कहा।
“ ऑफिसर विक्रम जैकब एंड हरभजन आप लोग तीनों ड्रेसिंग करा लें आप लोगों को भी काफी वूंड्स आए हैं एंड ऑफिसर सारा आप मेरे साथ आइए मैं आपको ड्राइवर से कहकर आप के घर ड्रॉप करा देता हूं।“ !!!
उन तीनों को कहने के बाद कमिश्नर साहब ने अब सारा की तरफ देखा।
“ इट्स ओके सर आई विल मैनेज, आप परेशान ना हो।“ !!!
सारा ने रस्मी सी मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया।
“ नो प्रॉब्लम आ जाऐं आप “ !!!
कमिश्नर ने कहा तो वह तीनों ड्रेसिंग कराने के लिए दूसरी तरफ चले गए और सारा कमिश्नर के पीछे पीछे चल पड़ी।
“ हेलो मेजर आरव हाउ आर यू फीलिंग नाउ “ ??
डॉक्टर सिंघानिया फीमेल सर्जन डॉक्टर ईशा के साथ कमरे में दाखिल हुए थे यह वही सर्जन थी जिन्होंने कल डॉक्टर सिंघानिया के साथ मिलकर आरव का ऑपरेशन भी किया था।
आरव जाग चुका था और अब न्यूज़ पेपर पढ़ रहा था जिसमें मॉल के कल वाले पूरे इंसीडेंट की खबर डिटेल के साथ छपी हुई थी।
“ हेलो डॉक्टर आई एम परफेक्टली फाइन “ !!!
उसने डॉक्टर सिंघानिया को देखते हुए मुस्कुरा कर कहा और हाथ में पकड़ा न्यूज़ पेपर एक तरफ रख दिया।
“ पेन तो रहेगा आपके कुछ वक्त लेकिन उसके लिए मेडिसिन्स मौजूद हैं वह आप टाइम पर लीजिएगा जल्दी सही हो जाएंगे “ !!!
डॉ सिंघानिया ने कहा।
“ डोंट वरी डॉक्टर इट्स नॉट ए बिग डील। और फिर यह तो हमारी ड्यूटी का एक हिस्सा है इसलिये आप परेशान नहीं हों “ !!!
आरव मुस्कुराया तो डॉक्टर ईशा ने हैरत से उसके चेहरे को देखा गोली लगना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी।
“ वेल, मीट डॉक्टर ईशा शी इज द यंगेस्ट सर्जन ऑफ अवर हॉस्पिटल “ !!!
डॉ सिंघानिया ने मुस्कुराते हुए आरव का ईशा से इंट्रोडक्शन कराया था।
“ हैलो “
आरव नें मुस्कुराती नजरों से डॉक्टर सिंघानिया की बात पर उन के पास खड़ी उस नाजुक सी लड़की को देखा जिसने पीच कलर के सूट पर वाइट लैब कोट पहना हुआ था और रेशमी बाल काधों पर बिखरे हुए थे।
“ और डॉक्टर ईशा यह हमारी स्पेशल फोर्स के कैप्टन मेजर आरव हैं जिन्होंने आज तक अपनी टीम के साथ मिलकर कई सक्सेसफुल प्राइवेट ऑपरेशन करके देश को कई खतरों से बचाया है। और कल मॉल वाला इंसीडेंट भी आपने सुना ही होगा सिटी सेंटर मॉल पर जो टेररिस्ट्स अटैक हुआ था वहां भी मेजर आरव और उनकी टीम नें ही उन टेररिस्ट्स को गिरफ्तार करने का बहादुर काम अंजाम दिया और एक बार फिर हमारे देश के लोगों को सेव किया है “ !!!
डॉक्टर सिंघानिया ने बहुत गर्व के साथ डॉक्टर ईशा को बताया तो उसको समझ आया था कि गोली लगना उस शख्स के लिए कोई बड़ी बात क्यों नहीं थी।
“ हैलो सर , आप जैसे लोग ही हम हमारे देश का गर्व है “ !!!
डॉक्टर ईशा ने रस्मी सी मुस्कुराहट से कहा।
“ लिसन डॉक्टर ईशा, मैं कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा हूं इसलिए मेरे पीछे मेजर आरव का ख्याल आप रखेंगी इनकी ड्रेसिंग और मेडिसिंस वगैरह सब आपकी ड्यूटी है इनका स्पेशल ख्याल रखिएगा हमारे बहादुर ऑफिसर्स की जान हमारे लिए बहुत कीमती है “ !!!!
डॉक्टर सिंघानिया ने डॉक्टर ईशा को सख्ती से ताकीद की।
“ ओके सर “ !!!
डॉ ईशा ने उनकी बात पर हां में सर हिला दिया।
“ ओके डॉक्टर मैं सिस्टर को भेज देता हूं आप उन से कहकर इनकी बैंडेजेस चेंज करा दें “ !!!
डॉक्टर सिंघानिया डॉक्टर ईशा को कहकर अब आरव की तरफ मुड़े थे।
“ ओके मेजर आरव, फिर मुलाकात होती है एंड सॉरी अभी मुझे कुछ अर्जेंट काम है सो आई हैव टू गो “ !!!!
उन्होंने मुस्कुरा कर उससे इजाजत चाही।
“ इट्स ओके सर, नो प्रॉब्लम। यू कैन गो “ !!!!
आरव ने खुशदिली से उनसे हाथ मिलाते हुए कहा तो वह भी उसे हाथ मिला कर जाने के लिये वापस पलट गए।
कुछ ही देर में नर्स वहां आ चुकी थी तो डॉक्टर ईशा ने उसे आरव की बैंडेजेस चेंज करने का इशारा किया।
उसके इशारे पर नर्स ने बैंडेज रिमूव करनी शुरू की लेकिन रिमूव करने के बाद कुछ रुक कर ईशा की तरफ़ देखने लगी।
“ क्या बात है क्यों रुक गई हो “ ???
ईशा ने सवालिया नजरों से सिस्टर की तरफ देखकर पूछा।
“ मैम यह ड्रेनेज रिक्वायर है यहां “ !!!
नर्स नें आरव के हाथ की तरफ इशारा किया।
“ चलो अच्छा ठीक है तुम रहने दो मैं कर लेती हूं यह तुम हट जाओ इधर से “ !!!
डॉक्टर ईशा ने नर्स को वहां से हटने का इशारा किया क्योंकि ड्रेनेज बहुत ध्यान और ऐहतियात से किया जाता जो नर्स शायद सही तरीके से नहीं कर सकती थी।
आरव के बेड के पास रखे स्टूल पर बैठी नर्स के हटने के बाद डॉक्टर ईशा खुद उसी स्टूल पर बैठ कर उसका ज़ख्म साफ करने लगी।
ईशा के हल्के हल्के परफ्यूम की खुशबू अरब की नाक से टकराई तो उस ने बेइख्तियार मुंह घुमा कर ईशा की तरफ देखा था।
वह उसके हाथ पर झुकी उसकी बैंडेजेस चेंज कर रही थी झुकने से कमर पर पड़े सारे बाल कंधों पर आ गए थे।
मेजर आरव के लिए यह पहला इत्तेफाक था कि कोई लड़की उसके इतने करीब बैठी थी क्योंकि उसकी पोस्ट ही ऐसी थी कि लड़कियां उसे पसंद तो करती थी लेकिन उस से फ्री होनें या पास बैठने की हिम्मत कभी उन्होंने नहीं की। और कुछ उसका रफ टफ एटीट्यूड भी लड़कियों को उससे ज्यादा फ्री होने का मौका नहीं देता था।
डॉक्टर ईशा बैंडेज करने लगी तो नर्स हैंड वॉश करने चली गई।
हाथ धोकर वह वापस आई तो खामोशी के साथ डॉक्टर ईशा के पास खड़ी हो गई।
ईशा बैंडेज का प्रोसेस पूरा कर चुकी तो उसने सिस्टर को आरव की मेडिसिन्स देने के लिए इशारा किया।
“ सिस्टर यह मेडिसिन दें इनको” !!!
उसने अपने कंधे पर पड़े बाल हाथ की बैक से कमर पर डालते हुए नर्स से कहा।
“ डॉक्टर यह मेडिसिन्स रहने दें बैंडेज तो आप लोग रेग्यूलर कर रहे है तो उसी से ठीक हो जाएगा मैं यह वूंड “ !!!
आरव ने नर्स के हाथ में पकड़ी ट्रे में रखी मेडिसिंस को देख कर बुरा सा मुंह बनाते हुए डॉक्टर ईशा से कहा तो एक खूबसूरत मुस्कुराहट नें उसके होठों को छुआ था।
“ मेडिसिंस भी जरूरी है मेजर आरव सिर्फ बैंडेज से ज़ख्म एक्सटर्नली तो ठीक हो जाता है इंटरनली नहीं “ !!!
डॉक्टर ईशा नें उसे एक छोटे बच्चे की तरह समझाया।
“ जी ठीक है मुझे कोई परेशानी नहीं है अगर यह देर में भी सही होता है तो “ !!!
मेजर आरव किसी भी तरह वह मेडिसिन नहीं खाना चाह रहा था।
“ आप को परेशानी नहीं है लेकिन हमें तो परेशानी है हमारे काबिल ऑफिसर्स का जल्दी ठीक होना हम लोगों के लिए बहुत जरूरी है” !!!
कहते हुए डॉक्टर ईशा ने नर्स को वह मेडिसिन आरव को देने का इशारा किया और खुद हाथ धोने के लिए उठ खड़ी हुई।
डॉक्टर ईशा का रूटीन था कि वह बारी-बारी अपने सब पेशेंट्स को चेक करती थी जबकि सर्जन्स ऐसा नहीं करते लेकिन वह बाय नेचर बहुत इमोशनल थी और सब के दर्द को महसूस भी किया करती थी इसीलिए हर सुबह अपने हर पेशेंट की अलग-अलग खुद सिस्टर के साथ उनके बेड के पास जाकर तबियत पूछती थी।
वैसे ही आज भी सब पेशेंट्स को चैक करने के बाद जब वह आरव के कमरे में पहुंची तो वह अपने एक हाथ से अपने घाव वाले हाथ पर जख्म के आसपास के एरिया को सहला रहा था।
“ क्या बात है मेजर आरव आप ठीक तो हैं “ ???
उसने फिक्रमंदी से पूछा।
“ जी डॉक्टर , सब ठीक है बस थोड़ा पेन हो रहा है “ !!!
उस ने अपने ज़ख्मी हाथ की तरफ़ ईशारा किया।
“ कब से हो रहा है पेन, और आपने किसी को बताया क्यों नहीं “ ???
आरव की बात सुनकर वह परेशान हो गई।
काइंड हार्ट होने के साथ-साथ वह एक सच्ची देशभक्त भी थी। और जब से उसे पता चला था कि आरव नें अपनी जान खतरे में डालकर कई बार देश की हिफाजत भी की है तब से उसे आरव से और ज्यादा हमदर्दी होने लगी थी इसीलिए इस वक्त भी वह उसकी तकलीफ का सुनकर परेशान हो गई थी।
“ जी यह शायद सुबह 4:00 बजे से हो रहा है मैंने किसी को इसलिए नहीं बताया कि मैं परेशान नहीं करना चाहता था आप लोगो को उस वक़्त। और फिर मैंने सोचा कि शायद ऐसे ही हो रहा होगा थोड़ी देर में हो जाएगा ठीक” !!!
बहुत कंट्रोल करने के बाद भी दर्द और तकलीफ के थोड़े बहुत आसार मेजर आरव के चेहरे पर नजर आ रहे थे डॉक्टर ईशा के दिल को कुछ हुआ। देश के यह जवान भी तो किसी के बेटे है और यह लोग अपनी जान को खतरे में डालकर देश की हिफाजत करते है फिर भी कोई इन्हें इतनी इम्पोर्टेंस नहीं देता है जितनी मिलनी चाहिए इन लोगो को सब बस सुकून से अपने घर में बैठे रहते हैं। लेकिन बाकी सब अपने घर में सुकून से बैठे रहे इसीलिए यह लोग बॉर्डर पर सब की हिफाजत करते हैं।
“ परेशानी की क्या बात है मेजर साहब यह तो हमारा फर्ज़ है और आप लोग भी तो अपना फर्ज़ पूरा करते हैं हम लोगों की हिफ़ाज़त कर के तो क्या आप को भी कभी लगा है कि हम लोगो की वजह से आप परेशान हो रहे हैं । एन्ड डोन्ट पैनिक नॉर्मल है यह पेन। ऐसे हो जाता है कुछ केसेज़ में सो लेट मी चैक” !!!
अपनी परेशानी उसके सामने जाहिर ना करते हुए उसने आरव को तसल्ली दी और वहां बैठ कर खुद उसकी बैंडेज रिमूव करने लगी।
“ ओहह यह तो पस हो गयी है इस में ड्रेन पाइप लगाना पड़ेगा मुझे “ !!!!
डॉक्टर ईशा इस वक़्त उसे सिर्फ़ डॉक्टर नहीं बल्कि अपनी हमदर्द लग रही थी।
बैंडेज ओपन करने के बाद उस ने सिस्टर के साथ मिल कर ड्रेनेज पाइप का प्रोसेस पूरा किया इस सब के बीच आरव के मुंह से एक भी अल्फ़ाज़ नही निकला था लेकिन तकलीफ़ की शिद्दत उस के चेहरे पर महसूस की जा सकती थी।
“ ब्रेकफास्ट हो गया आप का “ ???
उस ने पूछा
“ जी हाँ , हो गया है “ !!!
आरव नें हाँ में सर हिलाते हुए जवाब दिया।
“ ठीक है आप यह मेडिसिन्स लें और प्लीज़ अपना बहुत ख्याल रखें इस हैंड को आपने बिलकुल नही हिलाना है “ !!!
मैडिसिन्स उस की तरफ़ बढ़ाते हुए वह कह रही थी आरव ने सर उठा कर उस नाज़ुक सी लड़की को देखा जो डॉक्टर होने के साथ साथ सही मायनों में इंसान थी और सब का दुख तकलीफ़ महसूस भी करती थी। इस वक़्त भी उस ने अपने मुंह से कुछ नही कहा था लेकिन उस के एक्सप्रेशनस देख कर अंदाज़ा हो रहा था कि वह आरव के दु:ख को अपने अंदर महसूस कर रही है।
“ डोन्ट वरी डॉक्टर आइ एम फाइन “ !!!
आरव ने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ कह कर उस की परेशानी को कम करना चाहा था।
“ यह मैडिसिन्स लें आप ,मैं इंजैक्शन भी लगा देती हूं अभी। पेन रिलीज़ हो जाएगा इस से काफ़ी आप का “ !!!!
डॉक्टर ईशा अब भी फिक्रमंद थी आरव एक बार फिर मुस्कुरा दिया।
**********
4
रूटीन के मुताबिक ईशा चेकअप करने के लिए रूम में आई तो आरव बुरा सा मुंह बनाए बैठा था जिसे देखकर ईशा को हंसी आ गई।
“ आपको क्या हुआ है मेजर साहब “ !!!
ईशा अब उस से हल्की-फुल्की मजाक कर लिया करती थी।
“ मैं यहां बैठे बैठे बोर हो चुका हूं डॉक्टर ईशा ,कब आप लोग मुझे रिलीज करेंगे यहां से “ !!!
आरव ने उसी एक्सप्रेशन के साथ कहा।
“ अभी तो आपके डिस्चार्ज में काफी वक्त है लेकिन आप बोर क्यों हो गऐ हैं न्यूज़ पेपर नहीं आया है आज “ ???
ईशा उसकी बैंडेज रिमूव करते हुए पूछने लगी।
“ वह न्यूज़पेपर है मैडम, मेरा बेस्ट फ्रेंड नहीं कि पूरा दिन मुझे एंटरटेन करता रहे” !!!
आरव ने जिस तरह कहा था वह अपनी हंसी नहीं रोक पाई।
“ अच्छा ठीक है फिर यह बताएं कि क्या चाहते हैं आप, क्योंकि आपके डिस्चार्ज में तो तकरीबन एक हफ्ता है अभी “ !!!
उसने बैंडेज का रोल आरव के हाथ के नीचे को घुमा कर अपने दूसरे हाथ में लेते हुए आरव की तरफ देख कर पूछा।
“ आई नीड ए वॉक। कम से कम वॉक करने की परमिशन तो दें आप लोग मुझे “ !!!
आरव के लहजे में बोरियत के साथ-साथ नाराज़गी भी थी।
“ ओके मैं आपको वॉक की इजाज़त दे सकती हूं लेकिन उसके लिए आपकी बैंडेजेस के साथ मुझे एक एक्स्ट्रा बैंडेज भी करनी पड़ेगी जिससे आपका हाथ सेट रहे और मूव ना करे।“ !!!
उसकी बैंडेज पूरी करने के बाद वह अब सीधी हो बैठी।
“ जी ठीक है कर दें आप लेकिन मुझे वॉक करने की परमीशन दें, कम से कम दुनिया देख लूंगा। सच में यहां बैठे बैठे तो मुझे ऐसा लगने लगा है जैसे दुनिया में बस यही कुछ चीजें हैं जो यहां कमरे में मौजूद है “!
आरव ने बेज़ारियत से पूरे कमरे में चारों तरफ देखते हुए कहा।
“ ठीक है मैं वॉर्ड बॉय को भेज रही हूं पट्टी लेकर। उस से वह आपके हाथ को सेट इस तरह कर देगा कि वह फिर चलते हुए मूव नही करेगा “ !!!
वह हाथ धोने के लिए उठ खड़ी होती हुई बोली तो आरव ने शुक्र का सांस लिया था।
“ अब आप यह मेडिसिन ले लें शाबाश “ !!!
हाथ धो कर वापस आने के बाद उसने मेडिसिन की ट्रे उसकी तरफ बढ़ाई तो आरव ने चुपचाप बिना एक लफ्ज़ बोले वह मेडिसिन्स उठाकर मुंह में रख ली।
“ मैं भेजती हूं उसे अभी हां “ !!!
आरव को कहती वह खड़ी हो गयी और वह दरवाज़े की तरफ़ ही बैठा देखता रह गया जिधर से वह गयी थी। आज कल उस के साथ पता नही क्या हो रहा था जो पहले कभी नही हुआ। डॉ ईशा के आते ही उसे हर चीज़ खूबसूरत और प्यारी लगने लग जाती और आसपास का माहौल भी अच्छा लगने लगता और उस के जाते ही उसे आस पास की चीज़ें भी बेरंग और बेरौनक़ लगतीं।
वह अपनी इस हालत को खुद नहीं समझ पा रहा था कि उसे हो क्या रहा है और क्यों ???
वार्डबॉय उसकी ड्रेसिंग करने के बाद उसे वॉक पर ले आया।
हॉस्पिटल के बाकी रूम के आगे से गुजरते हुए ईशा की आवाज पर वह चौंक कर वहीं रुक गया तो वार्ड बॉय को भी रूकना पड़ा।
“ बेटा यह मेडिसिन ले लीजिये ऐसे तो नहीं करते है ना “ !!!
वह किसी को समझा रही थी और आरव ने जरा सा आगे बढ़कर कमरे के दरवाजे से अंदर की तरफ देखा।
वहां एक छोटा बच्चा बैठा हुआ था जिसके पास एक लेडी भी मौजूद थी जो शायद उसकी मां थी और साथ में ईशा भी खड़ी थी वह बच्चा अपनी मेडिसिन लेने के लिए लगातार मना कर रहा था और ईशा उसे कन्विंस किए जा रही थी।
“ मैं आपके हाथ से मेडिसिन नहीं लूंगा आप गंदी है “ !!!
वह छोटा बच्चा मुंह बिसूरते हुए डॉक्टर ईशा से कह रहा था।
“ क्यों मैंने क्या किया है “ ??
डॉक्टर ईशा ने कुछ हैरान होकर उसकी तरफ देखा।
“ कल रात क्यों नहीं आई थी आप मेरे पास रात भी मेडिसिन मुझे मम्मी नें खिलाई हैं “ ???
उस बच्चे ने अपना मासूमियत भरा शिकवा किया तो डॉक्टर ईशा और उसकी मम्मी दोनों के चेहरों पर मुस्कुराहट आ गई।
“ बेटा मैं बिजी थी ना कल इसलिए आपके पास नहीं आ सकी सॉरी “ !!!
ईशा ने अपने दोनों कान पकड़ कर उस बच्चे से सॉरी किया।
“ तो जब आप बिजी होती हैं तो वरुण को भूल जाती हैं क्या “ ???
उस बच्चे नें हैरत से आंखें फैलाकर ईशा की तरफ देखा तो इस बार वह अपनी हंसी नहीं रोक पाई।
“ नहीं बेटा वरुण तो इतना प्यारा बच्चा है कि मैं उसे भूल ही नहीं पाती हूं “ !!!!
ईशा ने उस बच्चे के सर पर हाथ फेरते हुए कहा।
“ तो फिर कल मिलने क्यों नहीं आई “ ??
वह अभी तक नाराज था।
“ अच्छा सॉरी, आइंदा से ऐसा कभी नहीं होगा। मैं आपसे मिलने रोज आया करूंगी लेकिन प्लीज़ अब आप यह अपनी मेडिसिन ले लो “ !!!!
ईशा ने एक हाथ से मेडिसिंस की ट्रे उस बच्चे के आगे की और दूसरे हाथ से उसकी मम्मी ने जो ग्लास पकड़ा हुआ था वह लेकर उस के आगे कर दिया।
“ प्रॉमिस “ ???
उस बच्चे ने अपनी छोटी सी हथेली आगे फैलाई तो ईशा ने भी अपना नाजुक सा हाथ उसकी हथेली पर रख दिया।
“ जी बेटा प्रॉमिस “
ईशा ने मुस्कुरा कर कहा तो उस बच्चे ने मेडिसिन की ट्रे में से मेडिसिंस लेकर मुंह में रख ली और पानी भी पी लिया।
आरव के चेहरे पर भी एकदम से मुस्कुराहट आई थी वार्ड बॉय जो इतनी देर से यह सब देख रहा था वह भी मुस्कुराने लगा।
“ यह क्या हमेशा ही ऐसा करती है “ ??
आरव ने वार्डबॉय से पूछा।
“ जी साहब यह सारे पेशेंट की फेवरेट डॉक्टर हैं। हालांकि सर्जन ऐसा नहीं करते है लेकिन यह मैडम इतनी अच्छी है कि हर पेशेंट की खुद केयर करती है। और हमारे यहां एक वार्डबॉय और है उसकी मां को कैंसर था जिसके ऑपरेशन कराने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे हम लोगों ने उससे कहा भी कि चंदा जमा करके हम उनका ऑपरेशन करा देते हैं लेकिन चंदा जमा करने के बाद भी इतना नहीं हुआ कि वह उनका ऑपरेशन करा पाता एक बार रात को सोते हुए उन्हें बहुत ज्यादा दर्द हुआ और तकलीफ से दोहरी हो गई तो वह उन्हें इस हॉस्पिटल में ले आया तब ईशा मैडम आधी रात को ही हॉस्पिटल आ गई थी और उसका ऑपरेशन भी किया और खर्च भी सारा अपने पास से किया फिर इन्हें देखकर बाक़ी और डॉक्टर्स ने भी चंदा इकट्ठा किया और उनकी मेडिसिंस और बाकी सब चीज़ का इंतजाम किया। “ !!!
उस वॉर्ड बॉय के लहजे में डॉक्टर ईशा के लिए इज्जत और एहतराम था उसके दिल में भी ईशा की इज्जत और ज्यादा बढ़ गई।
हॉस्पिटल की गैलरी क्रॉस करने के बाद वह वार्ड बॉय अब आरव को बाहर बने गार्डन में ले आया और उसके साथ-साथ आहिस्ता आहिस्ता वॉक करने लगा।
अभी वह लोग वॉक कर ही रहे थे कि उनकी नजर गार्डन के एंट्री गेट पर पड़ी जहां डॉक्टर ईशा एक बुजुर्ग पेशेंट का हाथ पकड़े उसे हल्के हल्के लेकर आ रही थी।
“ यह कौन है “ ??
मेजर आरव नें वॉर्ड बॉय से उस तरफ इशारा करके पूछा।
“ सर जी यह भी एक पेशेंट ही हैं। यह अम्मा वैसे तो जी बहुत अच्छे घर से हैं ,लेकिन इनके दोनों बेटे इन की कोई खास परवाह नहीं करते हैं सिर्फ उनका काम हॉस्पिटल में फीस सबमिट करना है। तो ईशा मैडम रोजाना सुबह में उन्हें वॉक कराने के लिए यहां लेकर आती है” !!!
वह वार्डबॉय बताए जा रहा था और आरव हैरान हो रहा था कि क्या कोई इतना अच्छा भी हो सकता है।
“ सर जी आगे चलें “ !!!
वार्ड बॉय नें कहा।
“ हां चलो “ !!!
आरव भी मुस्कुराते हुए अपनी सोचों से बाहर आया और उस के साथ आगे बढ़ गया।
उसे यहां हॉस्पिटल में एडमिट हुए 10 दिन हो चुके थे और इन 10 दिनों में उसने जितना डॉक्टर ईशा के बारे में जाना उसके दिल में उन के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर बनता गया।
आज सुबह भी जब वह वार्ड बॉय के साथ वॉक पर आया तो एक नई बात पता चली थी।
“ सर जी कल डॉक्टर ईशा मैडम जी का बर्थडे भी तो है “ !!!
वह वॉर्ड बॉय काफी बोलने वाला लड़का था इसलिए हर बात उसे पता रहती और वह आरव को बता भी दिया करता था।
“ अच्छा क्या वह बर्थडे भी अपना तुम लोगों के साथ ही सेलिब्रेट करती हैं “ ???
उसे सुनकर हैरत हुई थी कि अपने इतने इंपॉर्टेंट दिन पर भी उन लोगों को नहीं भूलती है।
“ जी सर जी और बल्कि वह हम नर्सेज और वॉर्ड बॉयज सब को सूट भी देती हैं अपने बर्थडे पर “ !!!
वार्ड बॉय बताते हुए उसे हैरान किए जा रहा था।
“ बर्थडे का इतना यूनीक और बेहतरीन सेलिब्रेशन “ !!!
आरव सोचते हुए मुस्कुरा दिया।
“ तो क्या तुम लोग भी कोई पार्टी वगैरह देते हो अपनी मैडम को “ ???
उस ने पूछा।
“ जी सर जी बिल्कुल देते हैं ना। बल्कि हम लोगों ने तो तैयारी भी शुरू की हुई है। हमारे यहां की दो सिस्टर्स को केक बनाना आता है तो कैेक बनाएंगी। मैं और एक और वार्डबॉय मिलकर मैडम के रूम की डेकोरेशन करेंगे और हमने सीनियर डॉक्टर से बात भी कर ली है उन्होंने कल मैडम की छुट्टी कर दी है। और उनसे ही मैडम के रूम की कीज़ लेकर हम वहां की डेकोरेशन करेंगे और फिर उन्हें बुलाएंगे क्योंकि उनके लिए यह पार्टी सरप्राइज है “ !!
आरव उस वॉर्ड बॉय की बात सुनकर हैरान हो रहा था कोई अपने डॉक्टर्स के लिए इतना भी करता है लेकिन वह डॉक्टर ईशा थी जो हर पेशेंट को अपना ही समझती थी और इसीलिए वह लोग भी उससे बहुत मोहब्बत करते थे।
आज जब ईशा उसकी बैंडेज रिमूव करने के लिए आई तो वह पहले से उसके इंतजार में बैठा हुआ था।
“ मेनी मेनी हैप्पी रिटर्ंस ऑफ यौर बर्थडे डॉक्टर “ !!!
उसने मुस्कुराते हुए उसे विश किया।
“ थैंक यू सो मच, आपको कैसे मालूम है यह “ ???
डॉ ईशा अपने मोबाइल में कुछ देख रही थी उसकी बात पर अचानक हैरानी से सर उठाते हुए पूछा।
“ मैडम आप सब के बारे में इतनी नॉलेज रखती हैं, तो क्या कोई आपके बारे में इतनी सी नॉलेज नहीं रख सकता “ !!!
आरव ने मुस्कुराकर कहा तो वह भी झेंप कर मुस्कुरा दी।
“ ऐसी बात नहीं है। यह लोग सब मेरे अपने हैं यह हॉस्पिटल मेरा अपना है और अपनों के बारे में तो इंसान को हर बात मालूम रखनी ही चाहिए “ !!!
“ आप बातें बहुत अच्छी करती हैं डॉक्टर “ !!!
मेजर आरव ने अपनी लाइफ में शायद पहली बार किसी लड़की की तारीफ की थी।
“ और आप बातें बहुत करते हैं। चले बैंडेज चेंज कराएं आज पहले ही काफी देर हो चुकी है मुझे क्योंकि डॉक्टर्स ने आज मेरे बर्थडे की वजह से मुझे लीव दी है ,तो मैं सिर्फ़ इन लोगों के कहने पर आई थी जिन्होंने मेरा सरप्राइज बर्थडे प्लान किया था। अब बताए यह लोग इतने अच्छे हैं तभी तो मैं इन लोगों के साथ फैमिली मेंबर्स की तरह रहती हूं “ !!!
कहते हुए वह उसकी बैंडेज रिमूव करने के लिए उसके हाथ की तरफ बढ़ी।
“ बैंडेज चेंज हो चुकी है मेरी मैडम सो रिलैक्स एंड सिट हियर “ !!!
“ गुड, किसने की आज आपकी बैंडेज चेंज “ ??
वह आरव के बैड के पास पड़े स्टूल पर बैठती हुई पूछने लगी।
“ सिस्टर नंदिता नें, वह सुबह उसी टाइम आ गई थी जिस टाइम आप मेरी बैंडेजेस चेंज करती हैं “ !!!
कहते हुए आरव ने अपने पिलो के नीचे से एक गिफ्ट निकालकर ईशा के हाथ पर रखा था।
“ अगेन मेनी मेनी हैप्पी रिटर्ंस ऑफ़ योर बर्थडे “ !!!
मेजर आरव ने मुस्कुराते हुए कहा।
“ थैंक्यू !! पर इसकी कोई जरूरत नहीं थी और यह अरेंज कैसे किया आपने “ ???
डॉ ईशा हैरान – हैरान सी आंखों से उसे देख कर पूछ रही थी।
“ मैडम एक ऑनलाइन ऑर्डर की फैसिलिटी होती है हमारे देश में बस मैंने भी वही यूज़ की है “ !!!
आरव उस की हैरानी को इंजॉय कर रहा था।
“ जी हां लेकिन आप ख्वामख्वाहख में परेशान हुए “ !!!
डॉक्टर ईशा उस से गिफ्ट लेते हुए थोड़ा हिचकिचा रही थी।
“ ओपन इट “ !!!
उसकी बात को नज़र अंदाज करते हुए आरव ने कहा।
“ जी “ ???
डॉक्टर ईशा ने एक बार फिर हैरानी के साथ सर उठाकर मेजर आरव को देखा था।
“ जी प्लीज़ ओपन इट “ !!!
आरव नें एक बार फिर रिक्वेस्ट की तो ईशा उस गिफ्ट को खोलने लगी।
गिफ्ट रैप ओपन किया तो उसमें एक रिस्ट वॉच का बॉक्स था उसने बॉक्स ओपन करने के बाद वह वॉच निकालकर हाथ में ली थी।
“ वाओ इट्स सो ब्यूटीफुल “ !!!
ईशा ने उस वॉच को देखते हुए कहा।
“ पहन कर दिखाएं “ ???
आरव ने अगला आर्डर जारी किया।
“ जी “ ???
ईशा ने एक बार फिर आंखों में हैरत के समंदर भरकर आरव की तरफ देखा था। आज वह उसे हैरान करने पर तुला हुआ था।
“ जी , यह वॉच पहनकर दिखाए मिस ईशा “ !!!
आरव ने अपनी बात दोहराई तो ईशा बिना कुछ बोले वह वॉच अपने हाथ में पहनने लगी लेकिन उस से वह बंद नहीं हो रही थी।
“ मे आई “ ???
आरव ने इजाजत चाही तो वह एक बार फिर हैरान हुई थी लेकिन इस बार बोली कुछ नहीं, बस चुपचाप अपनी वॉच वाली कलाई उसके आगे कर दी। तो वह उस वॉच का स्टैप टाई करने लगा।
“ ब्यूटीफुल “ !!!
वॉच टाई करने के बाद आरव नें एक नजर उसकी कलाई पर डाली। उसकी नाजुक सी कलाई में डलने के बाद उस वॉच की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई थी।
“ थैंक यू अगेन मेजर आरव, ऑनेस्टली इट्स टू ब्यूटीफुल “
“ इट वास नॉट एस मच ब्यूटीफुल एज इट इज लुकिंग नाउ “ !!!
आरव ने मुस्कुरा कर कहते हुए सर झुका लिया जबकि ईशा को उसकी बात समझ नहीं आई थी।
“ एक्सक्यूज मी “ ???
उस नें सवालिया नजरों से मेजर आरव को देखा।
“ डॉक्टर ईशा “ !!!
दरवाजे से सिस्टर नंदिता ने उसे आवाज दी तो वह मुड़ कर उस तरफ देखने लगी।
“ जी सिस्टर नंदिता “ ???
आपको सीनियर डॉक्टर तरुण बुला रहे है एक अर्जेंट सर्जरी केस आया है।
“ सिस्टर नंदिता कहकर वापस पलट गई तो वह भी उठ खड़ी हुई “ !!!
“ ओके मेजर आरव, कल होती है मुलाकात क्योंकि आज हो सकता है कि सर्जरी में मुझे काफी टाइम लग जाए “ !!!
उसने कहा।
“ ओके डॉक्टर आई विल वेट फॉर यू “ !!!
उसने एक बार फिर कहते हुए डॉक्टर ईशा को हैरान कर दिया था।
“ ओके एंड अगेन थैंक यू फॉर यौर ब्यूटीफुल गिफ्ट “ !!!
वह मेजर आरव का शुक्रिया अदा करती चली गई तो वह एक बार फिर उसी तरफ देखते हुए किसी सोच में गुम हो गया जिधर को वह गई थी।
5
मेजर आरव को आज हॉस्पिटल में एडमिट हुए 15 वा दिन था। उसकी कंडीशन पहले से बहुत बेहतर थी तो डॉक्टर ने उसे डिस्चार्ज करने के लिए भी कह दिया था। डॉक्टर सिंघानिया के कहने पर एक वॉर्ड बॉय को उसके साथ उसके घर जाना था। जो अभी कुछ दिन वही पर रहता और ड्रेसिंग वगैरा चेंज करने में भी आरव की हेल्प कर देता।
उसके अलावा अगर कोई परेशानी होती है तो डॉक्टर ईशा उसके घर पर ही जाकर उसका ट्रीटमेंट कर देंगी डॉक्टर सिंघानिया ने उसे यह सब बता दिया था।
“ हेलो मेजर साहब “ !!!
डॉक्टर ईशा ने अंदर आते हुए उसे रोज़ की तरह हेलो किया था मगर जवाब देने के बजाय उसने उतरे हुए चेहरे के साथ ईशा की तरफ देखा और वापस सर नीचे झुका लिया।
“ हेलो क्या बात है सब ठीक तो है ऐसे क्यों बैठे हैं आप। आपको तो खुश होना चाहिए आज “ !!!
ईशा ने उसकी आंखों के आगे हाथ हिलाते हुए फ्रेंकली कहा। अब तक उन लोगों में अच्छी खासी दोस्ती हो गई थी और नंबर भी एक्सचेंज हो चुके थे।
“ जी सब ठीक है, बस मुझे छोड़ कर “ !!!
आरव नें उदासी से जवाब दिया।
“ क्यों क्या हुआ है आपको “ ???
वह उसके बेड के पास रखे स्टूल पर बैठते हुए उसकी बेंडेज रिमूव करने लगी।
“ मैं जा रहा हूं ना आज यहां से “ !!!
आरव के अंदर लहजे में वही उदासी थी।
“ हां तो आपको तो खुश होना चाहिए ना “ !!!
बैंडेज रिमूव करने के बाद उसने नई वाली अप्लाई की थी।
“ क्यों खुश होना चाहिए “ ???
आरव ने सवालिया नजरों से उसकी तरफ देखते हुए पूछा तो उसको आरव का यह सवाल समझ में नहीं आया था।
“ क्योंकि आप यहां से डिस्चार्ज हो रहे है और आप तो वैसे भी यहां पर बोर हो जाते थे तो अच्छा है ना कि अब यहां पर आपको और ज्यादा नहीं रहना पड़ेगा “ !!!
बैंडेज अब पूरी हो चुकी थी उसने लास्ट में उस में क्लिप अटैच कर दिये।
“ बोर हो जाता था लेकिन अब नहीं होता हूं बोर बल्कि अब तो मुझे यहां रहना बहुत अच्छा लगता है “ !!!
आरव नें दिलचस्पी से उसके चेहरे को देखते हुए कहा। जो उसकी बैंडेज पूरी करने के बाद अब अपने चेहरे पर आए बालों को सीधे हाथ की बैक से पीछे करने की कोशिश कर रही थी।
“ लेकिन क्यों “ ???
ईशा ने बेइंतेहा हैरान होकर उसकी तरफ देखा तो उसको अपनी तरफ देखता पाकर झेंप गई।
“ क्योंकि यहां पर आप जो हैं “ !!
उसका अगला जवाब उसे दोबारा हैरान कर गया था।
“जी “???
उसने इस बार सवालिया नजरों से आरव की तरफ देखा लेकिन उसकी आंखों में ऐसा कुछ था कि डॉक्टर ईशा ज्यादा देर तक उन आंखों में नहीं देख सकी और नजर झुका गई तो आरव उसकी इस अदा पर एक दम से मुस्कुरा दिया।
“ तो कोई बात नहीं , आपके पास मेरा नंबर तो है जब जरूरत हो मुझे कॉल कर लिया करें “ !!!!
वह आरव की नजरों से कंफ्यूज़ हो रही थी इसलिए उसका ध्यान बटाने के लिए बोली।
“ सिर्फ नंबर नहीं , मुझे आप पूरी की पूरी चाहिए “ !!!!
मेजर आरव के मुंह से बिना इरादा ही निकल गया हालांकि उस ने कभी नहीं सोचा था कि वह यह बात ईशा को ऐसे बताएगा।
“ जी “ !!!!
उस की बात सुन कर ईशा जिस तरह कंफ्यूज़ और हैरान हुई थी वह बात आरव को मज़ा दे गई।
“ मैं हाथ धो कर आती हूं “ !!!
उसे कुछ समझ नहीं आया तो बहाने से उठ खड़ी हुई।
“ मैडम वॉश बेसिन उधर नहीं इधर है “ !!!
उसे वाशबेसिन के अपोजिट साइड जाते देखकर आरव ने कहा तो वह बुरी तरह से झेंप कर जहां थी वहीं रुक गई।
“ ईशा “ !!!
आरव सीरियस हुआ।
“ जी “ !!!
डॉक्टर ईशा नें बहुत मुश्किल से पलट कर उसकी तरफ देखा।
“ आपके बिना मैं खुद को अधूरा अधूरा सा महसूस करने लगा हूं क्या मुझे पूरा करने में आप मेरी मदद करेंगी “ ???
आरव ने कहा था ईशा कोई जवाब नहीं दे सकी।
“ ईशा मैं क्या पूछ रहा हूं आपसे जवाब दीजिए “ ???
आरव ने दोबारा पूछा।
“ मैंने कभी ऐसा सोचा नहीं है “ !!!
वह कंफ्यूज खड़ी अपने हाथ की उंगलियां मरोड़ती कहीं से भी एक सर्जन नहीं लग रही थी जो इतनी बड़ी बड़ी सर्जरी और ऑपरेशन इतने आराम से कर दिया करती थी।
“ तो अब सोच लें कितना वक्त लगता है सोचने में, या फिर आप किसी और को पसंद करती हैं “ ???
आरव के दिल में जो डर था वह जुबान पर आ गया।
“ नहीं नहीं, ऐसा कुछ नहीं है मैं किसी को पसंद नहीं करती “ !!!
ईशा ने जल्दी से जवाब दिया तो आरव की रुकी हुई सांस सही हुई थी।
“ फिर ठीक है आपके पास आज आज का टाइम है कल सुबह मैं दोबारा फोन करूंगा ईशा और जवाब आपको देना होगा “ !!!
आरव ने कहा तो डॉक्टर ईशा का झुका हुआ सर और ज्यादा झुक गया वह वहां और ज्यादा नहीं रुक सकी और बाहर निकल गई तो आरव का एकदम से क़हक़हा बुलंद हुआ था जो बाहर निकलती ईशा ने भी सुन लिया और मुस्कुरा उठी।
आरव के दिल से सारे डर और वहम निकल चुके थे और उस के रिएक्शन से उसे ईशा का जवाब भी मिल गया था लेकिन फिर भी एक बार वह उस के मुंह से सुनना चाहता था।
आरव के डिस्चार्ज का वक्त आया तो पूरा स्टाफ उसे सी ऑफ करने के लिए आया था।
उस ने पूरे स्टाफ़ पर एक नज़र डाली सब थे सिर्फ वह ही नहीं थी।
आरव उदास हो गया।
“ ओके मेजर आरव फिर मिलते हैं दोबारा “ !!!
डॉक्टर सिंघानिया ने उस से हाथ मिलाया।
“ओके डॉक्टर “!!!
उस ने भी एक रसमी सी मुस्कुराहट से जवाब दिया।
ड्राइवर उस को लेने आ चुका था और सामान भी उस का वॉर्ड बॉयज़ पहले ही ले जा कर कार में रख चुके थे।
सब स्टाफ़ मेंमबर्स ने उसे बुके गिफ्ट किये थे।
वह मुस्कुराते हुए सब से विदा लेता बाहर निकल गया और यह सब देख कर उपर विंडो में खड़ी ईशा उदासी से मुस्कुरा दी।
वह हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंचा तो मिलने वालों का एक सिलसिला शुरू हो गया।
सभी उसे पूछने के लिए घर पर आ रहे थे। उसे ना तो रेस्ट के लिए टाइम मिला और ना ही कुछ देर के लिए वह अकेला हुआ कि ईशा को फोन कर सकता।
“ मां मुझे रेस्ट करना है अब मैं काफी थक चुका हूं “ !!!
शाम के 6:00 बज रहे थे जब उसने मां से कहा।
“ हां बेटा ठीक है, तुम आराम करो थक गए होंगे। जब से आए हो रेस्ट ही नहीं मिला है “ !!!
वह उसे कहती हुई उसका पिलो और बेडशीट सही करने लगी।
“ मां जाते हुए यह दरवाजा बंद करती जाना “ !!!
कहते हुए वह आंखों पर हाथ रख कर लेट गया।
हॉस्पिटल से उसके साथ आए हुए वार्डबॉय के लिए मां ने मुलाजिमों वाला कमरा तैयार करा दिया था वह अब वही पर था।
दरवाजा बंद होने की आवाज पर उसने आंखों से हाथ हटाकर देखा मां जा चुकी थी और दरवाजा भी बंद था कमरे में कोई भी नहीं था ईशा से बात करने के लिए उसको यह मौका सही लगा।
उसने फौरन ईशा का नंबर मिलाया।
“ हैलो “ !!!
कुछ देर बाद स्पीकर से वही आवाज उभरी थी जो उसकी रुह तक में सुकून उतार देती थी।
“ हेलो ईशा “ !!!
वह आराम आराम से उठ कर बैठ गया और साइड में रखा पिलो गोद में रख लिया।
“ हेलो मेजर साहब “ !!!
ईशा की फ्रेश फ्रेश आवाज आई।
“ कहां हो यार तुम, सुबह भी मुझे सी ऑफ करने के लिए पूरा स्टाफ मौजूद था सिवाय तुम्हारे। तुम क्यों नहीं आई थी “ ???
आरव के लहजे में मोहब्बत भरा शिकवा था डॉक्टर ईशा शर्मिंदा हो गई।
“ मैंने विंडो से देखा था आपको जाते हुए “ !!!
ईशा ने बताया।
“ जब मुझे देखना ही था तो विंडो से यह देखने की क्या जरूरत थी तुम नीचे भी तो आ सकती थी “ ???
आरव ने कहा तो ईशा कुछ नहीं बोली बस मुस्कुरा दी।
“ मैं कुछ पूछ रहा हूं जवाब दो “ ??
आरव ने अपना सवाल दोहराया।
“ बस ऐसे ही नहीं आई मैं ,हिम्मत नहीं हो रही थी मेरी आप का सामना करने की “ !!!
ईशा ने जो सच था कह दिया।
“ अच्छा ठीक है यह बताओ जो सवाल मैंने तुम से सुबह किया था उसका जवाब कब दोगी “ ???
आरव ने पूछा।
“ आपने आज का पूरा दिन दिया है मुझे जवाब देने के लिए याद है “ ??
ईशा ने याद दिलाया।
“ हां याद है लेकिन यार मुझसे सब्र नहीं हो रहा है। और फिर जब तुम किसी और को भी पसंद नहीं करती हो तो मुझे जवाब देने में क्या परेशानी है। कल भी तो जवाब देना ही है तुम आज दे दो “ !!!
आरव से सब्र नहीं हो रहा था।
“ तबीयत कैसी है आपकी अब तो पेन नहीं है “ ??
ईशा ने बात को घुमाई।
“ बात घुमाओ मत, जो मैं पूछ रहा हूं उसका जवाब दो तुम “ !!!
आरव जिद्दी अंदाज़ से बोला।
“ कल सुबह दूंगी “ !!!
“ नहीं मुझे अभी चाहिए “
“ मैंने कहा ना कल “ !!!!
“ तो मैंने भी कहा है मुझे आज ही चाहिए तुम्हारा जवाब “ !!!
वह भी अपनी बात पर अड़ा हुआ था।
“ लेकिन आपको इतनी जल्दी क्यों है “ ???
ईशा उसकी बातों से पजल हो रही थी।
“ जल्दी इसलिए है मैडम डॉक्टर ईशा ताकि कोई और तुम्हें ना ले उड़े। इसलिए मैं चाहता हूं कि एक बार तुम्हारी मर्जी मालूम हो जाए उसके बाद में घर में बात करूं और हमेशा हमेशा के लिए तुम्हें अपने नाम करना चाहता हूं “ !!!!
आरव ने एक ही सांस में पूरी बात कह दी।
“ यू आर सो फास्ट फॉर्वर्ड मेजर आरव “ !!!!
ईशा ने चुटकी ली।
“ हम फौजी लोग ऐसे ही होते हैं मैडम , हमें सीधी बात करना ही सिखाया जाता है तो वही करने की आदत भी होती है हम को “ !!!!
आरव ने जवाब दिया तो वह कुछ कह नही सकी।
“ बोलो ईशा , जवाब तो दो मेरी बात का “ !!!
उस ने दोबारा पूछा ।
“ मैं अपने देश से बहुत प्यार करती हूं “ !!!
ईशा नें कहा।
“ वैरी गुड, और देश की हिफ़ाज़त करने वालों से “ ????
आरव ने उस की बात बीच में ही उचक ली।
“ अब ज़ाहिर है देश से प्यार करती हूं तो देश की हिफ़ाज़त करने वालों से प्यार ना करने का तो सवाल ही नही है “ !!!!!
ईशा ने रूक रूक कर अपनी बात पूरी कर दी।
“ क्या मतलब, “ ???
आरव को उस की बात समझ नहीं आई थी लेकिन जब समझ आई तो वह चिल्ला उठा।
“ क्या तुम सच कह रही हो ना “ ???
उसने दोबारा कंफर्म किया कि जो वह सुन रहा है वह सही है ना।
“ मैं झूठ नहीं बोलती हूं मेजर आरव “ !!!
ईशा ने झूट मूट की नाराजगी के स्वर में जवाब दिया।
“ अच्छा तो फिर ठीक है बोल दो वह तीन मैजिकल वर्डस “ !!!
डॉक्टर ईशा की बात सुनकर आरव का दिल गार्डन गार्डन हो गया था।
“ कौन से “ ???
उस ने अन्जान बनने की भरपूर एक्टिंग की।
“ बनो मत अब बोलो जल्दी “ !!!
“ ठीक है फिर बी रेडी फॉर दिस “ !!!
ईशा ने कहा।
“ ओके आई एम रेडी “ !!!
आरव ने भी उसी के अंदाज में जवाब दिया।
“ वन टू थ्री आता माझी सटक ली.......” !!!!
वह कह कर जोर से हंसने लगी।
“ है यह क्या है “ !!!
“ आप के वह तीन मैजिकल वर्डस “ !!!
ईशा ने हंसते हुए कहकर फोन रख दिया तो आरव भी जोरदार अंदाज से हंसने लगा।
अब तो आरव और ईशा को ऐसा लगने लगा था कि वह दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हैं।
आरव की वीडियो कॉल से ईशा का दिन शुरू होता तो ईशा की वीडियो कॉल से आरव का दिन खत्म होता।
जब तक दोपहर में वह वीडियो कॉल करके यह ना देख लेता कि ईशा ने खाना खा लिया है चैन से ना बैठता और आरव की जरा सी भी तकलीफ पर ईशा तड़प उठती।
अब भी ईशा की कजिन का संगीत था जिसके लिए शॉपिंग कराने के लिए आरव उसे कई दिन से कह रहा था लेकिन वह हिचकिचाहट के कारण मना कर रही थी।
“ क्यों , तुम्हें क्या परेशानी है शॉपिंग करने से। लड़कियों को तो शॉपिंग का बहुत शौक होता है तुम कैसी लड़की हो जो शॉपिंग के लिए मना कर रही है “???
आरव नें झुंझला कर पूछा।
“ अरे तो मुझे शॉपिंग की जरूरत नहीं है मेरे पास ऑलरेडी बहुत सारे कपड़े और जूते मौजूद है और इस शादी के लिए भी जितनी जरूरत थी मैं सारी शॉपिंग कर चुकी “ !!!
ईशा ने अपनी बात दोहराई जो वह कब से उसे समझाना चाह रही थी।
“ अरे तो भई मैं कब कह रहा हूं कि तुम्हारे पास कपड़े और जूते मौजूद नहीं है। लेकिन मैं चाहता हूं कि मैं तुम्हें खुद अपनी पसंद से शॉपिंग कराउं और फिर वही कपड़े तुम शादी में पहनो “ !!!
आरव ने कहा।
“ तो लेकिन मैं कुछ करूंगी भी उन कपड़ों का जब मेरे पास कपड़े मौजूद है तो “ !!!
उस नें एक बार फिर आरव को मना करने की कोशिश की।
“ मतलब तुम नहीं चल रही हो मेरे साथ। ओके ठीक है फिर” !!!!
आरव ने गुस्से से कह कर फोन रख दिया तो मजबूरन ईशा को तैयार होना पड़ा था।
“ बताइए किस टाइम चलना है “ ???
उसने हैंड टू हैंड दोबारा आरव फोन लगाया तो आरव के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखर गई।
“ सो स्वीट ऑफ यू मैं 10 मिनट में हॉस्पिटल पहुंच रहा हूं तैयार रहो मैं गेट पर पहुंचते ही तुम्हें कॉल कर दूंगा “ !!!
आरव के लहजे में पर थोड़ी देर पहले वाले गुस्से का नामो निशान भी नहीं था ईशा ने सुकून की सांस ली।
मॉल पहुंचकर वे दोनों क्लॉथ सेक्शन में पहुंच गए।
आरव का बस नहीं चल रहा था कि वह पूरे मॉल की सारी ड्रेसेस खरीद कर ईशा के क़दमों में रख दे।
पूरे मॉल में घूम घूम कर उसने बेस्ट ड्रेसेस पसंद की और उन्हें पैक भी करा लिया।
“ आरव बस कर दें आप इतनी सारी ड्रेसेस खरीद चुके हैं। इतनी कैसे पहनूंगी मैं 4 दिन का ही तो फंक्शन है “ !!!!
ईशा पहले से जानती थी कि वह इसी तरह रिएक्ट करेगा इसीलिए वह उसके साथ शॉपिंग के लिए आना नहीं चाह रही थी। लेकिन उसकी नाराजगी भी मोल नहीं ले सकती थी इसलिए मजबूरन आना पड़ा।
“ क्यों ऐसी कितनी ड्रेसेस ले चुके हम लोग जो तुम ऐसे कह रही हो “ ???
आरव अभी भी मॉल में चारों तरफ कोई क्लॉथ शॉप ही देख रहा था।
“ 7 ड्रैसेज पैक कराई हैं आपने अब तक और फंक्शन सिर्फ चार हैं इसका मतलब है कि 3 ड्रैसेज अभी भी एक्स्ट्रा ही है तो फिर और क्या देख रहे हैं आप चले इधर से “ !!!
ईशा ने अपने और आरव के हाथ में पकड़े पैकेट काउंट करते हुए बताया।
“ अच्छा ठीक है चलो फिर शु सेक्शन में चलते हैं” !!!
आरव एग्री हुआ तो ईशा ने भी शुक्र का सांस लिया था।
“ चलिए “
वह उसके कदम से कदम मिलाते हुए शु सेक्शन की तरफ बढ़ गई।
शु सेक्शन में पहुंच कर वह तो थक कर एक तरफ बैठ गई और आरव नें पूरे सेक्शन में घूम-घूम कर उसके लिए बेस्ट ऑफ द बेस्ट शूज़ निकलवाए थे और अब शॉपकीपर से कह कर उसके सर्वेंट के साथ वह सारे शूज ईशा के पास ले आया।
“ आरव यह सब “ !!!!!
ईशा ने हैरत से जूतों का वह ढेर देखा।
“ हां यह सब मुझे अच्छे लगे है तुम एक बार चेक करो जो सूटेबल लगे वह ले लेंगे “ !!!!
आरव ने उस जूतों के ढेर की तरफ इशारा किया।
“ लाएं मैडम मैं पहना देता हूं “ !!!
शॉपकीपर का वह सर्वेंट जो आरव के साथ जूते लेकर आया था और अब साइड में हाथ बांधे खड़ा था आगे बढ़ कर कहने लगा।
“ नहीं ,कोई जरूरत नहीं है। मैं खुद पहना लूंगा “ !!!
ईशा के कहने से पहले ही आरव ने उसे साफ मना कर दिया तो वह चुपचाप दोबारा हाथ बांधकर खड़ा हो गया।
“ अब यहां क्या खड़े हो , जाओ तुम जाकर अपना काम करो मैं खुद देख लेता हूं यह “ !!!!
आरव ने कहा तो वह सर्वेंट चला गया उसके बाद आरव वह शूज उठाकर ईशा के पांव की तरफ झुका तो वह एकदम झटके से पीछे को हट गई।
“ क्या हुआ है यार जूता ही तो पहना रहा हूं तुम्हें “ ???
आरव उठकर खड़े होते हुए पूछा।
“ आप मेजर हैं आरव , आप इन हाथों से देश की हिफाजत करते हुए ही अच्छे लगते हैं जूते पहनाते हुए नहीं। आपे रहने दें, मैं खुद पहन लेती हूं “ !!!
ईशा ने नर्म अंदाज़ से कहते हुए उसके हाथ में पकड़ा सैंडिल अपने हाथ में ले लिया।
“ मेजर मैं सिर्फ़ ड्यूटी पर हूं तुम्हारे लिए मैं सिर्फ तुम्हारा आरव हूं “ !!!
“ हां जी वही, लेकिन मैं फिर भी आपको जूता पहनाने की इजाजत तो हरगिज़ नहीं दूंगी “ !!!!
ईशा अपनी बात पर अढ़ी हुई थी आरव को मजबूरन पीछे हटना पड़ा।
“ तुम्हारे पाँव इतने प्यारे हैं कि सिंडरेला का जो सैंडल खो गया था ना अगर वह तुम्हें मिल जाता तो तुम्हारे पाँव में बिल्कुल सही आ जाता “ !!!!
आरव ने तारीफ करने के अंदाज में उसके पैरों को देखते हुए कहा तो ईशा झेंप गई।
“ आपको मेजर किसने बना दिया शायर होना चाहिए था आपको तो “ !!!!
उसने सैंडल पहनने के बाद पाँव आरव के आगे करते हुए कहा तो आरव भी मुस्कुरा कर उनमें से जूते सेलेक्ट करने लगा।
***********
6
आज संडे था तो ईशा का ऑफ था इसीलिए आरव की ख्वाहिश पर वह दोनों आज फिर हर संडे की तरह लंच करने के लिए बाहर रेस्टोरेंट आए थे।
उन्हें बातें करते हुए काफी देर हो चुकी थी। आरव अपने बचपन के किस्से सुना रहा था जिसे सुन सुनकर ईशा हस्ती हस्ती दोहरी हो गई वह बचपन में बहुत ज्यादा शैतान था।
आरव दो ही बहन भाई थे। बहन की शादी हो चुकी थी अब सिर्फ आरव ही बचा था। उसके पापा हार्ट पेशेंट थे जिन्हें दो अटैक आ चुके थे और मम्मी हाउसवाइफ। इसीलिए उस के पापा चाहते थे कि वह अपनी जिंदगी में ही बेटे की शादी कर दें। और इसीलिए इन दिनों उसकी मम्मी अपने बेटे के सर पर सेहरा सजाने के लिए लड़कियां ढूंढ रही थी।
" ईशा मैं सोच रहा हूं कि घर में आज ही मेरे और तुम्हारे रिश्ते की बात कर लूं " !!!
आरव ने कहा तो ईशा के चेहरे पर लाली छा गई।
" जैसे आपको बेहतर लगे कर लें " !!!
वह शरमाते हुए बोली।
" वाह यार तुम तो शर्माती भी हो " !!!
आरव ने उसे जान बूझकर छेड़ा।
" ना तो मैं क्या आपको बेशर्म लगती हूं "
ईशा ने झूठा गुस्सा दिखाया।
" लगती तो हो थोड़ी-थोड़ी " !!!
आरव हंसते हुए बोला तो वह मुंह बना कर बैठ गई।
" अच्छा ठीक है ,मैं अभी वॉशरूम होकर आ रहा हूं आकर तुम्हें मनाता हूं इतनी देर में तुम खुद ही यह मुंह सही कर लो " !!!!
आरव प्यार से उसके सर पर चपत लगाते हुए उठ खड़ा हुआ मोबाइल अपना वही टेबल पर रखा छोड़ कर गया था।
वह आरव के बारे में ही सोच रही थी कि उस का टेबल पर रखा फोन रिंग कर उठा।
पहले तो उसने सोचा कि ना रिसीव करें लेकिन फिर सोचा कि हो सकता है कोई अर्जेंट कॉल हो उसने फोन हाथ में उठा लिया।
स्क्रीन पर माँ लिखा हुआ ब्लिंक हो रहा था वह मुस्कुरा उठी।
" वैसे भी तो आरव अपनी और मेरे रिश्ते की बात आज घर पर करने ही वाले हैं तो अच्छा है ना मैं अभी फोन पर बात कर लेती हूं आंटी जी से इंट्रोडक्शन भी हो जाएगा " !!!!
सोचते हुए उसने फोन रिसीव कर लिया।
अभी वह कुछ बोलने ही वाली थी कि उधर से आरव की मां खुद बोल उठीं।
" हां आरव मेरी बात ध्यान से सुन, अभी तु जहां भी है फौरन घर पहुंच। तेरे अमित अंकल जो है तेरे पापा के दोस्त तेरे पापा ने उनकी बेटी प्रिया से तेरे रिश्ते की बात तय कर दी है अब कोई देखना भालना तो है नहीं ना हमें और ना ही उन लोगों को इसलिए वह लोग आज शाम में तुझे शगुन देने के लिए आ रहे हैं " !!!!
उन के अल्फ़ाज़ थे या कोई बम जो ईशा के सर पर ब्लास्ट हुआ था और जिसकी गूंज भी सिर्फ उसे ही सुनाई दी थी वह पूरी तरह हिल गई।
" हेलो आरव, तू मेरी बात सुन रहा है ना " ???
कुछ देर तक कोई जवाब ना पाकर उसकी मां ने दोबारा पूछा ईशा के हलक में आंसुओं का गोला अटक चुका था इसलिए वह बोलने के लिए काबिल नहीं थी बहुत मुश्किल से सिर्फ हूं ही कर सकी।
" हूं " !!!!
" और सुन मैं तेरी व्हाट्सएप पर प्रिया की फोटो भेज रही हूं देख ले " !!!
उन्होंने आगे कहा था और इससे ज्यादा सुनना ईशा के बस में नहीं था उस ने उठाकर फोन कट कर दिया।
फोन को साइड में रखने के बाद वह सर झुका कर बे आवाज बैठी रो रही थी।
फोन दो तीन बार रिंग हुआ लेकिन उस ने साइड बटन से साइलेंट कर दिया।
" हेलो प्रिंसेस बात सुनो " !!!
आरव वापस आया तो उसे सर झुकाए बैठे देख कर आवाज दी लेकिन वह उसी पोजीशन में बैठी रही सर नहीं उठाया।
" ईशा बात सुनो मेरी, इधर देखो मेरी तरफ " !!! आरव नें आवाज दी तो उसने सर उठाया आंसुओं से भरी आंखें आरव तड़प गया।
" क्या हुआ ईशा, रो क्यों रही हो तुम?? किसी ने कुछ कहा है क्या। लेकिन यहां तो कोई है भी नहीं कौन तुम्हें कुछ कहेगा " ???
आरव ने एक साथ सवालों की बौछार लगा दी अभी ईशा कोई जवाब देती कि आरव का मोबाइल एक बार फिर से बज उठा।
" आरव ने फोन उठा कर देखा स्क्रीन पर मां का नाम ब्लिंक हो रहा था उस नें भी मोबाइल साइलेंट करके साइड में रख दिया और फिर से ईशा की तरफ देखने लगा " !!!
" मां से बात कर लो हो सकता है कोई अर्जेंट काम हो " !!!
भीगी भीगी आवाज के साथ उसने कहा था।
" बाद में कर लूंगा उनसे बात मैं, तुम बताओ पहले रो क्यों रही हो " ???
आरव तो उसकी जरा जरा सी बात पर परेशान हो जाया करता था अब तो वह रो रही थी तो फिर कैसे वह ना तड़पता।
" उनसे बात कर लो। उन्होंने तुम्हारा रिश्ता तय कर दिया है तुम्हारे पापा के दोस्त की बेटी से जिस की उन्होंने पिक्चर भी तुम्हें व्हाट्सएप की है और शाम में वह लोग तुम्हें शगुन भी देने के लिए आ रहे है " !!!
रोने से उसकी आंखें और नाक दोनों सुर्ख हो चुकी थी आवाज भी भीगी भीगी हुई थी।
" तुम्हें किसने बताया यह सब " ???
आरव ने बहुत हैरान हो कर ईशा की तरफ देखा।
" अभी तुम्हारी मां का फोन आया था मैंने रिसीव कर लिया लेकिन मैं कुछ बोलती इस से पहले ही उन्होंने पूरी बात बता दी " !!!
ईशा सर झुकाए अपने दोनों हाथों की हथेलियों पर नज़र जमाए बैठी थी।
" तुम परेशान मत हो, मैं आज ही मां से हम लोगों के बारे में बात करता हूं। अभी उनको मैंने तुम्हारा बताया नहीं है इसीलिए उन्होंने मेरी बात वहां तय कर दी है लेकिन देखना उन को मेरी पसंद पर कोई एतराज नहीं होगा बल्कि मैं अभी यहीं तुम्हारे सामने ही उन से बात करता हूं रुको " !!!
उसे तसल्ली देते हुए आरव ने फोन उठाकर मां का नंबर मिलाया और फोन स्पीकर पर डालकर मोबाइल को उन दोनों के बीच में टेबल पर ही रख दिया।
" हेलो आरव " !!!
माँ ने फोन उठाया।
" हां मां आपने कॉल किया था अभी " ???
उस ने पूछा।
" हां किया था लेकिन तूने कोई जवाब ही नहीं दिया , बिना जवाब दिए ही फोन काट दिया। क्या बात है , कहां है तू और कितनी देर में घर पहुंच रहा है " ???
मां ने पूछा।
" अभी घर क्यों मां कोई खास काम है क्या " ???
" हां भई तुझे अभी बताया तो है मैंने कि तेरे पापा ने तेरा रिश्ता तय कर दिया है और वह लोग शाम को तुझे शगुन देने के लिए आ रहे है तो आकर मेरे साथ थोड़ी सी तैयारी करा दे शाम के लिये " !!!!!
उन्होंने अपनी पहले कही हुई बात एक बार फिर आरव के सामने दोहरा दी।
" मां मैंने आपसे कल कहा था ना कि मुझे आपसे कोई बात करनी है " ???
उनकी बात के जवाब में आरव ने कहा।
" हां कहा था लेकिन अभी इन सब बातों का वक्त नहीं है तू जल्दी से घर आकर मेरे साथ तैयारी करा दे। उसके बाद मैं तेरी बात भी सुन लूंगी "
उन्होंने उस की बात सुनने से इनकार कर दिया।
" नहीं माँ , वह बात अभी ही सुनने की है तुम पहले मेरी बात सुनो " !!!
उस नें जिद्दी अंदाज़ में कहा।
" बहुत जिद्दी है तू आरव, हां बता क्या बात है इतनी जरूरी जो तुझे अभी करनी है " ???
उसकी मां ने बेटे की जिद के आगे हथियार डाल दिए।
" मां आप अमित अंकल की बेटी प्रिया के लिए उन लोगों को मना कर दो क्योंकि मुझे कोई और लड़की पसंद है मैं रात आपको यही बताने वाला था लेकिन वह बात बीच में ही रह गई " !!!!
आरव ने ईशा की तरफ देखते हुए कहा फोन स्पीकर पर ही था वह भी सारी बात सुन रही थी उसे भी हल्की सी उम्मीद हो गई थी।
" यह क्या कह रहा है तू आरव तूने पहले यह बात क्यों नहीं बताई अब तो तेरे पापा नें तेरे अमित अंकल से वादा कर लिया है और तू जानता है कि वह अपने वादे के कितनी पक्के है वह जान तो दे सकते है लेकिन वादा नहीं तोड़ सकते" !!!!
आरव की माँ के लहजे में लाचारी के साथ-साथ अफसोस भी था।
" लेकिन माँ ऐसा नहीं हो सकता, मैंने भी तो उस लड़की से वादा किया है और मैं भी अपना वादा नहीं तोड़ सकता " !!!!
आरव ने कहा।
" तो बेटा तू यह भी भूल जा कि तेरे पापा अपना वादा तोड़ेंगे और एक बात और मैं भी तुझे सपोर्ट नहीं कर सकती क्योंकि तुझे पता है डॉक्टर्स पहले ही कह चुके हैं कि अब दो अटैक्स के बाद उन्हें हम कोई टेंशन नहीं दे सकते वरना तीसरे हार्ट अटैक का खतरा है " !!!!
मां ने साफ मना किया तो आरव ने सर उठाकर ईशा की तरफ देखा था आंसू जो उसने इतनी देर से कंट्रोल किए हुए थे अब भल भल बहने शुरू हो गए थे।
" ठीक है मां मैं तुमसे बाद में बात करता हूं "
आंसू साफ करने के बाद ईशा ने रुमाल अपने पर्स में रखा और उठ खड़ी हुई तो आरव भी माँ को बाय कहता हुआ फोन काट कर उसके साथ खड़ा हो गया।
वह तेज़- तेज़ कदमों से चलती आगे आगे चली जा रही थी। आरव बिल पे करने के बाद उसके पीछे आया तब तक वह काफी आगे जा चुकी थी।
" ईशा, ईशा बात सुनो । बात तो सुनो यार " !!!
वह उसे आवाज़ें देता उसके पीछे पीछे भागने के अंदाज़ में जा रहा था लेकिन वह रुक नहीं रही थी।
" ईशा मेरी बात तो सुनो यार " !!!
उसने तेज़ी से जाकर पीछे से उसका हाथ पकड़ लिया।
" क्या बात सुनूं ,कुछ रह गया है क्या अभी सुनने को " ??
ईशा आंसू भरी आंखों के साथ पलटी तो आरव के दिल को कुछ हुआ था।
" यार मुझे टाइम तो दो, मैं मां से बात करूंगा ना। मुझे यकीन है कि वह मान जाएगी और मेरी बात कभी रद्द नहीं करेंगी " !!!
आरव नें उसे मनाने की कोशिश की।
" कैसे मानेंगी जवाब सुन तो लिया है तुमने उनका। और बात सुनों तुम्हारे पापा हार्ट पेशेंट हैं दो अटैक उनको ऑलरेडी आ चुके है अब और मैं भी तुम्हें इसकी इजाजत नहीं दूंगी कि तुम उनकी ज्यादा तबीयत खराब होने की वजह बनो " !!!
ईशा ने दो टूक अंदाज में कहा।
" यह क्या कह रही हो ईशा तुम। मैं तो ऐसा सोच भी नहीं सकता, तुम्हारे बगैर किसी और से शादी का तो ख्याल ही मेरे लिए मरने जैसा है " !!!
आरव ने तड़प कर कहा।
" मुझे भूल जाओ आरव, हम दोनों के लिए यही बेहतर है " !!!!
ईशा ने कहा और पलट कर वही खड़ी टैक्सी में बैठ गई क्योंकि आते हुए तो वह लोग आरव की कार से आए थे।
" चलो भैया जल्दी चलाओ एड्रेस में आपको रास्ते में समझाती हूं " !!!
उसने कहा तो ड्राइवर ने टैक्सी आगे बढ़ा दी पीछे आरव उसे आवाज़ें देता रह गया था।
************
जब से ईशा उस से गुस्सा होकर गई थी वह बुरी तरह परेशान था और उसे हजारों कॉलस और मैसेज कर चुका था लेकिन उसने उसकी एक भी कॉल का जवाब नहीं दिया।
वह उसके घर भी गया था लेकिन सर्वेंट ने आ कर बताया कि मैडम अपने कमरे में हैं और किसी से मिलना नहीं चाहती तो काफी देर इंतजार करने के बाद भी उसे ऐसे ही उठ कर वापस आना पड़ा।
इधर प्रिया के घर वाले आकर उसको शगुन भी देकर चले गए थे। आरव बहुत बुरी तरह से परेशान हो चुका था एक तरफ उसकी फैमिली थी तो दूसरी तरफ ईशा।
ना तो वह अपने कारण अपने पिता को दुख पहुंचा सकता था क्योंकि वह उनसे बहुत प्यार करता था लेकिन ईशा के बगैर भी रहने का वह सोच नहीं सकता था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि सब कुछ ठीक चलते चलते अचानक से यह क्या हो गया।
शाम से लगातार वह उसे फोन किए जा रहा था पहले तो बैल जाती रही लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया उसके बाद बैल जानी भी बंद हो गई और जब भी वह फोन करता स्विच ऑफ हुआ फोन उसको मुंह चिढ़ा रहा होता।
उसको समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे कहां जाए किस से मशवरा करें।
उसका तो कोई ऐसा क्लोज फ्रेंड भी नहीं था जिस से वह कोई मशवरा ले सके।
अगले दिन भी पूरा दिन वह ईशा को कॉल और मैसेजे्स करता रहा लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। वह हॉस्पिटल भी गया लेकिन वह वहां पर भी नहीं थी वॉर्ड बॉयस ने बताया कि वह कुछ दिनों के लीव पर है " !!!!
************
ईशा नहाने के लिए जा रही थी तो कबर्ड से कपड़े लेने के लिए घुसी वहां रखे आरव के दिए गिफ्ट्स को देखकर उसका घाव फिर से हरा हो गया।
आरव की वजह से ही उसे हॉस्पिटल से भी लीव ले ली थी और अपना फोन भी स्विच ऑफ कर दिया था क्योंकि आरव समेत इस वक्त वह किसी से भी बात नहीं करना चाहती थी।
उसने सारे गिफ्ट और ज्वेलरी और ड्रेसेस जूते सब उठाकर एक बैग में रखे और उसे पैक करके रख दिया। नहा कर आने के बाद उसका इरादा आरव की तरफ जाकर उसको वह सारे गिफ्ट्स वापस करने का था।
फ्रेश होकर आने के बाद उसने पहले तौलिये से अपने गीले बाल सुखाए। फिर जल्दी-जल्दी उन में कंघा किया और बैग उठाकर मां को इन्फॉर्म करती बाहर निकल आई।
गेटकीपर उसे पहचान गया था उसने उसे देखते ही गेट खोल दिया तो वह अपनी गाड़ी अंदर ले आई।
गाड़ी पार्क करने के बाद उस नें उस में से रखा बैग निकाला और उसे उठाकर घर में अंदर की तरफ चली आई।
" आरव कहां है " ???
उसने वहां मौजूद सर्वेंट से पूछा।
" जी आरव बाबा तो अपने कमरे में हैं " !!!
सर्वेंट ने बताया तो वह बैग उठाकर आरव के कमरे की तरफ चली आई।
दो-तीन बार दरवाजा नॉक करने के बाद आरव नें दरवाजा खोला वह कुछ बोलने ही वाला था लेकिन दरवाजे पर उसे खड़े देखकर चुप रह गया और अंदर आने के लिए साइड होकर रास्ता छोड़ दिया तो वह बैग समेत अंदर आ गई।
" फोन क्यों नहीं उठा रही थी तुम " ???
आरव ने नागवारी से पूछा।
" मैंने तुमसे पहले ही कह दिया था कि मुझे भूल जाओ और इसीलिए आज मैं यहां आई भी हूं। यह लो तुम्हारी अमानत " !!!!
ईशा ने बैग उसकी तरफ कर दिया।
" क्या है इसमें " ???
उसने बैग की तरफ देखकर पूछा उसे ईशा के बिहेवियर पर गुस्सा आ रहा था वह उस की परेशानी को समझ ही नहीं रही थी कि वह कितना परेशान है उसे तो आरव को इस सिचुएशन में सपोर्ट करना चाहिए उल्टा वह उसी पर नाराज हो रही थी।
" तुम्हारे वह सारे गिफ्ट जो आज तक तुमने मुझे दिए हैं सब इसमें मौजूद है। जब हम लोगों को अलग होना ही है तो यह चीजें रख कर क्या फायदा इसीलिए मैं आज यह सब वापस करने के लिए आई हूं " !!!
ईशा ने कहा तो आरव का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया उसे ईशा से ऐसी उम्मीद नहीं थी वह तो सोच रहा था कि ईशा कोऑपरेटिव लड़की है परेशानी में उसका साथ देगी। लेकिन ईशा के बिहेविअर ने उसे बहुत नाउम्मीद किया था।
" यह क्या बदतमीजी है ईशा "
उस ने अफसोस के साथ ईशा की तरफ देखा।
" और यह लो तुम्हारी दिन जो तुमने मुझे खुद पहनाई थी " !!!!
ईशा ने वह रिंग भी उतार कर उसके हाथ पर रख दी तो आरव से और ज्यादा बर्दाश्त ना हो सका और वह फट पड़ा।
" तुम समझती क्या हो खुद को डॉक्टर ईशा। जब जी चाहा हां कर दोगी जब जी चाहा ना कर दोगी। और तुम क्या समझती हो मैं यहां बहुत खुश हूं मैं मजे में हूं। तुमसे ज्यादा परेशान हूं मैं, एक तरफ तुम हो और दूसरी तरफ मेरी फैमिली मैं दोनों में से किसी को भी परेशान नहीं कर सकता। लेकिन ऐसी सिचुएशन में मुझे सपोर्ट करने के बजाय और तुम उल्टा मेरे लिए और ज्यादा टेंशन पैदा कर रही हो " ???
आरव ने अपना सारा गुस्सा ईशा पर निकाल दिया।
" सॉरी " !!!
ईशा कहकर रोते हुए पलट गई तो आरव को अपने लहजे और गुस्से का एहसास हुआ था वह सॉरी करता हुआ उसके पीछे पीछे आया लेकिन वह रोती हुई तेजी से बाहर निकल आई।
" ईशा मेरी बात सुनो , सॉरी यार गलती हो गई मैं परेशान था बस इसीलिए सारा गुस्सा तुम पर निकल गया आई एम सॉरी। ईशा मेरी बात तो सुनो यार " !!!!
आरव उसे आवाज़ें देता उसके पीछे पीछे आया था लेकिन वह अपने आंसू साफ करती हुई भागने क से अंदाज में जल्दी-जल्दी बरामदा क्रॉस करके पार्किंग में पहुंची और अपनी गाड़ी में बैठ गई।
" ईशा मेरी बात सुनो आई एम सॉरी यार मेरी बात तो सुनो तुम " !!!
उसने गाड़ी के विंडो ग्लास को अपनी फिंगर से नॉक किया था लेकिन ईशा ने रोते हुए कार को टर्न किया और सीधी बाहर निकल गई।
" शिट्ट " !!!
वह पाँव पटख कर रह गया।
************
बहुत सोचने के बाद उसे अपनी इस परेशानी का सिर्फ एक ही हल नजर आ रहा था लेकिन उसमें कामयाबी के चांसेस सिर्फ दो या चार परसेंट थे।
उसने यह सोचा कि वह उस लड़की प्रिया से बात करे और उसे बताए कि वह ईशा को पसंद करता है। इस से यह होगा कि वह लड़की को प्रिया अपने पापा को इंकार कर देगी और इस तरह आरव के पापा को अपना किया हुआ वादा भी तोड़ना नहीं पड़ेगा लेकिन इसमें कामयाबी के चांसेस बहुत कम थे। क्योंकि आरव तो हजारों लड़कियों का आइडियल था इतना गुड लुकिंग चारमिंग और मेजर भी। कौन लड़की उसके लिए मना करती।
ईशा के फोन रिसीव ना करने पर वह बिल्कुल मायूस हो गया तो उसने अपने इसी प्लान पर काम करने का सोच कर प्रिया का नंबर लेने के लिए अपनी बड़ी बहन को फोन मिलाया।
" हेलो हां दी बात सुनो " !!!
बहन के फोन उठाते ही आरव ने कहा।
" दी मुझे प्रिया का नंबर चाहिए। तुम्हारे पास अगर है तो प्लीज़ मुझे सेंड कर दो" !!!!
उसने बिना इधर-उधर की बातों में टाइम वेस्ट किए सीधा पॉइंट की बात की तो उसकी दी हंसने लगी।
" भैया अभी आधा दिन हुआ है तेरी सगाई को और तुझे अभी से उसका नंबर चाहिए । क्या बात है मेरा फौजी भाई तो बड़ा रोमांटिक है " !!!
दी नें हंसते हुए कहा।
" अरे दी प्लीज यार फालतू बात नहीं करो । मेरे पास बिलकुल टाइम नहीं है। आपके पास अगर उसका नंबर है तो मुझे सेंड करो फौरन " !!!
आरव झल्लाया।
" अरे अरे धीरज रखो धीरज भैया इतनी क्या जल्दी है हां है मेरे पास उसका नंबर में सेंड कर रही हूं तुझे अभी " !!!!
उसकी दी ने हंसते हुए कहा।
" ठीक है जल्दी सेंड करो " !!!
उसने उकताए हुए लहजे में कह कर फोन रख दिया।
कुछ ही देर बाद उसकी स्क्रीन पर दी का मैसेज ब्लिंक हो रहा था जिसमें उन्होंने प्रिया का नंबर उसे सेंड किया हुआ था।
उसने जल्दी से व्हाट्सएप ऑन करके उसका नंबर सेव किया और डायल कर दिया।
प्रिया से बात करने के बाद उस के दिमाग़ को कुछ सुकून मिला था।
प्रिया ऑलरेडी किसी लड़के को पसंद करती थी लेकिन उस के पेरेंट्स नें भी उस की नॉलेज में डाले बग़ैर उस की सगाई आरव के साथ तय कर दी थी।
प्रिया ने जब उसे बताया तो उसे तो जैसे सारी दुनिया की दौलत मिल गई थी।
" तुम उस लड़के से बात करो और बोलो कि वह तुम्हारे घर रिशता भेज दे ताकि तुम इंकार कर सको " !!!
आरव ने कहा।
" मैंने माँ से इस बारे में बात की है। और उन्होंने आप के पापा को मना करने के लिये साफ़ मना कर दिया है " !!!!
प्रिया ने बताया तो उस के सर पर एक नयी फिक्र सवार हो गयी।
***********
7
ईशा से बात करने के लिए आज वह फिर से हॉस्पिटल पहुंच गया पर वह लीव पर नही थी और उसे वहीं स्टाफ़ रूम में ही बैठी मिल भी गई मौक़ा अच्छा था वह अकेली थी आरव बात कर सकता था।
“ ईशा मेरी बात सुनों “ !!!!
उस ने कहा
“ मुझे कोई बात नही सुननी और है भी तो कुछ नही सुनने को “ !!!
“ अच्छा ठीक है तुम मेरे साथ चलो अगर मैं गलत हुआ तो बेशक तुम्हारा जो दिल चाहे वही करना “!!!
उस ने कहा तो ईशा कुछ नही बोली शायद वह खुद भी आरव को मौक़ा देना चाह रही थी। लंच टाईम भी हो रहा था तो वह बिना कुछ कहे खामोशी से उठ कर उस के साथ चल पड़ी।
वह उसे उसके फेवरिट रेस्टोरेंट में ले गया था
फिज़ा में चलते म्यूज़िक और उसके बहुत क़रीब से आती आरव के क्लोन की महक ने ईशा का मूड पहले से कुछ बेहतर कर दिया था।
“ बैठो , ऑर्डर करो क्या लोगी “ !!!!
आरव उसे इस तरह ट्रीट कर रहा था जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
“ यह फॉर्मेलिटीज़ रहने दें कम टू द प्वाइंट आरव “ !!!
ईशा बिल्कुल सीरियस होकर बोली।
“ मेरी हमारी परेशानी का हल सोच लिया है, इससे पापा भी हर्ट नहीं होंगे और हम लोगों को अलग भी नहीं होना पड़ेगा “ !!!
आरव ने जवाब दिया तो ईशा सवालिया नजरों से उसे देखने लगी।
“ कैसा हल क्या सोचा है तुम ने “ ???
“ मैंने प्रिया से बात की है “ !!!
“ अच्छा तो क्या कहा उसने “ ???
ईशा ने पूछा।
“ तुम्हें ऐसे समझ नहीं आएगा। तुम यह बताओ कि कल फ्री हो क्या अगर फ्री हो तो हमारे फार्महाउस आ जाना हम लोग भी वही जा रहे हैं तुम्हें पूरी बात खुद समझ आ जाएगी। बस इतना समझ लो कि मैंने ऐसा कोई हल निकाल लिया है कि पापा हर्ट नहीं होंगे और हम एक भी हो जाएंगे।“ !!!
आरव ने कहा ईशा को उसकी बात पर भरोसा तो नहीं हुआ था लेकिन कुछ कह नहीं सकती थी इसलिए खामोश रही।
“ चलो अच्छा आर्डर तो करो “ !!!
आरव ने उसका मूड अच्छा करना चाहा।
“ मुझे कुछ नहीं खाना है, अभी लंच टाइम में मैं खा चुकी हूं। आप को जो ऑर्डर करना है कर सकते हैं “ !!!
ईशा के लहजे में अभी तक नाराजगी थी आरव मैन्यू कार्ड उठाकर उसमें से डिशेज़ सिलेक्ट करने लगा उस के बाद उस ने वेटर को इशारा करके अपनी तरफ बुलाया था।
“ तुम मुझ से अभी तक नाराज हो क्या “ ???
उसने मैन्यू कार्ड हाथ से रखते हुए ईशा की तरफ देखकर पूछा इतनी देर में वेटर आ चुका था इसलिए ईशा ने कोई जवाब नहीं दिया और अब मैन्यू कार्ड उठाकर उस में से वेटर को ऑर्डर समझाने लगा।
“ बताओ ईशा नाराज हो क्या तुम मुझ से अब तक “ ???
वेटर के जाने के बाद आरव ने अपना सवाल दोहराया ।
“ मैं नाराज या खुश नहीं हूं बस मेरा इस वक्त आप के किसी सवाल का जवाब देने का कोई मूड नहीं है इसलिए प्लीज क्लोज दिस टॉपिक “ !!!
ईशा ने जवाब दिया चेहरे से बेज़ारियत जाहिर हो रही थी।
“ अच्छा ठीक है ,यह तो बता दो कल फार्महाउस आओगी या नहीं “ ???
उसका मूड खराब देख कर आरव ने और ज्यादा बात करना सही नहीं समझा।
“ पता नहीं कल के schedule के हिसाब से देखती हूं वक्त हुआ तो आ जाऊंगी “ !!!
वेटर उसका आर्डर लेकर आ चुका था ईशा खामोश हो गई।
“ अच्छा ठीक है नाराजगी मुझ से है ना खाने से तो नहीं सो यह खा लो प्लीज़ “ !!!
आरव ने कहा तो उसने और ज्यादा बहस करना सही नहीं समझा और चुपचाप खाने लगी तो आरव भी अपनी प्लेट की तरफ झुक गया।
“ पता नहीं फॉर्म हाउस में क्या है ऐसा कौन सा फैसला लिया है आरव नें जो कि उनके बताने से मुझे समझ नहीं आता और वह मुझे फॉर्म हाउस जाकर ही पता चलेगा “ !!!
आरव के साथ रेस्टोरेंट से वापस आने के बाद से लगातार उसके दिमाग में यही चल रहा था इन्हीं सोचों में घिरे घिरे शाम और शाम से रात हो गई।
“ ईशा बेटा बात सुन “ !!!
मां उसे खाने के लिए बुलाने आईं तो उसे खामोश किसी सोच में गुम बैठे देख कर परेशान हो गई।
“ आं....हां...जी मां “ ???
वह अपनी सोचो से चौकी थी।
“ क्या बात है किस सोच में गुम है बेटा । कई दिन से देख रही हूं तू बहुत ज्यादा परेशान लग रही है। क्या बात है हॉस्पिटल में कोई बात हुई है क्या या फिर से कोई पेशेंट ऐसा है जिसकी तुझे टेंशन हो रही है। बेटा मैंने तुझे कहा है ना कि तेरा प्रोफेशन ऐसा है कि तुम लोगों का ऐसे लोगों से वास्ता पढ़ता रहेगा अब तू यूं हर किसी के लिए खुद को परेशान करेगी तो कैसे चलेगा “ ???
माँ उसे परेशान देखकर खुद भी परेशान हो गई यह माँऐं कितनी प्यारी होती है अपनी औलाद को किसी परेशानी में नहीं देख सकती। ईशा को उन पर ढेरों प्यार आया और खुद पर अफसोस भी हुआ कि उसकी वजह से उसकी मां परेशान हो रही है।
“ कोई खास बात नहीं है माँ आप परेशान ना हो आप बताएं क्या कह रही थी “ ???
“ मैं तो तुझे खाने के लिए बुलाने आई थी और हां एक और बात है जो मैं कई दिन से तुझे करना चाह रही हूं लेकिन तेरे पास वक्त ही कहां है “ !!!
मां ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा।
“ नहीं मैं ऐसी बात नहीं है आपके लिए तो मेरे पास वक्त ही वक्त है कहें क्या बात है, क्या कहना चाह रही थी आप। कोई काम है क्या मुझसे” ???
“ हां काम तो है, लेकिन पहले तू खाना खा ले उसके बाद बताऊंगी मैं “ !!!
“ नहीं माँ अभी बताएं। और वैसे भी मुझे भूख नहीं है मैं खाना बाद में खा लूंगी आप इत्मीनान से बैठें और ब बताएं मुझे क्या बात है “ ???
उसने मां का हाथ पकड़ कर अपने पास बैठा लिया।
“ मेरी दोस्त है ना नीलू उसकी कोई जानकार है वह अपने बेटे के लिए लड़की देख रही थी उन्होंने नीलू के यहां फंक्शन में तुझे देखा तो तू उन्हें पसंद आ गई तब से वह तेरे रिश्ते के लिए नीलू से कह रही थीं लेकिन नीलू शहर में नहीं थी कल वह आई है। और कल ही उसने मुझ से यह बात की है तब से मैं इस इंतजार में थी कि तू कब फ्री हो और मैं तुझसे बात करूं “ !!!!
उन्होंने अपनी बात पूरी की जिसे सुनकर ईशा खामोश रह गई वह ना तो हां कर सकती थी और ना ही ना।
“ बोल बेटे क्या जवाब है तेरा , अगर तू कहे तो मैं उनको बुला लेती हूं बाकी अगर तुझे मना करना है तो कोई जबरदस्ती नहीं है हम कभी कहीं और देख लेंगे। लेकिन उनका बेटा बहुत अच्छा है नीलू ने मुझे फोटो दिखाई थी और अपना बिजनेस है इसलिए मैं कहती हूं कि यहां हो जाए तो ज्यादा बेहतर है “ !!!
उसकी हालत से बेखबर मां कह रही थी।
“ मां, क्या इस सवाल का जवाब आज ही देना जरूरी है “ ???
उस ने अपने अंदर की टूट-फूट की खबर मां को नहीं होने दी और खुद को संभाल कर उनसे पूछा।
“ नहीं बेटा जरूरी नहीं है अभी , तू अपना टाइम ले सकती है 1,2 दिन में मुझे सोच कर बता देना “ !!!
मां ने प्यार से उसके माथे पर से बाल पीछे किये।
“ ठीक है ना मैं आपको एक-दो दिन नहीं कल ही जवाब दे दूंगी, बस आप कल तक रुक जाएं “ !!!
उसने उनका हाथ अपने हाथ में लेते हुए मुस्कुरा कर कहा तो उनकी कुछ टेंशन भी कम हुई थी।
“ ठीक है चल उठ और खाना खा ले। देखो तो दो-तीन दिन से जो परेशान है कितना जरा सा मुंह निकल आया है “ !!!!
मां ने खड़े होते हुए कहा तो वह भी उनके साथ साथ खड़ी हो गई।
*************
8
फॉर्म हाउस से वापसी पर उसने हॉस्पिटल जाने का इरादा कैंसिल करके घर का रास्ता लिया स्कूटी पार्क करने के बाद किसी को कुछ बताए बगैर वह सीधी अपने कमरे में पहुंची और दरवाजा लॉक करके अंदर बैठ गई।
घुटनों में सर दिये वह बहुत बुरी तरह से रोए जा रही थी। उसकी किसमत ने कैसा पलटा खाया था जो शख्स कल तक उसके लिए जान देने पर तुला हुआ था। आज उसने किसी और लड़की से मंदिर में शादी कर ली और उसे भनक तक नहीं पड़ने दी।
उसे याद आया कल रेस्टोरेंट में आरव ने उसे कहा था कि वह सब हालात उसे यहां ऐसे नहीं बता सकता। इसके लिए उसे फॉर्म हाउस आना पड़ेगा शायद वह इसीलिए नहीं बता पा रहा था क्योंकि उस ने काम ही ऐसा किया था। इसलिए वह डायरेक्ट सबूत के साथ उसे बताना चाहता था ताकि उसे जुबान से कुछ कहना भी ना पड़े और उसकी बात ईशा को समझ भी आ जाए।
उस की बात याद करते-करते वह अचानक फिर से फफक पड़ी।
बहुत देर तक रोने और टेंशन की वजह से उसका सर दर्द से फट रहा था। उसने खड़े होने की कोशिश की तो चक्कर आ गए। संभलने के लिए उसने पास रखी कबर्ड को थामना चाहा लेकिन उस के पास पड़ी किसी चीज पर ईशा का पाँव स्लिप हुआ था वह बैलेंस नहीं बना सकी और गिर गई उसके बाद उसे कुछ होश नहीं था।
काफी देर बाद उसे होश आया तो उसने खुद को हॉस्पिटल के बिस्तर पर पाया था चारों तरफ माँ पापा और भाई भाभी सब खड़े थे सबकी आंखें उसी की तरफ लगी हुई थी कि कब उसे होश आए।
“ माँ इसे होश आ चुका है देखो यह जाग गई है “ !!!
भाभी की खुशी भरी आवाज पर माँ ने अचानक सर घुमा कर उसकी तरफ देखा तो उसकी आंखें खुली देखकर निहाल हो गई।
“ मेरी बच्ची , मेरी जान मेरी बेटी जाग गई तू, क्या बात है बेटे क्या हुआ तुझे बेहोश क्यों हुई थी क्या बात है कोई परेशानी है कोई तकलीफ है तो हमसे शेयर कर हम उसे दूर करने की पूरी पूरी कोशिश करेंगे “ !!!!
मां की आंखों से खुशी के आंसू बह रहे थे वह कभी उसके माथे पर प्यार करती तो कभी दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर चूम रही थीं।
उनकी परेशानी देखकर ईशा को अपने ऊपर अफसोस हुआ।
“ मां मैं बहुत बुरी हूं ना, मैंने परेशान कर दिया ना आप लोगों को “ !!!!
वह रोते-रोते कह रही थी।
“ नहीं बेटा , किसने कह दिया कि तुम बुरी हो। तू तो मेरी बहुत प्यारी सी बच्ची है जिसको सब का दुख महसूस होता है तो फिर ऐसा कौन सा दु:ख था जिसने तुझे इस हाल में पहुंचा दिया “ !!!
वह एक हाथ से उस का हाथ थामें दूसरे हाथ से उसके बालों को माथे से पीछे करते हुए प्यार से पूछ रही थी।
“ कुछ नहीं हुआ मां , बस थोड़ा चक्कर आ रहे थे इसीलिए बैलेंस नहीं बना और मैं गिर गई। परेशानी वाली कोई बात नहीं है आप फिक्र नहीं करें मैं बिल्कुल ठीक हूं “ !!!!
वह उन को परेशानी से बचाने के लिए तसल्ली दे रही थी अब उनको क्या बताती कि जिस की वजह से वह इस हाल में पहुंच गई है वह तो बड़े मजे से है उसे तो कोई परवाह ही नहीं है।
सोचते सोचते उसकी आंखों में आंसू आ गए थी जो उसने सबकी नजर बचाकर साफ कर लिए।
“ लेकिन तुझे हुआ क्या था गुड़िया , अचानक से ही इतने ज्यादा चक्कर क्यों आ गए थे। तेरी तबीयत तो ठीक है “ ???
उसकी बात सुनकर भाई को भी फिक्र हो गई।
“ जी भाई सब ठीक है, बस थोड़ा सा कमजोरी हो रही थी शायद उसी वजह से यह चक्कर आए हैं “ !!!
उसकी तसल्लियों से वह लोग इत्मीनान नहीं कर पा रहे थे।
“ मां बात सुने “ !!!
उसने आहिस्ता आहिस्ता उठ कर बैठते हुए मां को आवाज दी।
“ हां ...हां बेटा बोल यही हूं मैं, बता क्या बात है “ ???
मां ने उसके सर के नीचे अपने हाथ से सहारा देते हुए उस को बिठाया था।
“ आपने कल मुझ से वह नीलू आंटी वाले रिश्ते के लिए पूछा था ना , आप उन लोगों को आने के लिए कह दो मां मुझे कोई एतराज नहीं है इस रिश्ते पर “ !!!!
उसने चकराते सर को थामते हुए मां को खुशखबरी सुनाई।
“ फिक्र ना कर बेटा, मैं उन लोगों को मना कर दूंगी आने के लिए अगर तू नहीं चाहती है तो लेकिन तू टेंशन मत ले “ !!!!
मां को लगा शायद उस ने उस रिश्ते की भी टेंशन नहीं है।
“ गुड़िया , अगर तेरी कहीं मर्जी है तो हमें वह बता दे। हमें कोई एतराज नहीं होगा तेरी मर्जी पर। क्योंकि हमें पता है कि तू जिसे पसंद करेगी वह बेस्ट ऑफ द बेस्ट ही होगा “ !!!
मां की बात सुनकर भाई ने भी उसकी तरफ देख कर कहा तो उसे उन सब पर बेहद प्यार आया था जो उस की वजह से इतने परेशान हो गये थे।
“ नहीं भाई, मैं किसी को पसंद नहीं करती जहां आप लोगो को सही लगे वहां देख लें मुझे कोई ऐतराज़ नही है “ !!!
उस ने एक ज़ख्मी सी मुस्कुराहट के साथ कहा तो भाई और माँ उस की इस फरमाबरदारी पर बहुत खुश हो गये।
“ कुछ लोग हमारी जिंदगी में सिर्फ सबक देने के लिए आते हैं “
उस को कहीं पढ़ी हुई यह बात याद आई तो दिल में टीसें सी उठने लगी।
शायद आरव उन्हीं लोगों में से था। जो ईशा को यह सबक देने के लिए उसकी जिंदगी में आया था कि हर किसी पर इतनी जल्दी भरोसा नहीं करना चाहिए।
“ अपनी पावर का नाजायज फायदा उठाना इसे ही कहते हैं। उसने ऐसा इतने आराम से इसलिये कर लिया कि वह जिस पोस्ट पर है उसे नुकसान तो कोई पहुंचा नहीं सकता। लेकिन किस्मत की लाठी बे आवाज होती है। मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगी मेजर आरव याद रखना कभी माफ नहीं करूंगी “ !!!!
वह बे आवाज रोते हुए कह दिल ही दिल में कह रही थी।
हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर आने के बाद से वह लगातार गुमसुम थी।
सब पूछ पूछ कर थक गए लेकिन वह कुछ बता नहीं सकी और बताती भी क्या , कुछ था ही नहीं बताने के लिए उसके पास।
आज घर में मेहमान आ रहे थे। वही मम्मी की फ्रेंड नीलू आंटी जो अपनी किसी जान कार के बेटे के लिए रिश्ता लेकर आ रही थीं साथ में लड़का और उसकी मां भी थे।
हालांकि ईशा ने मां को इस रिश्ते के लिए हां कह दी थी लेकिन फिर भी अब तक वह दिमागी तौर पर खुद को इस रिश्ते के लिए तैयार कर नहीं पाई।
जब से माँ ने उन लोगों के आने का बताया उसके सर पर एक अजीब तरह की टेंशन सवार थी और परेशानी यह थी कि वह किसी से कुछ कह भी नहीं सकती थी।
मां ने आज सुबह उसे इसी वजह से हॉस्पिटल जाने से भी मना कर दिया तब से वह लगातार अपने कमरे में ही घुसी हुई थी।
लड़के वालों ने 4:00 बजे आना था और 3:00 बजे से ही भाभी उसे तैयार करने के लिए उसके कमरे में मौजूद थीं।
“ आप जाएं भाभी मैं खुद तैयार हो जाऊंगी “ !!!
वह बे मन से बोली।
“ ठीक है लेकिन बहुत अच्छे से तैयार होना कभी ऐसे ही उठ कर आ जाओ तुम्हारा कुछ पता भी नहीं है “ !!!
भाभी मुस्कुरा कर कहती चली गई तो वह दोबारा उसी तरह बैठ गई।
उस इंसान ने उसके साथ इतना बुरा किया था लेकिन इसके बावजूद भी वह उस से नफरत नहीं कर पा रही थी।
15 20 मिनट उसी पोजीशन में बैठे रहने के बाद दिल ना चाहते हुए भी वह उठ कर तैयार होने चली गई।
ब्लैक कलर का एक सिंपल सी एंब्रॉयडरी वाला ट्राउज़र ड्रेस निकाल कर उसने पहन लिया और बाल बनाने के लिए आईने के सामने आ खड़ी हुई तो अपनी शक्ल देख कर उसे खुद को भी अफसोस हुआ था।
रोने की वजह से उसकी आंखें और नाक सुर्ख हो रही थी और सर भी भारी-भारी था। कोई और टाइम होता तो हरगिज़ वह किसी मेहमान के सामने नहीं जाती लेकिन उस टाइम सिचुएशन ही ऐसी थी कि उसे जबरदस्ती जाना पड़ रहा था।
लड़के वाले आ चुके थे। भाभी उसे लेने के लिए आई तो वह बेड पर पड़ा दुपट्टा उठा कर ऐक साइड डालते हुए उनके साथ साथ चल दी।
सामने ही सोफे पर लड़के की मां और नीलू आंटी साथ बैठी हुई थी और साइड में रखी चेयर पर लड़का खुद बैठा हुआ था लेकिन ईशा ने नज़र उठा कर देखा तक नहीं।
“ बेटा यहां इधर आओ मेरे पास “ !!!
भाभी के साथ जब उसने रूम में क़दम रखा तो उसे देखकर लड़के की मां खड़ी होकर उसके पास आईं और उसका हाथ पकड़ कर अपने बराबर ही सोफे पर बैठा लिया।
“ भाभी जी , बेटी तो बहुत ही प्यारी है आपकी। मैंने तो इसे नीलू के घर पार्टी में जब देखा था तो देखते ही पसंद कर लिया था। नीलू की बेटी के मोबाइल में इसकी फोटो थी तो वह मैंने हमारे राज को भी दिखाई इसे भी देखते ही आपकी ईशा पसंद आ गई थी “ !!!
लड़के की मां ने ईशा की मां से कहा तो वह मुस्कुराने लगी।
“ बेटा आप सर्जन हो, सर्जन्स इतने प्यारे भी होते हैं क्या हम ने तो पहली बार देखा है “ !!!
राज की मां हंसते हुए ईशा की मां से कह रही थी नीलू आंटी भी हंसने लगी।
“ संगीता तुम यकीन नहीं करोगी इसे तो तुम्हारी बेटी देखते ही इतनी पसंद आई थी कि इसका बस नहीं चल रहा था यह इसे अभी इसी वक्त अपने घर बहू बनाकर ले जाए। यह तो आज भी आते हुए भी मुझ से कह रही थी कि शगुन आज ही देकर जाएंगे “
नीलू आंटी ने कहा तो ईशा पर जैसे बिजली गिरी थी। सब इतना ज्यादा जल्दी में भी हो सकता है उसने तो सोचा भी नहीं था।
“ आपकी बात ठीक है भाभी जी लेकिन अभी हमें हमारे घर में और ईशा के चाचा और मामा जी लोगों से भी मशवरा करना है उसके बाद ही हम आप लोगों को कोई जवाब दे सकते हैं प्लीज माइंड मत कीजिएगा आप लोग यह बात” !!!
ईशा की मम्मी ने उन से कहा तो उस की जान में जान आई थी।
“ फिक्र ना करें भाभी जी हम कोई बुरा नहीं मानेंगे।आपकी बात भी ठीक है बेटियों के मामले ऐसे ही होते हैं जानती हूं मैं, मैं भी आखिर को बेटी वाली हूं “ !!!
राज की मां ने जवाब दिया।
“ राज , आप क्या करते हो। किस चीज का बिजनेस है आपका “ ???
विशाल भाई राज से उस के बिजनेस के बारे में बात करने लगे।
इन सब में वह वहां बैठे बोर हो रही थी की थोड़ी ही देर में राज की मम्मी की आवाज आई।
“ संगीता भाभी जी मेरा ख्याल है कि इन दोनों को आपस में भी बात कर लेनी चाहिए एक बार “ !!!
“ जी ठीक है जाओ बेटा ईशा राज को घर दिखाओ “ !!!
ईशा की मम्मी ने कहा।
“ नहीं आंटी रहने दें इसकी कोई जरूरत नहीं है। बल्कि मुझे ऐसा लग रहा है कि इन्हें यहां कंफर्टेबल और ईज़ी भी फील नहीं हो रहा है।“ !!!!
राज ने कहा तो उसने शुक्र भरी नजरों से उसकी तरफ देखा वह खुद भी उसके साथ अलग जाकर बात करना नहीं चाह रही थी।
और फिर सब कुछ जल्दी-जल्दी होता चला गया और सगाई का दिन आ पहुंचा।
सुबह से ही घर में हंगामा मचा हुआ था। मेहमानों के आने जाने का एक तांता बन्धा हुआ था।
फंक्शन शाम का था तो इनवाइटेड गेस्ट ने तो शाम में आना था लेकिन दादी और नानी वाले लोग सुबह से ही घर पर आए हुए थे।
वह अभी तक इस रिश्ते को एक्सेप्ट नहीं कर पाई थी।
“ ईशा तुम जल्दी से तैयार हो जाओ फिर मैं तुम्हें पार्लर लेकर चलती हूं वापस आकर माँ जी के साथ घर में और कामों को भी देखना है मुझे “ !!!
भाभी उसके कमरे में आते हुए बोली।
“ मेरे साथ में कौन जाएगा भाभी “ ???
उसने पूछा चेहरे पर जरा भी सगाई की खुशी नहीं थी। बल्कि ऐसा लग रहा था कि सगाई उसकी नहीं किसी और की हो रही हो।
और फिर सब कुछ जल्दी-जल्दी होता चला गया और सगाई का दिन आ पहुंचा।
सुबह से ही घर में हंगामा मचा हुआ था। मेहमानों के आने जाने का एक तांता बन्धा हुआ था।
फंक्शन शाम का था तो इनवाइटेड गेस्ट ने तो शाम में आना था लेकिन दादी और नानी वाले लोग सुबह से ही घर पर आए हुए थे।
वह अभी तक इस रिश्ते को एक्सेप्ट नहीं कर पाई थी।
“ ईशा तुम जल्दी से तैयार हो जाओ फिर मैं तुम्हें पार्लर लेकर चलती हूं वापस आकर माँ जी के साथ घर में और कामों को भी देखना है मुझे “ !!!
भाभी उसके कमरे में आते हुए बोली।
“ मेरे साथ में कौन जाएगा भाभी “ ???
उसने पूछा चेहरे पर जरा भी सगाई की खुशी नहीं थी। बल्कि ऐसा लग रहा था कि सगाई उसकी नहीं किसी और की हो रही हो।
“ तुम्हारे साथ किसी को जाने की ज़रूरत नही है। मैंने तुम्हारी बुकिंग के लिये मेरी दोस्त सीमा के पार्लर में बात की हुई थी पहले से वहीं जा रही हो तुम। और उसे तो तुम पहले से जानती ही हो तो कोई अजीब नहीं लगेगा तुम्हें वहां पर “ !!!
भाभी ने उसे तसल्ली देते हुए कहा तो वह चुप रही।
“ चलो अच्छा जल्दी से उठ कर तुम फ्रेश हो जाओ ज्यादा टाइम नहीं है हमारे पास। मुझे वापस भी आना है फिर “ !!!
भाभी उसे कहती चली गई तो वह चुपचाप उठकर अलमारी की तरफ कपड़े लेने के लिए बढ़ गई।
फ्रेश होकर पहले उसने गीले बालों को ड्रायर किया फिर उनमें कंघा करने के बाद अपने कमरे से बाहर निकल आई।
“ सुनो रामदीन भाभी को बुला कर लाओ “ !!!
उस ने साइड में काम करते नौकर को आवाज दी तो वह पलट कर उसकी तरफ आ गया।
“ जी ईशा बेबी। “ !!!!
कह कर वह चला गया तो ईशा भी खड़े होकर भाभी के आने का इंतजार करने लगी।
वह आसपास हवाओं में घूरते हुए अपनी किस्मत के इस बुरी तरह पलटा खाने के बारे में सोच ही रही थी कि उसकी नजर पार्किंग एरिया से अंदर आते एक नौकर पर पड़ी जिसने हाथ में बास्केट पकड़ी हुई थी उन बास्केट के पैक करने के तरीके से लग रहा था कि वह सामान इंगेजमेंट में काम आने वाला है लेकिन वह नौकर उनके घर का नहीं था। फिर भी वह ईशा को देखा देखा हुआ सा लग रहा था वह उलझ गई।
“ प्रिया “ !!!
पीछे से भाभी की आवाज़ आई तो वह चौंक कर पलटी।
“ जी भाभी “ !!!
“ क्या बात है , क्या सोच रही हो गुड़िया “ ???
“ कुछ नही बस ऐसे ही “ !!
उस ने वापस पलट कर देखा वह नौकर जा चुका था।
“ अब वहां क्या देख रही हो तुम “ ???
वह जल्दी में थीं उसे अभी तक यूं खड़े देख कर उलझ गयीं।
“ कुछ नही भाभी चलें आप “ !!!
वह सर झटक कर उन की तरफ मुतवज्जह हुई।
“ हाँ चलो ,और रामदीन तुम यह सामान लो और गाड़ी में रखो “ !!!
भाभी उसे कह कर रामदीन की तरफ पलटीं और उस के हाथ में पकड़े बैग की तरफ़ ईशारा करती हुई बोलीं।
“ ठीक है छोटी मैडम “ !!!
रामदीन कह कर वह बैग उठाता गाड़ी की तरफ़ बढ़ गया।
“ तुम भी चलो अब , देर क्यों कर रही हो यहां खड़े रह कर “ !!!
भाभी उसे कह कर आगे बढ़ गयीं तो वह भी उन के पीछे हो ली।
वह पार्लर से वापस आई तो माँ और भाभी उस के इंतेज़ार में दरवाज़े पर ही खड़ी थीं।
पोर्च में गाड़ी रुकी तो ड्राइवर ने खुद उतर कर जल्दी से उस के लिये दरवाज़ा खोला था।
“ अरे वाह मेरी बेटी कितनी प्यारी लग रही है “ !!!
मां ने उसको देखते ही उसकी बलाएं ले डाली फिर पर्स से कुछ नोट निकाल कर उसके सर पर वारे और पास में खड़े नौकर के हाथ में पकड़ा दिए।
“ आओ ईशा मेरे साथ आओ “ !!!
भाभी ने उस का हाथ पकड़कर कार से उतारा फिर एक साइड से उसका लहंगा भाभी और एक साइड से माँ संभालती हुई उस के साथ आहिस्ता – आहिस्ता अंदर की तरफ जाने लगी तो वह भी उनके साथ चल दी कदम मन – मन भारी हो रहे थे।
घर के बाहर गार्डन वाले हिस्से में फंक्शन चल रहा था वही पर स्टेज भी बनाया हुआ था वह लोग उसे उधर ही ले गई।
स्टेज तक पहुंचते-पहुंचते उसे और ज्यादा घबराहट हो रही थी। रस्म के मुताबिक दूल्हा ने ही उसका हाथ पकड़कर स्टेज पर चढ़ाना था और यही मोमेंट था जो उसके घबराहट की वजह था।
स्टेज तक पहुंचकर वह लोग नीचे ही रुक गई।
“ उसे एक अर्जेंट कॉल आ गया था वही सुनने गया है तुम इतने ईशा को तो स्टेज पर बैठाओ। क्या यह इतनी देर तक खड़ी रहेगी “ !!!
भाई ने भाभी को कहते हुए उसे स्टेज पर बैठाने का इशारा किया तो मां और भाभी उसे लेकर स्टेज की बनी हुई सीढ़ियों की तरफ चल पड़ी।
दोनों हाथों से अपना हैवी लहंगा संभालते हुए वह धीमे धीमे जाकर सामने रखे सोफे पर बैठ गई।
उसका किसी से बात करने या कुछ भी देखने को दिल नहीं चाह रहा था इसलिए चुपचाप सर झुका कर बैठ गई।
हंसी मज़ाक चल रहा था।
“ अब तो ईशा दी हमें लिफ्ट भी नही कराऐंगी, जीजू जो आ गए हैं “ !!!
उस की एक कज़िन ने पीछे से कहा तो सब हंसने लगे लेकिन ना तो उस ने कोई रेस्पॉंस दिया और ना सर उठाया बस जैसे बैठी थी उसी तरह बैठी रही।
“ ईशा दी, आज तो आप बहुत प्यारी लग रही है सच सच बताइए यह इंगेजमेंट की खुशी ही है ना “ ???
एक दूसरे का दिल ने कहा तो एक बार फिर सब का कहकहा पड़ा था लेकिन वह इस बार भी मुस्कुरा तक ना सकी।
“ क्या हो गया है ईशा, हल्का सा मुस्कुरा तो दो। ऐसा लग रहा है तुम्हें यहां पर जबरदस्ती बैठाया हुआ हो किसी ने और यह क्या तुम नीचे सर झुका कर बैठ गई हो 1970 की दुल्हनों की तरह सर उपर करो अपना। आजकल कौन बैठता है ऐसे “ !!!
भाभी ने उसके सर के पास को आकर धीरे से उसके कान में कहा तो वह हल्का सा सर को ऊपर करके बैठ गई। नजरें अब भी जमीन पर ही थी।
अचानक भारी मर्दाने जूतों की स्टेज पर चढ़ने की आवाज़ पर वह थोड़ा नर्वस हो गई सर और ज्यादा नीचे झुक गया था।
जैसे ही वह ईशा के पास बैठने लगा सारे कज़िंस और वहां मौजूद बाकी सब लोगों ने हूटिंग शुरू कर दी तो वह बैठते बैठते रुक गया।
“ अरे भाई परेशान मत करो बच्चे को बैठने दो। बैठ जा बेटा तू बैठ जा “ !!!
किसी आंटी की आवाज आई तो सब खामोश हो गए और वह उसके पास बैठ गया तो ईशा का जैसे साँस रुकने लगा था।
“ बेटा मुहूर्त निकला जा रहा है तुम रसम शुरू करो “ !!!
किसी की आवाज आई शक्ल ईशा देख नहीं सकी क्योंकि उस ने सर नीचे झुकाया हुआ था।
“ ईशा बेटा हाथ आगे करो “ !!!
मां ने कहा तो वह ज़रा सा रुख मोड़कर उस की तरफ हुई और हाथ आगे बढ़ा दिया।
“ ऊपर देखो ईशा “ !!!
भाभी की आवाज आई तो उसे ना चाहते हुए भी सर ऊपर उठाना पड़ा।
“ आप “ !!!
अपने सामने आरव को बैठे देख कर उसे जैसे सौ वोल्ट का करंट लगा था वह एक झटके से उठ खड़ी हुई।
*************
9
“आप “!!!
अपने सामने आरव को मौजूद देकर ईशा को सौ वोल्ट का करंट लगा और वह झटके के साथ उठ खड़ी हुई।
“ खड़ी क्यों हो गई ईशा बैठ नीचे , चारों तरफ खड़े सब लोग देख रही है क्या सोचेंगे “ !!!
मां ने उसके बिल्कुल पास आकर धीमें से उसके कान में सरगोशी की।
“ मुझे नहीं करनी है यह सगाई मां , आप इन लोगों को मना कर दो “ !!!
ईशा ने साफ मना कर दिया तो उसकी मां घबरा गई।
“ सगाई नहीं करनी है। क्या मतलब है सगाई नहीं करनी है ?? और क्यों नहीं करनी है क्या कमी है आरव में कितनी अच्छी पोस्ट पर है किस्मत वालों को मिलते हैं ऐसे रिश्ते “ !!!
इस बार माँ ने उसे समझाने के बजाय घुड़क दिया।
“ क्योंकि माँ यह ऑलरेडी शादीशुदा है तो फिर मैं इस से शादी कैसे कर सकती हुं खुद बताओ “ ???
“ अरे वह सब एक गलतफहमी है आरव ने हमे सप सच बता दिया है। अभी तुम यह रिंग सेरेमनी पूरी करो उसके बाद हम भी तुम्हें सब सच बता देंगे लेकिन अभी इतने लोगों के सामने तमाशा मत बनवाओ अपना ना हमारा “ !!!
इस बार माँ ने उसे तेज़ नज़रों से घूरते हुए कहा।
“ मां आप कुछ भी बोलो लेकिन यह सगाई तो मैं नहीं करूंगी, क्योंकि मैंने सब अपनी आंखों से देखा है। और आंखों का देखा हुआ कभी झूठ नहीं हो सकता। आरव आप लोगों को झूठ बोल सकता है लेकिन मुझे नहीं। और जो कुछ मैंने देखा और सुना है उसके बाद मुझे उसकी किसी बात पर कोई यक़ीन नहीं है “ !!!!
ईशा ने साफ़ मना कर दिया तो मां और भाभी सर पकड़ कर रह गईं।
“ बेटे बात सुनो इधर आओ। तुम ईशा को लेकर अंदर कमरे में जाओ मैं आरव को भी भेजती हूं जो मिसअंडरस्टैंडिंग है यह दोनों आपस में क्लियर कर लें उसके बाद ही हम सगाई करेंगे मुहूर्त में अभी आधा घंटा बाकी है “ !!!
आरव की मां भी पहले से सब जानती थी और इस वक्त यह सब देख कर उनको हालात का अंदाजा भी हो चुका था इसलिए वह भी उसी तरफ़ आ गईं और ईशा की भाभी को इशारा किया तो उन्हें भी उनकी बात सही लगी थी। क्योंकि इसके अलावा कोई और चारा भी नही था ईशा किसी भी तरीक़े से आरव से सगाई करने पर तैयार नहीं हो रही थी।
“ चलो ईशा मेरे साथ अंदर चलो तुम “ !!!
उन्होंने एक तरफ से ईशा का लहंगा संभालते हुए उस से कहा तो वह दिल ना चाहते हुए भी उठ कर उनके साथ चल पड़ी।
कमरे के दरवाजे पर पहुंचकर भाभी बाहर ही रुक गई।
“ जाओ ईशा तुम अंदर जाओ और आरव तुम भी इसके साथ जाओ। और प्लीज तुम दोनों जल्दी सब बात क्कलियर करना क्योंकि हमारे पास सिर्फ आधे घंटे का टाइम है आधे घंटे बाद मुहूर्त निकल गया तो आज सगाई नहीं हो पाएगी “ !!!!
उन्होंने कहा तो ईशा सर हिलाकर अंदर की तरफ बढ़ गई उसके पीछे पीछे आरव भी अंदर दाखिल हुआ था दाखिल होने से पहले उसने भाभी को कोई इशारा किया जिस पर उन्होंने सर हिलाकर इशारे से ही जवाब दिया था जो ईशा को बिल्कुल भी समझ नहीं आया।
“ तुम्हारे जो भी डाउट है जल्दी बोलो ईशा क्योंकि हमारे पास ज्यादा टाइम नहीं है। तुमने सुना है ना भाभी ने कहा है कि मुहूर्त में सिर्फ आधा घंटा है “ !!!
ईशा एक लफ्ज़ भी बोले बगैर चुपचाप खड़ी हो गई तो आरव ने बात शुरू की।
“ सगाई तो यह वैसे भी नहीं होगी सो मुहूर्त निकलने ना निकलने से कोई फर्क नहीं पड़ता है “ !!!!
ईशा ने जताती हुई नजरों से आरव को देख कर कहा।
“ क्यों नहीं होगी यह सगाई, क्या परेशानी है तुम्हें मुझ से सगाई करने से। अब तो घर में भी सब राजी हो गए है अब तुम क्यों मना कर रही हो “ !!!!
आरव कुछ उलझी हुई सी नजरों से उसकी तरफ देखकर पूछा।
“ आप यह मुझसे पूछ रहे हो कि मैं क्यों मना कर रही हूं क्या आप वाक़ई नहीं जानते कि मैं क्यों मना कर रही हूं “ !!!
इस बार ईशा के लहजे में तंज़ था।
“ हां पूछ रहा हूं, बताओ क्यों मना कर रही हो “ ???
“ क्योंकि आप एक शादीशुदा इंसान है और एक शादीशुदा इंसान से मैं दोबारा शादी नहीं कर सकती “ !!!
ईशा ने एक-एक लफ़ज़ चबा चबा कर अदा किया था।
“ और तुमसे यह किसने कहा है कि मैं शादीशुदा इंसान हूं “ ???
“ आप भूल गए उस दिन जब मैं फॉर्म हाउस पर गई थी तब मैंने प्रिया को खुद कहते सुना था कि हम लोगों की मंदिर में शादी सब लोगों के लिए शॉकिंग न्यूज़ है “ !!!
ईशा ने याद दिलाया उसको समझ नहीं आ रहा था कि आरव उससे यह सब क्यों कहलाना चाहता है सब उसके सामने ही तो हुआ था।
“ हां बिल्कुल कहा था , मैं यह कब कह रहा हूं कि उसने ऐसा नहीं कहा था “ !!!
“ और फिर भी आप मुझसे उम्मीद कर रहे हैं कि मैं आपसे यह सगाई कर लूंगी क्यों आरव मैं कोई छोटी बच्ची नहीं हूं जिसके कानों का सुना और आँखो का देखा भी आप झुठला सकें “ !!!
ईशा ने बहुत अफसोस के साथ आरव की तरफ देखा कितनी सफ़ाई से वह अपनी झूठ को कवर अप कर रहा था ईशा का नन्हा सा दिल दुख कर रह गया।
“ एक तो तुम फैसला बहुत जल्दी ले लेती हो स्पेशली गुस्से में फैसला लेने में तो तुम बिल्कुल भी देर नहीं लगाती हो ईशा। सियानो ने ठीक ही कहा है कि गुस्से में लिया हुआ फैसला हमेशा बाद में पछतावे की वजह बनता है। जैसे तुमने गुस्से में किसी और से शादी करने का फैसला ले लिया एक बार भी यह नहीं सोचा कि मेरा क्या होगा। “ ???
आरव ने उसकी बांह पकड़ कर उसका रुख अपनी तरफ मोड़ा था।
“ जो भी बात थी आपको मुझे पूरी बात तब ही रेस्टोरेंट में बता देनी चाहिए थी जब आपने मुझे फॉर्म हाऊस आने के लिए कहा था। मैं वहां पर आई और सब मुझे इतना अचानक पता चला इसलिए मैं ज्यादा शॉक्ड हुई। आप मुझे अपनी जुबान से यह सब बता देते तो मैं ऐसे ओवर रिएक्ट ना करती और आपके प्रिया से शादी के फैसले को चुपचाप कुबूल भी कर लेती “ !!!
ईशा ने उसके दोनों हाथ अपने शोल्डर्स से हटा दिए।
“ वैसे ईशा तुम में कॉमन सेंस बिल्कुल भी नहीं है “!!!!
आरव उसे पूरे इतमीनान से कह रहा था।
“ और आपको ऐसा क्यों लगता है “ ???
ईशा ने हैरत से सर उठाकर उस के सुकून भरे चेहरे को देखा जहां पर टेंशन या शर्मिंदगी का दूर-दूर तक नाम व निशान नहीं था।
“ क्योंकि तुम में अगर जरा सा भी कॉमन सेंस होता तो तुम सबसे पहले यह सोचती कि जिस लड़की से मेरी अरेंज मैरिज खुद मेरे पेरेंट्स करवा रहे हैं मैं उससे मंदिर में शादी करके खुद अपने लिए कॉम्प्लिकेशंस क्यों क्रिएट करूंगा “ ???
उस ने कहा तो ईशा वाकई सोच में पड़ गई।
यह ख्याल तो उसको भी आया था लेकिन इस तरफ़ उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया था।
“ अब क्या सोचने लगी हो। यह तो इतना मैस क्रियेट करने से पहले सोचना चाहिए था “ !!!
उसे सोचों में डूबे देख कर आरव ने कहा।
“ लेकिन प्रिया ने तो मंगलसूत्र सिंदूर सब वेयर किया हुआ था तो फिर वह क्या था “ ???
ईशा नें उलझ कर आरव की तरफ देखा।
“ प्रिया की शादी हुई है और मंदिर में ही हुई है लेकिन मुझ से नहीं उसके बॉयफ्रेंड रमेश से “ !!!
आरव ने कहा तो ईशा ने तकरीबन आंखें फाड़ कर उसका चेहरा देखा था।
“ अब क्या इस बात का भी यकीन नहीं है “ ???
इस बार आरव के लहजे में नाराजगी थी।
“ लेकिन यह बात आप मुझे उस दिन रेस्टोरेंट में भी तो बता सकते थे। इतनी मिसअंडरस्टैंडिंग क्रिएट ही ना होती “ ??
“ कैसे बता देता, उस दिन तक तो प्रिया की शादी ही नहीं हुई थी। शादी का मुहूर्त मंडे का निकला था। और उसी दिन मैने तुम्हें भी फॉर्महाउस आने के लिए भी कहा था और क्योकि प्रिया और रमेश ने मंदिर में शादी करने के बाद सीधे हमारे फॉर्महाउस पर ही आना था “ !!!
“ और पहले मैंने तुम्हें इसलिए नहीं बताया कि तुम सुन कर परेशान हो जाती कि ईतना बड़ा काम कैसे होगा। इसलिये मैंने सोचा कि सब हो जाए उसके बाद ही तुम्हें बता देंगे “ ???
“ लेकिन आपको कैसे पता चला प्रिया के बॉयफ्रेंड का “ ??
वह अभी भी उलझी हुई थी।
“ जिस दिन रेस्टोरेंट में तुम्हारे सामने मां का कॉल आया और उन्होनें मेरे और प्रिया के रिशते की बात की उस दिन मैंने घर जाकर उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन उन्होंने हमारे रिश्ते के लिए साफ इनकार कर दिया। अब मेरे पास कोई और ऑप्शन नहीं था सिवाय इसके कि मैं प्रिया को यह सब बता दूं और उस से कहूं कि वह इस रिश्ते से खुद ही मना कर दे।
मैंने उससे बात की तो मुझे पता चला कि जैसे मुझे बिना बताए यह रिश्ता तय कर दिया गया है प्रिया के साथ में सेम वैसा ही हुआ है।
वह किसी और को पसंद करती थी और यह रिश्ता तय होने की बात सुनकर जब उसने अपने बॉयफ्रेंड के बारे में अपनी मां को बताया तू उन्होंने उसके लिए साफ मना कर दिया क्योंकि उसके डैड भी अपने दोस्त यानी के मेरे पापा से किया हुआ अपना वादा नहीं तोड़ सकते थे तब मैंने ही उसे और रमेश को मंदिर में शादी का आईडिया दिया था क्योंकि इसके बाद कोई कुछ नहीं कर सकता था सबको उन दोनों को एक्सेप्ट करना ही पड़ता और मैने प्रिया से वादा भी किया था कि मैं उसके पेरेंट्स को कन्वेंस करने में उसकी मदद करूंगा।
उस टाइम जब तुम फार्महाउस आई तो प्रिया अपनी और रमेश की शादी के बारे में ही बात कर रही थी उस वक्त रमेश वॉशरूम में था इसीलिए तुम्हें यह गलतफहमी हो गई थी कि प्रिया मेरे बारे में बात कर रही है “ !!!
आरव ने एक ही सांस में पूरी बात बताई तो ईशा का शर्मींदगी से सर झुक गया।
वह अपनी जल्दबाजी पर बहुत ज्यादा पछता रही थी। जल्दबाजी के चक्कर में वह कितना बड़ा और कितना गलत फैसला लेने चली थी। और उसने आरव को भी कितना गलत समझा उसे खुद पर अफसोस हो रहा था।
“ आई एम एक्सट्रीमली सॉरी आरव मुझ से सच में बहुत बड़ी गलती हो गई है। मुझे इतना बड़ा फैसला लेने से पहले एक बार आप की बात जरूर सुननी चाहिए थी “ !!!
वह शर्मिंदा शर्मिंदा सी कह रही थी।
“ सॉरी की कोई जरूरत नहीं है तुम्हें अपनी गलती का एहसास हो गया है यही मेरे लिए बहुत है। बस आइंदा जल्दबाजी में कोई फैसला लेने से पहले एक बार ज़रूर सोच लेना। इस बार भी अगर मैं तुम्हारी पहली उसको सब बात बता कर उनसे तुम्हारा रिश्ता। नहीं मांगता तो तुम्हारा बहुत बड़ा नुकसान हो चुका होता और साथ में मेरा भी “ !!!!
आरव ने कहा तो वह जी भर कर शर्मिंदा हुई थी।
“ आरव ईशा तुम लोगों को आंटी जी बुला रहीं हैं कितनी देर लगाते हो तुम लोग बात करने में भी अब भी मुझे भाभी ने भेजा है तुम लोगो को बुलाने के लिये “ !!!
प्रिया उन लोगों को कहती हुई अंदर आई थी।
“ ईशा , यह है प्रिया जिन की वजह से यह सारी मिस अंडरस्टैडिंग क्रिएट हुई है। और यह मैडम मज़े से अपनी शादी इंजॉय कर रही हैं। और अभी तक हमारे फॉर्म हाउस की ही मेहमान हैं क्योंकि इन्होंने अपने घर पर सिर्फ़ फोन से ही अपनी शादी की खबर पहुंचाई है अभी घर वालों को फेस नहीं किया इन लोगों ने” !!!
आरव ने कहा।
“ कोई बात नही, अब आप और मैं मिल कर प्रिया के पेरेंट्स से बात करेंगें और उन्हें समझाऐंगे कि वह इन लोगों को एक्सेप्ट कर लें “ !!!
ईशा ने भी प्रिया की तरफ़ देखते हुए मुस्कुरा कर कहा।
“ चलो भई , अब तुम ले कर आओ ईशा को। मैं बाहर जा कर देखता हूं सब टेंशन में होंगे तो थोड़ा उन की टेंशन का ग्राफ़ नीचे कर दूं “ !!!
आरव कहता हुआ दरवाज़े की तरफ़ बढ़ गया तो ईशा भी लहंगा संभालती धीरे धीरे प्रिया के साथ चल पड़ी।
“ तुम तो पिक्चर्स से भी ज़्यादा प्यारी हो ईशा। तुम्हारी च्वाइस वाक़ई बहुत अच्छी है आरव “ !!!
प्रिया कह कर ईशा को थामते उस के साथ साथ चलने लगी तो आरव मुस्कुरा दिया।
प्रिया उसे बाहर स्टेज की तरफ़ ले गई थी।
“ लीजिये आंटी जी , आ गई आप की बहु “ !!!!
प्रिया ने उस का हाथ आरव की माँ के हाथ में थमाया तो सब मुस्कुरा उठे इस बार सब के साथ ईशा की मुस्कुराहट भी शामिल थी।
“ बेटे अब जल्दी रस्म कर लो, मुहूर्त पूरा होनें में सिर्फ़ दस मिन्ट बाक़ी है “ !!!
आरव के पापा ने कहा।
“ हां हां आरव यह लो बहु को अंगूठी पहना दो “ !!!!
उस की माँ नें रिंग बॉक्स आरव के आगे करते हुए कहा तो आरव ने उस में से रिंग निकाल कर अपने हाथ में ली और दूसरा हाथ ईशा के आगे फैला दिया।
ईशा ने अपना नाज़ुक सा हाथ आरव की चौड़ी हथेली पर रखा तो सब कज़िंज़ नें एक साथ हूटिंग शुरू कर दी।
इसी हँसी मज़ाक़ के बीच आरव नें उसे रिंग पहनाई तो तालियों का तेज़ वहां गूंज उठा।
“ बहुत बहुत बधाई हो आप को “ !!!
आरव और ईशा के पेरेंट्स आपस में गले मिलते हुए एक दूसरे को मुबारकबाद दे रहे थे।
सब में एक खुशी का माहौल बन गया था।
“ हैलो हाँ आरव बात सुनों “ !!
प्रिया ने आरव को फोन लगाया।
वह इस वक़्त अपने घर के बाहर खड़ी थी लेकिन अंदर जाते हुए हिचकिचा रही थी।
“ हाँ बोलो , क्या बात है “ ???
आरव ने फोन रिसीव करते हुए पूछा।
“ मैं और रमेश आज हमारे घर पर बात करने के लिए आए हैं और अभी हम लोग बाहर है अंदर जा ही रहे हैं। पर मुझे डर है कि कहीं वह लोग रमेश के सामने ओवररिएक्ट ना कर दें” !!!
प्रिया ने कहा लहजे में परेशानी थी
“ तुम फिक्र ना करो, बेवजह परेशान हो रही हो तुम यह। ऐसा कुछ नहीं होगा तुम्हारी फैमिली कोई टिपिकल लोअर मिडिल क्लास फैमिली नहीं है जो ऐसे ओवररिएक्ट करेंगे वह लोग। तुम दोनों अंदर जाओ और सब से बात करो , मुझे उम्मीद है कि वह लोग मान जाऐंगे और तुम दोनों को एक्सेप्ट भी कर लेंगे “ !!!
आरव ने उसे तसल्ली दी थी।
“ ठीक है देखते हैं “ !!
प्रिया अभी तक भी परेशान ही थी।
“ ठीक है , अब तुम अंदर जाओ और सब से बात करो उसके बाद जैसे भी हो मुझे बताना , अगर ज़रूरत हुई तो फिर मैं और ईशा तुम्हारी फैमिली से बात करेंगे “ !!
आरव एक बार फिर से ढारस बंधाते हुए कहा तो उस ने हाँ में सर हिलाते हुए फोन कट कर दिया।
“ चलें “ ??
रमेश नें पूछा।
“ हाँ चलो “ !!!
प्रिया ने मोबाइल हाथ में पकड़े हुए वॉलेट में रखा और रमेश के साथ कदम से कदम मिलाते हुए अंदर की तरफ बढ़ गई।
“ गेट खोलो “ !!
उसने चौकीदार से कहा लेकिन चौकीदार अपनी जगह पर वैसे का वैसा ही खड़ा हुआ था।
“ तुम ने सुना नहीं मैंने क्या कहा, गेट खोलो यह “ !!!
प्रिया ने तेज आवाज से कहा लेकिन चौकीदार हाथ बांधे उसी तरह खड़ा रहा था।
“ मैडम क्या कह रही है, तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा है “ ??
इस बार रमेश ने आगे बढ़कर चौकीदार से गुस्से में पूछा।
“ माफ कीजिएगा साहब जी , लेकिन हम गेट नहीं खोल सकते हैं। हमें ऑर्डर है कि प्रिया मैडम को अंदर ना आने दिया जाए। “ !!!
चौकीदार नें रमेश की तरफ देख कर माफी मांगते हुए कहा।
“ क्यों , किसने दिया है यह आर्डर “ ???
प्रिया ने गुस्से से पूछा। रमेश के सामने चौकीदार द्वारा की गई इस बेइज़्ज़ती पर उसका खून खौल उठा था।
“ मैंने “ !!!!
डैड की आवाज पर उस नें सर उठा कर देखा । अपने कोट को सही करते हुए वह अंदर से निकल कर आ रहे थे।
“ डैड आप , देखें यह चौकीदार गेट नहीं खोल रहा है मुझे आपसे और मां से मिलना है डैड। इसे कहिए कि यह गेट खोल दे “ !!!
प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा।
“ कोई जरूरत नहीं है गेट खोलने की, जिस ने भी इन दोनों को अंदर आने दिया उस का आज नौकरी पर आखरी दिन होगा समझे तुम लोग “ !!!
अंश चौधरी ने नौकरों की तरफ देखकर गरजदार लहजे में कहा तो वे सब हाथ बांधकर एक तरफ खड़े हो गए और इस बेइज़्ज़ती पर प्रिया का चेहरा लाल हो गया।
“ चली जाओ यहां से , और आइंदा मुझे यहां पर दिख मत जाना वरना अच्छा नहीं होगा “ !!!
उन्होंने इस बार प्रिया की तरफ देख कर उंगली उठाते हुए उसने वॉर्न किया तो उसकी आंखों में आंसू आ गऐ।
“ अंकल प्लीज़, हमें माफ कर दें। हमारे पास इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं था हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते इसलिए हमें ऐसा कदम उठाना पड़ा “ !!!
इस बार रमेश ने भी हाथ जोड़कर उनसे माफी मांगी थी।
“ दफा हो जाओ तुम दोनों यहां से , मैं तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखना चाहता। तुम दोनों ने जितनी हमारी बेइज़्ज़ती कराई है वह क्या कम है जो अब यहां भी आ पहुंचे “ !!!
अंश चौधरी का गुस्सा इस वक़्त बर्दाशत से बाहर था।
“ डैड आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते, सगी औलाद हूं मैं आप की। तो ऐसे कैसे आप लोग मुझे खुद से दूर कर सकते हैं। मैं माँ से मिले बग़ैर यहां से नहीं जाऊंगी “ !!!
प्रिया आँखे साफ़ करते हुए कह रही थी।
“ तुम्हारी माँ भी तुम से नहीं मिलना चाहती है समझीं तुम। अब दफा हो जाओ यहां से “ !!!
“ लेकिन डैड ....
“ तुम्हारे डैड बिलकुल ठीक कह रहे हैं। तुम्हारी वजह से हमारी सोसायटी में बहुत बदनामी हुई है इसलिये हम नहीं चाहते कि तुम हम से मिलने भी आओ। इस से देखने वालों को यह लगेगा कि इतनी बदनामी के बाद भी हम नें तुम्हें वापस बुला लिया है। अबक्या रही सही इज़्ज़त भी हमारी नीलाम करोगी तुम “ ???
मिसेज अंश चौधरी प्रिया की माँ अंदर से आते हुए उन की बात सुन चुकी थीं उन दोनों की तरफ़ देख कर बोलीं।
“ माँ यह आप कह रही हैं “ ???
प्रिया नें आँखें फाड़ कर माँ को देखा।
“ हाँ ठीक सुना तुम ने , यह मैं ही कह रही हूं। हम नें कितनी अच्छी तरह से तुम्हारी परवरिश की, कभी महसूस तक नहीं होनें दिया कि तुम हमारी सगी बेटी नहीं बल्कि अडॉप्टेड हो “ !!!
प्रिया की माँ बता रही थीं और उस के सर पर जैसे आसमान गिर पड़ा। वह फटी फटी आँखों से माँ को देख रही थी।
“ तुम सच कह रही हो माँ “ ???
प्रिया को लग रहा था वह अब अपनी टाँगों पर खड़ी नहीं रह सकेगी।
“ हाँबिलकुल सच कह रही हूं मैं , किस बात की कमी की हम नें इस के लिये जो इस नें आज हमें यह दिन दिखाया है। किसी को मुंह दिखाने के क़ाबिल नहीं छोड़ा हमें यह हरकत कर के। सही कहते हैं लोग कि जिस खानदान का खून होता है अपना रंग दिखाता ज़रूर है। मैंने इसीलिये आप को मना किया था अडॉप्शन के लिये अंश जी , क्योंकि अपना खून अपना ही होता है। “ !!!
माँ उस की तरफ़ नफरत से देखते हुए डैड से बोल रही थीं। अब प्रिया की ताक़त जवाब दे गई उस ने डबडबाई आँखों समेत अपनें सामने खड़े दो लोगों पर नज़र डाली जिन की इकलौती औलाद समझ कर आज तक वह उन से अपने सारे लाड और ज़िदें पूरी कराती आई थी और वही लोग अब उस से यूं बेगाने हो गऐ थे उस की सोचने समझने की ताक़त बिलकुल खत्म हो चुकी थी।
सुन्न होते दिमाग़ और आँखो के आगे छाते हुए अँधेरे में उस ने रमेश की आवाज़ सुनी थी जो उसे पुकार रहा था इस के बाद वह अपने होश व हवास से बिलकुल बेगाना हो कर ज़मीन पर गिरने ही वाली थी कि रमेश ने तेज़ी से आगे बढ़ कर उसे संभाल लिया।
**********
10
प्रिया की यह हालत देख कर भी उस के पेरेंटस नें कोई नोटिस नही लिया।
अंश चौधरी अपनी कार की तरफ़ बढ़ गए और मिसेज अंश चौधरी पलट कर अंदर चली गयीं तो उन लोगो की बेहिसी पर रमेश का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और वह प्रिया को बाँहो में उठाए पलट कर बाहर की तरफ़ चला गया जहाँ गाड़ी खड़ी थी।
गाड़ी का पिछला दरवाजा खोलकर उस ने प्रिया को अंदर सीट पर लिटाया और दरवाजा वापस बंद करते हुई गाड़ी तेजी से हॉस्पिटल की तरफ दौड़ा दी।
ईशा जो किसी काम से स्टाफ रूम से निकल रही थी एंट्री गेट से आते रमेश को देखकर परेशान हो गई जिसने प्रिया को दोनों हाथों में उठाया हुआ था।
“ क्या बात है रमेश, क्या हुआ है इसे ऐसे क्यों उठाए हुए हो तुम इसे” ???
“ यह बेहोश हो गई है, बाकी सब में तुम्हें बाद में बताऊंगा अभी तुम डॉक्टर्स से कहो कि इसे जल्द ट्रीटमेंट दें “ !!!
प्रिया क्योंकि शॉक के कारण बेहोश हुई थी इसलिए उसे ज़्यादा डर था।
रमेश को यू प्रिया को हाथों में उठाए देखकर कम्पाउडर जल्दी से स्ट्रेचर ले आया था।
“ तुम परेशान ना हो , सब ठीक हो जाएगा मैं प्रिया के साथ ही हूं “ !!!
ईशा उसे तसल्ली देते हुए जल्दी-जल्दी कंपाउडर के साथ अंदर की तरफ बढ़ गई तो वह दोनों हाथों से सर थामें वही बेंच पर बैठ गया उसे समझ नहीं आ रहा था अब क्या करना चाहिए।
फिर कुछ सोच कर उस नें आरव को फोन मिला दिया।
“ हेलो, हां रमेश बोलो “ ??
आरव ने फोन उठाते ही पूछा तो रमेश ने उसे पूरी बात बता दी।
“ व्हाट ?? ऐसे रिएक्ट भी कर सकते है वो लोग मैंने तो कभी सोचा ही नहीं था। और यह अडॉप्शन वाली बात अगर इन्हें तुम लोगों को बताने ही थी तो इस तरह बताने की क्या जरूरत थी कि प्रिया की जान पर ही बन आई और अभी हो कहां तुम लोग ??” !!!
पूरी बात सुन कर आरव का दिमाग भक से उड़ गया।
“ हम लोग अभी सिटी हॉस्पिटल में हैं और ईशा अभी प्रिया को अंदर डॉक्टर के केबिन में ही लेकर गई है “ !!!
रमेश की आवाज़ से ही पता चल रहा था कि वह कितना परेशान है।
“ अच्छा अच्छा तुम फिक्र नहीं करो , मैं पहुंच रहा हूं हॉस्पिटल। लेकिन डिस्चार्ज के बाद तुम प्रिया को कहाँ ले कर जाओगे आई मीन तुम नें अपनें घर वालों से तो बात कर ली है ना उन लोगो को तो कोई ऑबजेक्शन नहीं है “ ??
आरव ने पूछा।
“ नहीं अभी मैंने उन लोगों से कोई बात नहीं की है इसलिये अभी तो हम लोग फॉर्म हाऊस ही रहेंगे जब तक सब ठीक नहीं हो जाता। और अगर तुम्हें कोई परेशानी है तो हम लोग होटल में शिफ्ट हो जाते हैं क्योंकि फॉर्म हाऊस तो मैं तुम्हारे कहने की वजह से ले आया था प्रिया को कि अभी हम लोगों का होटल में रहना खतरे से खाली नहीं है। और मुझे भी यह बात सही लगी तुम्हारी क्योंकि प्रिया के डैड के Ex business partner Mr. Singhania पहले ही प्रिया के डैड को नुक़सान पहुंचाने के लिये मौक़ा ढूंढ रहे हैं और इसीलिये मैं उस को होटल में नहीं रख सकता क्योंकि उस का कुछ मिन्ट के लिये भी अकेले रहना खतरनाक है “ !!!
रमेश ने कुछ सोच कर जवाब दिया।
“ मुझे कोई ऑबजेक्शन नहीं है तुम लोगों के वहां रहने पर लेकिन फिलहाल तुम उसे फॉर्म हाऊस के बजाए हमारे घर ले आओ वह बेहतर है क्योंकि उस के दिमाग़ पर इतने बड़े शॉक का बहुत ज़्यादा असर है इसलिये फॉर्म हाऊस में सर्वेंट्स के ज़िम्मे हम उसे नहीं छोड़ सकते “ !!!
आरव की बात रमेश को भी सही लगी थी।
“ ठीक है जैसा तुम कह रहे हो वैसा ही करते है , मेरे तो दिमाग़ नें काम करना बिलकुल बंद कर दिया है। तुम प्लीज़ आ जाओ यहां पर “ !!!
“ हाँ मैं दस मिन्ट में पहुँच रहा हूं तुम परेशान मत हो सब ठीक हो जाएगा , कुछ नहीं होगा प्रिया को “ !!!
आरव ने उसे तसल्ली देते हुए कहा था।
हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद आज वह वापस जा रही थी और अभी भी उन सब बातों को सोच कर उसे लगातार रोना आ रहा था।
“ प्रिया प्लीज़ !!! तुम यह यह रोना बंद करो। मुझसे ड्राइव भी नहीं हो रही है “ !!!
रमेश कार ड्राइव करते हुए बार बार एक नज़र बराबर में बैठी रोती हुई प्रिया पर डाल रहा था बर्दाशत ना हो सका तो कह उठा।
“ मैं क्या करूं रमेश , मुझ से नही हो रहा बर्दाशत !! मुझे यक़ीन भी नही आ रहा कि मैं अनाथ और अकेली हूं इस दुनिया में। कोई भी नहीं है मेरा “ !!!
प्रिया लगातार रोए जा रही थी।
“ अरे किसने कहा है तुम्हें कि तुम्हारा इस दुनिया में कोई नहीं है मैं हूं तो सही तुम्हारे पास और सुनों हम लोग अभी आरव के घर चल रहे हैं क्योंकि उस ने बहुत सख्ती से कहा है कि अभी कुछ दिन हम लोग उन के घर पर रहेंगे ताकि आंटी खुद अपने सामनें तुम्हारा ख्याल रख सकें “ !!!
रमेश ने बॉक्स से टिशू निकालकर उसे पकड़ाते हुए उसे तसल्ली दी थी।
“ ओके लेकिन अब हम ज़्यादा दिन उन के फॉर्म हाऊस या घर पर नहीं रहेंगे रमेश, मुझे अजीब लगने लगा है अब ऐसे रहना। बस अब तुम जल्दी से अपने पेरेंट्स को कन्विंस करो ताकि हम लोग अपने घर जा सकें “ !!!
प्रिया नें कहा।
“ हाँ तुम परेशान मत हो , मैं जल्द ही उन लोगों से बात कर लूंगा “ !!!
रमेश ने कहते हुए उस का गाल थपथपाया।
“ तुम्हारे घर वाले तो हम लोगों को एक्सेप्ट कर लेंगे ना। कहीं वह भी मेरे मॉम डैड की तरह से हमें घर से तो नहीं निकाल देंगे “ ??
प्रिया ने टिशू से आँखो को खुश्क़ करते हुए वह डर ज़ाहिर किया जो बहुत देर से उस के दिल और दिमाग में चल रहा था।
“ अरे पागल हो क्या ऐसा कुछ नहीं होगा मेरी फैमिली बिलकुल ऐसी नहीं है तुम खामखाह भी परेशान हो रही हो टेंशन मत लो मैं हूं ना तुम्हारे साथ “ !!!
रमेश ने एक बार फिर उसे तसल्ली देते हुए कहा तो वह उसके कांधे से सर टिका कर बैठ गई।
“ अच्छा बात सुनो , पहले हम लोग रेस्टोरेंट चल रहे हैं। वहां पर पहले तुम कुछ खा लो चाय पियो और थोड़ा सा फ्रेश हो जाओ। उसके बाद हम लोग घर चलेंगे। हाल देखो अपना रो-रोकर तुमने क्या बना लिया है “ !!!
रमेश ने उसे प्यार से डांटते हुए कहा तो उसने सामने लगे आईने में अपना चेहरा देखा था।
तीन दिन की बीमारी की वजह से सुंता चेहरा, पीला पड़ता रंग और लगातार रोने से सूजी हुई आंखें और लाल होती नाक उसकी बिखरी हालत के गवाह थे।
“ चलो उतरो आ गया है रेस्टोरेंट तुम अंदर चलो मैं गाड़ी पार्क करके आता हूं। इतने तुम वॉशरूम जा कर खुद को थोड़ा सा फ्रेश कर लो “ !!!
रमेश ने कहते हुए कार एक साइड लगाई थी।
“ ठीक है आ जाओ तुम भी “ !!!
वह सीट बैल्ट खोलते हुए अपनी तरफ़ का दरवाज़ा खोल कर आहिस्ता से उतर गई तो रमेश भी कार को पार्किंग ऐरिया की तरफ़ ले गया।
“ आओ बैठो “ !!
वह फ्रेश हो कर आई तो वह टेबल पर बैठा उस का इंतेज़ार कर रहा था वह हां में सर हिलाती हुई उस के सामने बैठ गई।
“ एक्सक्यूज़ मी “ !!
उस ने वेटर को आवाज़ दी।
“ यस सर “ ??
वेटर नें बहुत अदब से आ कर पूछा।
“ दो कॉफ़ी प्लीज़ “ !!!
रमेश नें ऑर्डर दिया।
“ ओके सर “ !!
वेटर ऑर्डर ले कर चला गया तो रमेश प्रिया की तरफ़ देखने लगा। वह अभी तक पहले वाली ही पोज़िशन में थी।
“ कम ऑन यार , बी नॉर्मल “ !!
रमेश ने उस का गाल थपथपाया।
“ हम्म” !!!
वह सीधी हो बैठी।
“ अच्छा ईधर देखो मेरी तरफ़ “ !!!
रमेश नें उस का हाथ अपनें हाथों में लेते हुए कहा तो वह बेध्यानी में ही उस तरफ़ देखने लगी, आँखों में दूर दूर तक वीरानी थी।
“ प्रिया , खुद को कम्पोज़ करो बेबी। मैं जानता हूं तुम्हारे लिये यह सदमा बहुत बड़ा है। लेकिन तुम फिक्र ना करो , हमलोग तुम्हारे पेरेंट्स को मना लेंगे। अभी वह लोग गुस्से में हैं इसलिये ऐसा कह रहे है लेकिन वक़्त के साथ साथ उन का गुस्सा भी ठंडा हो जाएगा। और फिर आरव नें भी तो कहा था ना कि वह और ईशा खुद तुम्हारे पेरेंट्स से बात करेंगे अगर ऐसी कोई परेशानी हुई तब। इसलिये अभी तुम रिलैक्स रहो, हम कल आरव के पेरेंट्स से बात करेंगे और कहेंगे कि वह लोग तुम्हारे पेरेंट्स को कन्विंस करें आफ्टर ऑल आरव के डैड तो तुम्हारे डैड के बहुत अच्छे दोस्त हैं ना, देखना उन की बात को वह कभी नहीं टालेंगे “ !!!
रमेश उस को समझा रहा था इतने में वेटर कॉफ़ी ले आया।
“ थैंक्यू “ !!!
रमेश नें वेटर की तरफ़ देखते हुए सर हिला कर उस का शुक्रिया अदा किया।
“ यू वैलकम सर “ !!!
वेटर ट्रे रख कर जा चुका था।
“ यह कॉफ़ी लो और चिल करो , सब ठीक हो जाएगा। मैं हूं ना तुम्हें फिक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं है “ !!!
रमेश ने कॉफी का कप उस की तरफ़ बढ़ाते हुए कहा तो उस ने चुपचाप वह मग थाम लिया।
“ हैलो प्रिया “ !!!!
पास से किसी आवाज़ पर उस ने सर उठा कर देखा।
“ कैसी हो “ ???
वह लड़का मुस्कुराते हुए पूछ रहा था।
“ आदित्य....” ???
दिमाग़ पर थोड़ा ज़ोर डालने पर उसे याद आ ही गया था।
“ थैंक गॉड तुम्हें याद तो आया। गाइज़ कैन आई ज्वाइन यू “ ???
आदित्य नें रमेश की तरफ़ देखते हुए पूछा।
“ या श्योर “ !!!
रमेश से अब तक आदित्य का इंट्रोडक्शन नही हुआ था लेकिन उसे यू खड़ा देख कर उसे अच्छा नहीं लगा इसलिये इजाज़त दे दी।
“ रमेश यह आदित्य है मेरा और आरव का क्लास फैलो, हम लोग एक ही यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे। और आदित्य यह रमेश है मेरे पति “ !!!
प्रिया नें उन का इंट्रोडक्शन कराया।
“ ओह्हो , तुम नें शादी कर ली कांग्रेचुलेशनस बोथ ऑफ़ यू “ !!!
आदित्य नें कहते हुए रमेश से हाथ मिलाया।
“ थैंक्यू , बहुत खुशी हुई आप से मिल कर “ !!!
रमेश ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
“ मुझे भी “ !!!
आदित्य मुस्कुरा कर कहते हुए अब प्रिया की तरफ़ देखने लगा था।
“ जी मैडम , शादी कब की तुम नें बताया भी नहीं। और घर पर अंकल आंटी सब कैसे हैं “ ???
आदित्य नें अन्जानें में ही उस के ज़ख्मों को फिर से छेड़ दिया जो कि वह उस की बातों में लग कर थोड़ी देर के लिये ही सही लेकिन भूल गई थी।
“ हम्म ठीक हैं “ !!!
प्रिया ने सुंते हुए चेहरे के साथ जवाब दिया।
“ तुम्हें क्या हुआ, अभी तो ठीक थीं “ ???
आदित्य हैरानी के साथ उस के चेहरे के उतार चढ़ाव देखने लगा रमेश आदित्य के लिये कॉफ़ी ऑर्डर कर रहा था।
“ कुछ नहीं हुआ , मैं ठीक हूं “ !!!
उस ने आँखों में आते आँसुओ को पलकें झपक झपक कर नीचे उतारते हुए जवाब दिया लेकिन आदित्य को वह महसूस हो चुका था।
“ रमेश क्या हुआ इसे ?? तुम लोगों में कोई बात हुई है “ ???
उस ने अब रमेश की तरफ़ देख कर पूछा।
“ नहीं नहीं यू डोंट वरी , सब ठीक है बस यह ......
अभी रमेश कह ही रहा था कि प्रिया ने उस की बात बीच में ही काट दी।
“ I am adopted “ !!!
प्रिया ने कहा तो आदित्य ने हैरानी से उस का चेहरा देखा था।
“ क्या ...???
“ हाँ , मुझे भी यह अब ही पता चला है “ !!!
उस ने होंठ काटते हुए जवाब दिया।
“ अब कैसे .. मेरा मतलब है कि जब उन लोगों नें आज तक तुम्हें नही बताया तो अब कैसे बता दिया अचानक “ ???
आदित्य भी यह सुन कर बहुत शॉक्ड था।
“ वह अस्ल में ....
अभी रमेश कोई बहाना बनाने ही वाला था कि प्रिया ने एक बार फिर उस की बात को बीच में ही रोक दिया।
“ क्योंकि हम लोगों ने लव मैरिज की है और इस के बाद मेरी वजह से उन लोगों की सोसायटी में बहुत बदनामी हुई। इसलिये वह लोग मुझ से बिलकुल कोई मतलब वास्ता नहीं रखना चाहते हैं अब “ !!
प्रिया ने सच बता दिया तो रमेश को भी आदित्य को पूरी बात बतानी पड़ी थी।
“ तुम लोग बिलकुल परेशान मत हो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। कभी भी ज़रूरत हो तो बस एक कॉल कर देना मैं हाज़िर हो जाऊंगा। रमेश तुम मेरा नम्बर सेव कर लो “ !!!
आदित्य को भी पूरी बात सुन कर बहुत अफ़सोस हुआ था।
“ और आरव कहाँ होता है इन दिनों , वह क्या कर रहा है “ ??
आदित्य नें प्रिया का मूड सही करने के लिये टॉपिक चेंज कर दिया।
“ आर्मी में , आया हुआ है अभी तो घर पर ही। और सगाई भी करा ली है उस ने “ !!
प्रिया ने आँखे साफ़ करते हुए बनावटी मुस्कुराहट से बताया वरना रमेश उसे ऐसे देख कर परेशान हो रहा था।
“ ओ वॉव , ग्रेट !!! फिर तो उस से मिलना पड़ेगा। बल्कि एक काम करते हैं एक पार्टी रख लेते हैं तुम लोगों की शादी की खुशी में ऐसे थोड़ी गैदरिंग भी हो जाएगी और मेरे फ्रेंड सर्किल में कुछ यूनिवर्सिटी फ्रेंड्स भी हैं उन से भी मिलवाउंगा तुम लोगों को। तुम मुझे आरव का नम्बर दो उसे और उस की फियांसे को भी इंवाइट कर लेते हैं फंक्शन पर बल्कि यह करते हैं कि मैं आरव की तरफ़ आ जाता हूं वहाँ पर खुद ही उस से बात भी कर लूंगा इस बहाने उस से मिलना भी हो जाऐगा “ !!!
आदित्य नें भी मुस्कुरा कर कहा।
“ हाँ यह ठीक है, तुम मुझे नम्बर दो अपना मैं तुम्हें आरव का नम्बर और उस के घर का एड्रैस वॉट्सएप्प कर देती हूं “ !!!
प्रिया नें जान बूझ कर अपने लहजे को फ्रैश रखा था।
“ ईशा कल तुम्हारा कोई अर्जेंट काम तो नहीं है हॉस्पिटल में “??
वह हॉस्पिटल से आकर फ्रैश होने के बाद अब अपने कमरे में आराम कर रही थी जब माँ ने उसके कमरे में आते हुए पूछा।
“ कोई काम होगा भी तो आपके लिए टाइम निकाल लूंगी बताइए क्या बात है “ ??
ईशा ने उठ कर बैठते हुए प्यार से मां के चेहरे की तरफ देख कर कहा।
“ जीती रहो , खुश रहो !!! नहीं मुझे कोई काम तो नहीं है वह तो प्रिया डिस्चार्ज होकर आरव के घर आई है, तो मैं सोच रही थी कि कल हम लोग जाकर उसकी तबियत पूछ आते हैं “ !!!
उन्होंने उसके पास बैठते हुए मुस्कुरा कर बताया।
“ हां आरव ने बताया तो था कि प्रिया डिस्चार्ज होकर उनकी तरफ आई है क्योंकि आंटी का कहना था कि फॉर्म हाउस में सर्वेंट उसका अच्छे से ख्याल नहीं रख सकते “ !!!
उसने कुछ याद करते हुए बताया।
“ हम्म.. तो बताओ फिर क्या प्लान है तुम्हारा। चलोगी हमारे साथ या फिर कल भी कोई अर्जेंट काम है तुम्हें “ ???
“ ठीक है मैं चल लूंगी , लेकिन एक शर्त पर कि आप लोग आरव को नही बताऐंगे कि मैं भी साथ में आ रही हूं और मैं भी नहीं बताऊंगी “ !!!
उसने अपनी शर्त रखी।
“ वह तो ठीक है , लेकिन आरव की मां को तो बताना पड़ेगा ना और उस से उसे खुद ही पता चल जाएगा “ !!!
उन्होंने पूछा।
“ उसकी आप फिक्र मत करिए मैं आंटी को खुद मना कर दूंगी आरव को बताने के लिये “ !!!
उस ने मुस्कुराते हुए कहा तो माँ भी हाँ में सर हिलाते हुए मुस्कुराने लगीं।
“ ठीक है फिर डन हो गया कल शाम में चलते हैं लेकिन माँ कल 6 बजे डॉक्टर सिंघानिया को किसी अर्जेंट काम से जाना है इसलिये कल शाम मेरा ऑन ड्यूटी रहना बहुत ज़रूरी है तो आप लोग टाईम का ध्यान रखना बस मुझे जल्दी वापस आना है 5 बजे तक” !!!
उस ने बताया।
“ ठीक है , हम ख्याल रखेंगे इस बात का। तो फिर मैं आरव की माँ को फोन कर देती हूं कि हम लोग कल शाम चक्कर लगाऐंगे उन की तरफ़ “ !!!!
वह कहते हुए उठ खड़ी हुईं।
“ अच्छा माँ वह मन्नू से ज़रूर पूछ लेना आप लोग साथ में जाने के लिये। वह मुझ से कई बार कह चुकी है कि उसे आरव से मिलना है , वह सगाई पर भी तो नहीं आ सकी थी ना “ !!!
ईशा नें अपनी चचेरी कज़िन का नाम लिया जो फॉरेन में स्टडी करती थी।
“ अरे हाँ अच्छा याद दिलाया तुम ने मुझे। रीना (ईशा की चाची) भी कई बार मुझ से कह चुकी है कि जब भी आरव आए मैं उस की लाडली को ज़रूर इन्फॉर्म करूं “ !!!
माँ नें माथे पर हाथ मारते हुए कहा।
“ ठीक है तो आप कर दें चाची जी को फोन और बोल दें कि मन्नू से कहें वह कल 3 बजे तैयार रहे हम उसे घर से ही पिक कर लेंगे उन के “ !!!
ईशा नें कहा तो वह हाँ में जवाब देती बाहर निकल गईं।
ओह् हो ... क्या बात है ईशा दी। आज तो हम लोग ट्विनिंग कर रहे हैं “ !!!
मन्नू ने उस के ड्रैस को देख कर गाड़ी में बैठते हुए कहा तो ईशा नें एक नज़र डाली इत्तेफ़ाक़ से आज दोनों के ड्रैस सेम कलर के हो रहे थे।
“ चलो अच्छा जल्दी करो अब , हमें देर हो रही है मुझे वापस भी जल्दी आना है “ !!!
ईशा ने कहा तो मन्नू ने अपना कुर्ता समेटते हुए डोर बंद किया था।
वह लोग आरव के घर पहुँचे तो आरव की मम्मी गेट पर खुद आई थीं उन लोगों को रिसीव करने के लिये।
“ आओ आओ बेटा मेरे साथ आओ “ !!!
माँ और मन्नू से मिलने के बाद उन्होंने उसका माथा चूमते हुए कहा और उसे अपने साथ लगाऐ हुए अंदर ले आईं।
“ आंटी, यह इतना सब क्यों “ ???
वह हैरानी से चारों तरफ़ देखते हुए बोली और रुक कर देखने लगी।
ऐंट्रैस से ले कर अंदर तक थोड़ी थोड़ी दूर पर उन्होंने मोतिया से बने हुए छोटे छोटे ब्यूटीफुल हैंगर्स लटकाए हुए थे और मोतिया उस का फेवरिट फ्लावर था।
“ भई मेरी प्यारी बहु पहली बार हमारे घर में क़दम रख रही थी तो मैंने सोचा कुछ स्पेशल तो होना चाहिये जो उस का फेवरिट भी हो “ !!!
आंटी ने प्यार से उस की तरफ़ देखते हुए कहा तो वह सिर्फ़ शर्मा कर रह गई।
“ अच्छा खैर तुम यह सब छोड़ो , अंदर चलो। प्रिया ने तो पता नहीं क्या क्या इंस्ट्रकशनज़ दिये हुए थे सर्वेंट्स को तुम्हारे आने के लिये “ !!!
आंटी बता रही थीं।
“ क्या ??? लेकिन आंटी उस की तो तबियत ठीक नहीं है तो फिर वह यह सब क्यों कर रही है “ ???
ईशा ने हैरान हो कर सास की तरफ़ देखा।
“ बेटे मैं तो मना कर कर के परेशान हो गई लेकिन वह लड़की मानती ही नहीं है कहती है कि मैं सिर्फ़ इन लोगों को बता ही तो रही हूं आंटी, मैं खुद तो कुछ नहीं कर रही ना। अस्ल में प्रिया और हमारे फ़ैमिली जैसे ही टर्मज़ रहे हैं तो वह काफ़ी पहले से यहां आती रही है इसलिये सब सर्वेंट्स भी उस को अच्छे से जानते हैं बिलकुल फ़ैमिली मेंमबर की ही तरह है वह हमारे लिये “ !!!
आंटी ने कहा तो ईशा के साथ साथ माँ और मन्नू भी मुस्कुरा दीं।
“ आरव कहाँ है भाभी जी “ ???
ईशा जो सवाल पूछना चाह रही थी लेकिन झिझक रही थी वह चलते चलते माँ नें पूछ लिया।
“ आरव किसी अर्जेंट काम से बाहर गया है, अभी आ जाएगा थोड़ी देर में “ !!!
कहते हुए वह भी उन लोगों के साथ अंदर दाखिल हो गईं।
उन लोगों को बातें करते करते 1 घंटा हो चुका था। और आरव अभी तक नहीं आया था ई़शा बुरी तरह से बदमज़ा हो गई अपने सरप्राईज़ के खराब हो जाने पर ।
अभी वह कुछ कहने ही वाली थी कि गेट में से अंदर कार दाखिल होने की आवाज़ आई।
“ आरव बाबा आ गए शायद , मैं देख कर आती हूं “ !!!
नाशते की टेबल लगाती नौकरानी ने कहा।
“ रुको , तुम रहने दो। ईशा बेटे जाओ तुम जा कर रिसीव करो उसे “ !!!
आरव की मम्मी ने हाथ के ईशारे से नौकरानी को रोक कर ईशा से कहा।
“ जी “ !!!
वह हल्की सी स्माइल के साथ उठ खड़ी हुई।
धीरे धीरे चलती वह पार्किंग ऐरिया तक पहुंची तो वह उधर से पीठ किये खड़ा फोन पर किसी से बात कर रहा था।
ईशा कुछ दूरी पर रुक कर उस के फ्री होने का इंतेज़ार करने लगी। वह फोन पर इतनी धीमी आवाज़ में बात कर रहा था कि कुछ ही दूरी होने के बाद भी ईशा को सुनाई नहीं दे रहा था कि वह बोल क्या रहा है।
दो तीन मिन्ट तक भी जब वह फ्री नहीं हुआ तो ईशा वापस घूम कर वहां पर लटके उन हैंगर्स को देखने लगी जो बिलकुल एक खूबसूरत शोपीस लग रहे थे।
“ ठीक है , मैं तुम से खुद कांटेक्ट करूंगा। तुम मुझे खुद से कॉल नहीं करोगे “ !!!!
इस बार उस ने कुछ तेज़ आवाज़ में कहा तो ईशा चौंक कर पलटी क्योंकि वह आवाज़ आरव की तो नहीं थी।
अभी वह पलट कर सामने खड़े उस शख्स को देखती ही कि लेफ्ट साइड से आते सर्वेंट के सर पर रखी फूलों की टोकरी से उस का सर टकराया था और पूरी टोकरी उस के सर पर पलट गई।
आदित्य जो अभी फोन पर बात करके पलटा ही था सामने खड़ी उस परी पैकर के वुजूद में जैसे खो सा गया था।
फूलों की उस बारिश में खड़ी वह नाज़ुक परी लाईट पिंक कलर की लॉंग फ्रॉक और ट्राउज़र में थी जो उस के गोरे रंग पर खिले पड़ रहे थे। राईट हैंड में बंधी गोल्डन रिस्ट वॉच उस की कलाई पर बंध कर और ज़्यादा खूबसूरत हो गई थी। स्टैप कट सिलकी बालों को आड़ी मांग निकाल कर बनाया हुआ था जो उस के चेहरे के दोनों तरफ़ पड़े हुए बिलकुल झरने की तरह लग रहे थे।
नाज़ुक सी सुतवां नाक पर गुस्सा लिये उस सर्वेंट को डाँटती हुई वह आदित्य को अपने दिल के बहुत क़रीब महसूस हुई थी।
**********
“ सॉरी मैडम , इस से गलती हो गई। माफ़ कर दें इसे आगे से ध्यान रखेगा यह “ !!!
एक बूढ़ा नौकर उस पहले वाले नौकर को डाँट पड़ते देख कर उस की तरफ़ आया था।
“ जी मैडम आगे से ऐसी गलती नहीं होगी “ !!!
पहले वाला नौकर भी हाथ जोड़ कर बोला तो ईशा होंठ भींच कर रह गई। उस बेचारे की इतनी गलती नहीं थी जितना उस ने उसे सुना दिया था बल्कि वह तो आरव की वजह से गुस्सा थी जिस ने उसका सारा सरप्राईज़ स्पॉइल कर दिया था और निकल गई सारी फर्सट्रेशन उस बेचारे नौकर पर। ईशा को खासा अफ़सोस हुआ था उस ने सिर्फ़ खामोशी से सर हिला कर जवाब दिया तो वह नौकर अपनी जान बचने पर शुक्र अदा करता भाग लिया और बूढ़ा नौकर भी पलट कर अपने काम की तरफ़ चल दिया जो वह करता छोड़ कर आया था।
ईशा नें बजते हुए फोन पर एक नज़र डाली जहाँ डॉक्टर सिंघानिया कॉलिंग लिखा हुआ आ रहा था।
“ हैलो सर “ !!!
“ हैलो डॉक्टर ईशा, कहाँ हैं आप। मैंने आप को कहा था ना कि मुझे किसी अर्जेंट काम से जाना है इसलिये आप यहां हॉस्पिटल में मौजूद रहेंगी”
स्पीकर से डॉक्टर सिंघानिया की आवाज़ उभरी।
“ Yes sir , give me some time . I’ll be there in just fifteen minutes.
उस ने घड़ी पर नज़र डालते हुए बेज़ारियत से जवाब दिया।
“ Ok “ !!!
उन्होंने जवाब दे कर फोन रख दिया तो ईशा बुरी तरह तप कर पलट गई पलटते हुए वह एक तेज़ नज़र सामने खड़े बंदे पर डालना नहीं भूली थी जो खड़ा हुआ लगातार उसे घूरे जा रहा था। वह मोबाइल में मन्नू का नंबर डायल करने लगी।
“ कितनी देर में चल रहे हो तुम लोग “ ??
उस ने पूछा लहजा furstrated था।
“ आ रहे हैं दी, हम लोग भी बस चल रहे हैं “ !!!
मन्नू ने जवाब दिया।
“ आ जाओ जल्दी , मेरे पास वक़्त नहीं है और ज़्यादा रुकने का” !!!
उस ने कह कर फोन कट कर दिया और कार की तरफ़ बढ़ गई।
आदित्य भी मुस्कुरा कर अंदर की तरफ़ बढ़ गया लेकिन वहां बने Swimming pool के दोनों साइड ही अंदर की तरफ़ रास्ता जा रहा था वह कुछ सोच कर रुक गया और प्रिया को कॉल लगाने लगा।
“ कहाँ हो तुम अभी तक पहुँचे क्यों नहीं “ ???
प्रिया ने फोन उठाते ही पूछा।
“ तुम्हारे घर के Swimming pool पर खड़ा हूं , यह बताओ आना किस तरफ़ है “ ???
प्रिया के सवाल पर उस ने पूछा।
“ रुको मैं आती हूं तुम्हें लेने “ !!!
प्रिया ने कह कर फोन रख दिया उस के कुछ मिन्ट बाद ही वह आदित्य के पास मौजूद थी।
“ तुम अभी कुछ देर पहले आ जाते तो तुम्हें आरव की फियांसे से भी मिलवाती “ !!!
“ तो अब मिलवा दो , वह देखो अभी तो वह लोग कार में बैठे नहीं है “ !!!
आदित्य ने गेट की तरफ़ देख कर कहा तो प्रिया ने भी मुड़ कर देखा ईशा और मन्नू अभी कार में बैठ ही रही थीं।
“ वह जो पिंक ड्रैस में है राईट साइड वाली है वह है आरव की फियांसे और दूसरी वाली उस की कज़िन है “ !!!
प्रिया ने उसे दूर से ही बताया लेकिन वह यह भूल गयी थी कि वह और आदित्य इस वक़्त एक दूसरे की Opposite side खड़े थे।
आरव नें वक़्त पर अपने घर ना आने पर उस से बहुत सॉरी की और बहुत प्यार से काफ़ी देर तक उसे समझाया तो ईशा को मानना पड़ा।
कैसे बताएं तुम्हें और किस तरह ये
कितना तुम्हें हम चाहते हैं !!!!
साया भी तेरा दिखे तो पास जाा के
उस में सिमट हम जाते हैं !!
इब्तिदा तुम ही हो
इंतेहाााा तुम ही हो
तुम हो जीने का मक़सद
और वजह तुम ही हो
तुम ही हो मुझ में हाँ
तुम ही हो .........
एल सी डी पर चलते गाने में आतिफ़ असलम की आवाज़ कमरे में फैली हुई थी जो उसे पूरे तरीक़े से खुद पर सूट करती हुई लग रही थी ।
वह गानें के बोलों में पूरी तरह से खोई हुई थी और Imaginations में आरव को देखते हुए उस के होंठो पर खुद बा खुद एक मद्धम सी मुस्कुराहट आ गई थी।
“ ईशा .....
वह वह गानें के बोलों में इस तरह से खो गई थी कि उसे पता भी नही चला कि कब भाभी कमरे में आ गईं । चौंकी तो तब जब उन्होंने आवाज़ दी थी।
“ जी “ ???
वह चौंक कर पलटी।
“ क्या हो गया ऐसे क्यों शॉक्ड हो गईं , देखा नही था क्या मुझे आते हुए “ ???
वह उसे अकेले अकेले मुस्कुराते हुए देख चुकी थीं।
“ नही वह .... मैं कुछ सोच रही थी भाभी “ !!!
उस ने सर खुजाते हुए बहाना बनाया।
“ हाँ पता है , दिख ही रहा है वह तो “ !!!
उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया तो ईशा झेंप गई।
“ आप को कोई काम था मुझ से “ ???
उस ने टॉपिक चेंज किया।
“ क्यों भई, मैं बिना काम के नही आ सकती तुम्हारे पास क्या “ ??
उन्होंने जैसे आज उसे तंग करने की कसम खाई हुई थी।
“ ऐसी बात नहीं है भाभी , मैं तो बस ऐसे ही पूछ रही थी। बैठें ना आप आऐं “ !!!
वह एक बार फिर झेंप कर मुस्कुरा दी।
“ हा हा हा हा हा !!!! अरे मेरी प्यारी सी गुड़िया, मैं तो तुम्हें वैसे ही तंग कर रही थी, आई तो मैं काम से ही हूं तुम्हारे पास “ !!!
भाभी ने प्यार से उस का गाल छुआ था।
“ अच्छा.... क्या काम है बताइये , मैं अभी कर देती हूं “ !!!
उस ने कहा।
“ तुम्हारी सासु माँ का कॉल आया है “ !!
उन्होंने बताया।
“ अच्छा , क्या कह रही थीं “ ??
उस ने दिलचस्पी से पूछा।
“ वह तुम्हें लेने आ रही हैं शादी की शॉपिंग के लिये “ !!!
उन्होंने बताया।
“ अच्छा लेकिन आरव नें तो इस तरह का कोई ज़िक्र नहीं किया मुझ से “
ईशा को एक खुशगवार सी हैरत हुई।
“ हो सकता है दिमाग़ से निकल गया हो उस के। इसलिये नही बताया तुम्हें, खैर तुम जल्दी से जा कर तैयार हो जाओ इतनी देर में वह पहुँच भी जाऐंगी “ !!!
उन्होंने कहते हुए उस को उठाया था।
“ कब आ रही हैं आंटी मुझे लेने “ ???
उस ने पूछा।
“ बस अभी आधे घंटे का कहा उन्होंने जिस में से 15 मिन्ट तो तुम ने यहीं पर मुझ से बात करने में ही निकाल दिये “ !!!
भाभी ने शरारत से आँखो में बनावटी हैरत भर कर पहले उसकी फिर वॉल क्लॉक की तरफ़ देखा तो वह सच मुच घबरा गई।
“ शिट्ट !!! और यह आप मुझे अब बता रही हैं भाभी, मैं तो तैयार भी नहीं हुई और आंटी आ भी जाऐंगी “ !!!
उस ने माथे पर हाथ मार कर कहा तो भाभी हँसने लगीं।
“ ठीक है तुम जल्दी से रेडी होकर आ जाओ मैं भी नाशता पहले ही तैयार करा देती हूं वरना वह आते ही तुम्हें ले जाने के लिये कहेंगी वह फिर चाय के लिये रुकती नहीं हैं “ !!!
भाभी उसे कहते हुए चली गयीं।
“ जल्दी कर ईशा की बच्ची, टाईम नहीं है तेरे पास “ !!!
उस ने खुद को मन ही मन डाँटा था
आरव अपने ध्यान में फोन पर बात करते हुए मार्केट से गुज़र रहा था कि साइड से किसी मनचले की आवाज सुनकर रुक गया उसने मुड़कर देखा दो तीन मनचलों का ग्रुप एक लड़की को तंग कर रहे थे ।
“ बदतमीज जाहिल तुझे शर्म नहीं आती किसी लड़की को ऐसे तंग करते हुए “ !!!
उस सिचुएशन पर वह लड़की जरा भी नही घबराई और पलट कर एक जोरदार थप्पड़ उस बदमाश को जड़ दिया तो वहां भीड़ इकट्ठी हो गई। लेकिन सब तमाशा देख रहे थे किसी ने भी आगे बढ़ कर उन बदमाशों से पंगा लेने की हिम्मत नहीं की।
आरव तेज़ तेज़ कदम उठाता हुआ उस तरफ चल दिया।
“ क्या हो रहा है यह “ !!!
उसकी गरज दार फौजियों वाली आवाज पर सब के साथ साथ उन बदमाशों ने भी मुड़ कर उसकी तरफ देखा था।
“ कुछ नहीं भाई , इन लोगों को जानना था कि मैं कहां पर जा रही हूं यह वही पूछ रहे थे “ !!!
उस लड़की ने आरव की तरफ देखते हुए बताया।
“ ठीक है आप जाओ , इन लोगों को मैं देखता हूं “ !!!
आरव नें उस लड़की को जाने का कहा और उन गुंडों के सामने आ गया।
“ क्यों बे कौन है तू और यह लड़की क्या तेरी बहन लगती है बड़ा हीरो बन के आया है इसे बचाने “ !!!
इनमें से एक ने आरव को ललकारा।
आरव ने उस के हुलिए पर नजर डाली।
टिपिकल टपोरियो वाला हुलिया था उन सब का। शर्ट के ऊपर वाले बटन खुले हुए आस्तीनों के भी बटन खोल कर उनको फोल्ड किया हुआ था डैमेज जींस जो जगह जगह से कटी फटी हुई थी उन सब के गुंडा होने का पता दे रहे थे।
“ मेरी ना सही किसी की तो बहन है “ !!!
कह कह वह वापस पलटने लगा।
“ तो तुझे इतनी मिर्ची क्यों लगी फिर “ ???
कह कर उसी गुंडे ने जो पहले बोला था आरव पर पीछे से वार किया।
आरव को अंदाजा था कि वह ऐसा कर सकता है इसलिए वह पहले से ही चौकन्ना था उसके वार करते ही नीचे को झुककर बच गया।
पहले गुंडे का वार खाली जाते देखकर अब दूसरा आगे आया था जिसे आरव नें एक ही मुक्के में गिरा दिया और उसके हाथ में पकड़ा डंडा छीन लिया।
इतनी देर में पीछे वाला गुंडा खड़ा हो चुका था उस ने दोबारा आरव पर हमला करना चाहा तो जवाब में आरव ने उसी डंडे से उस की धुनाई कर दी।
दूसरे वाले गुंडे ने आगे बढ़कर आरव के एक मुक्का जड़ दिया है जिसका आरव के फौलादी जिस्म पर कोई असर नहीं हुआ और बदले में उसने उसी डंडे से उसकी भी खबर ली थी। लेकिन उस गुंडे के गिरने के वक़्त उस की जैकेट हवा में उड़ी थी और उस के अंदर लगी गन देख कर आरव चौंका था।
इस का मतलब यह लोग छोटे मोटे नहीं पेशेवर गुंडे लग रहे थे।
आरव अभी कुछ और सोचता कि उस की बेध्यानी का फ़ायदा उठा कर पहले वाले गुंडे ने उस पर हमला किया और इस बार आरव को संभलने का मौक़ा नहीं मिला और वह औंधे मुंह ज़मीन में गिर पड़ा।
“ हा हा हा हा “ !!!
उसे ऐसे गिरा हुआ देख कर चारों हँस पड़े।
वह दो ही उस के मुक़ाबले पर लगे हुए थे बाक़ी के दो तो एक तरफ़ इतमीनान से हाथ बाँधे खड़े ऐसे देख रहे थे जैसे कोई दिलचस्प डरामा चल रहा हो।
उठ कर खड़े होते हुए आरव ने बारी बारी उन चारों की तरफ़ ध्यान से देखा।
तीसरे वाले की पेंट की साइड में भी गन लगी हुई थी जिस का हैण्डिल ऊपर बैल्ट के पास से ही नज़र आ रहा था।
पहले वाला गुंडा फिर से उसे मारने के लिए आगे बढ़ रहा था कि उसका फोन बज उठा तो वह फोन अटेंड करने लगा। जिस पर दूसरा गुंडा आरव की तरफ बढ़ने लगा।
“ ऐ रुक जा “ !!!
पहले वाले ने हाथ उठाकर दूसरे वाले को अभी हमला करने से रोका ताकि शोरगुल ना हो और आवाज सही आ जाए।
“ जी भाई “ !!!
कुछ पहले वाले गुंडे ने फोन उठाते ही कहा।
“ जी भाई हम आ ही रहे हैं भाई “ !!
“ हां भाई, हो गया आपका काम भी। हम लोग आपके पास ही आ रहे थे रास्ते में है “ !!!
दूसरी तरफ से पता नहीं क्या कहा गया कि वह गुंडा हड़बड़ा गया।
“ हां भाई “ !!!
कहकर उसने फोन काट दिया फिर बाकी तीनों की तरफ पलटा।
“ चलो रे छोड़ो इसे तुम लोग , इसी फिर कभी देख लेंगे अभी भाई का फोन था। पूछ रहे है कि हम लोग कहां तक पहुंचे “ !!!
उन तीनों को कहकर उसने आइब्रो चढ़ाकर आरव की तरफ देखते हुए कहा तो वह गुंडा भी जो आरव की तरफ मारने के लिए बढ़ा हुआ था वापस उन ही की तरफ़ पलट गया और उसके बाद वह चारों जिधर जा रहे थे उधर जाने के लिए मुड़ गए।
वहां इकट्ठे हुए लोग भी सब अपने-अपने कामों पर लग गए।
आरव ने चारों तरफ सर घुमा कर कुछ देखा।
जिधर वह लोग गए थे उसके सामने वाली साइड एक चाय का होटल बना हुआ था जिसके बाहर एक वॉशबेसिन लगा था जिसकी दीवार पर एक शीशा भी था जो आधा टूटने के बाद अब आधा बच रहा था।
आरव हाथ और कपड़े झाड़ता हुआ उठकर जल्दी से उसी तरफ चल पड़ा।
उस आधे आईने पर देखते हुए हाथ धोता वह किसी सोच में गुम था।
मॉल पहुंचकर जब वह दोनों गाड़ी से उतरी तो ईशा का फोन रिंग कर उठा।
“ आंटी आप मॉल में चलें , मैं कॉल पिक करके आती हूं “ !!!
उसने कहा।
“ ठीक है बेटा जल्दी आना” !!!
आरव की मम्मी मिसेज रितु मुस्कुरा कर बोली और पलटकर मॉल की तरफ बढ़ गईं तो ईशा भी फोन रिसीव करते हुए उस तरफ़ से बैक कर के गाड़ी से थोड़ा दूर हट कर खड़ी हो गई और फोन पर बात करने लगी उसकी फ्रेंड निमी का कॉल था।
ईशा के सिल्की बाल उसकी पोनी की क़ैद से आज़ाद होने की कोशिश करते हुए काधों से उड़ उड़ कर बार-बार आगे आ रहे थे जिन्हें वह एक हाथ से पीछे करते हुए दूसरे हाथ में फोन पकड़े बात कर रही थी।
“ ओके निमी मैं तुमसे बाद में बात करती हूं अभी आंटी अंदर मॉल में मेरा इंतजार कर रही हैं बाय “ !!!
कहते हुए उसने फोन कट किया और अपना वॉलेट और मोबाइल संभालती हुई पलट गई।
“ उफ्फ “ !!!!
पलटते ही वह सामने से आते हुए किसी लड़के से बहुत जोर से टकराई जिस वजह से उस लड़के का शोल्डर बहुत ज़ोर से ईशा के माथे पर लगा और इस हड़बड़ाहट में उसका वॉलेट भी छूट कर नीचे गिर गया।
“ I am sorry miss , I am extreamly Sorry “ !!!
उस लड़के ने माफी मांगी तो दाऐं हाथ में मोबाइल पकड़े दो उंगलियों से माथे को सहलाते हुए बाएं हाथ से झुककर वॉलेट उठाती ईशा ने बहुत तेज निगाहों से घूर कर उसे देखा था।
“ आप “ !!!
उस ने नागवार सी नज़रों से उस लड़के को देखा यह वही लड़का था जो उस दिन आरव के घर पर उसे मिला था जिसे वह आरव समझ रही थी। उस दिन भी वह ईशा को आँखें फाड़ कर घूरे जा रहा था और आज भी अपनी गलती होने के बावुजूद भी उसे देख कर स्माइल ही किये जा रहा था ईशा का खून बुरी तरह जल गया।
“ मैम मैं सॉरी कह रहा हूं ना, मैने सच में आपको नहीं देखा था “ !!!
स्माइल करते हुए जिस तरह वह सॉरी कर रहा था उस के चेहरे पर शर्मिंदगी दूर दूर तक ईशा को नहीं दिखी जिस पर वह और ज़्यादा चिढ़ गई।
“ बिना देखे इतनी तेज चोट मारी है, अगर देख लेते तो मेरा सर ही फाड़ देते आप तो “ !!!
ईशा ने गुस्से में बिना सोचे समझे तेज आवाज में कहा तो उस लड़के के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट आ गई जिसे ईशा का गुस्सा देखकर वह दबा गया था।
“ मेरा यकीन करें मिस , मैंने सच में आपको नहीं देखा । मेरा ध्यान मोबाइल में था इसलिए गलती से आपको लग गई “ !!!
इस बार वह लड़का हाथ जोड़कर अपनी गलती की माफी मांग रहा था।
“ फॉर यौर कांड इंफॉर्मेशन यह रोड है ,कोई आपका पर्सनल फॉर्म हाउस नहीं जहां आप यू वॉक करते । फिरें यहां पर और लोग भी चलते हैं इसलिए अगली बार आस पास देखकर चलिएगा “ !!
कहते हुए ईशा तेज तेज कदमों से आगे बढ़ गई तो आदित्य ने पलट कर जाती हुई ईशा को देखा।
आज भी लाइट येलो कलर के कुर्ते और ट्राउजर में वह ग़ज़ब ढा रही थी। आज बाल खुले हुए नहीं थे बल्कि पोनीटेल की शक्ल दी हुई थी। आदित्य से टकराने के बाद गुस्से में उसका चेहरा गुलाबी हो गया था जिसने उसकी खूबसूरती में और ज्यादा बढ़ोतरी कर दी वह मुस्कुरा कर रह गया और वापस पलट कर अपने रास्ते की तरफ बढ़ गया।
“ अरे कहां रह गई थी बेटा तुम , कितनी देर से मैं तुम्हारा इंतजार कर रही हूं “ !!!
आंटी ने उसे देखते ही कहा।
“ सॉरी आंटी वह बात करने में कुछ देर हो गई चले अब “ ???
“ हां हां चलो ,पहले क्लॉथ सेक्शन में चलते हैं “ !!!
आंटी ने कहा तो वह कुछ देर पहले वाला गुस्सा भूल कर उनके साथ क्लॉथ सेक्शन की तरफ बढ़ गई।
“ यस मैम “ ???
क्लॉथ सेक्शन में मौजूद लड़के ने पूछा।
“ वेडिंग कलेक्शन “ ???
आंटी ने उसकी तरफ देखकर पूछा।
“ यस मैम इधर आइए मैं आपको वेडिंग कलेक्शन दिखाता हूं “ !!!
वह उन्हें लेकर दूसरी तरफ आ गया।
काफी सारी ड्रेसेस देखने के बाद दो ड्रेसेस मिसेज रितु और ईशा को भी पसंद आ गई थी।
“ बेटा तुम यह दोनों ड्रेसेस ट्राई कर लो मैं यहीं पर तुम्हारा वेट कर रही हूं उसके बाद कैजुअल वियर्स भी लेने है “ !!!
रितु आंटी ने कहा तो ईशा हाँ में सर हिला कर एक ड्रेस उनके हाथ से लेकर ट्रायल रूम की तरफ चली गई।
ड्रेस चेंज करने के बाद उसने वहां लगे मिरर में एक बार खुद को देखा वह वाकई बहुत प्यारी लग रही थी वह मुस्कुराते हुए बाहर निकल आई ताकि आंटी को भी इस ड्रेस का लुक दिखा सके।
उसने नजरें घुमा कर चारों तरफ देखा लेकिन आंटी वहां मौजूद नहीं थी जहां वह उन्हें छोड़ कर गई थी वह उनकी तलाश में चारों तरफ देखने लगी।
“ ओ हो यार आंटी नजर नहीं आ रही है अब इस ड्रेस में मैं उनको कहां और कैसे ढूंढती फिरूं। अगर मैं यह ड्रेस उन्हें दिखाए बिना ही चेंज कर लूं तो पता नहीं यह ड्रेस कैसा लग रहा है मुझ पर उन्हें पसंद भी आएगा या नहीं “ !!!
वह बड़बड़ाते हुए खुद से कह रही थी लेकिन उसकी यह बड़बड़ाहट कोई और भी सुन चुका था जिसका उसने नोटिस नहीं लिया था।
“ ब्यूटिफुल “ !!!
ईशा के बराबर से आवाज आई तो उसने हैरानी से आगे बढ़ कर आवाज़ की दिशा में देखा।
“ डोंट बी कंफ्यूज मिस , यह वाकई आप पर बहुत प्यारा लग रहा है बिना 1 सेकंड की देर किए आप इसे पैक करा लें “ !!!
वही लड़का जो नीचे मॉल के बाहर उस से टकराया था वहां मौजूद उसे कॉम्प्लीमेंट दे रहा था जिसे देखकर ईशा का पारा एक बार फिर से हाई हो गया।
“ आप से मतलब, ?? मैंने आपसे तो कोई एडवाइज़ नहीं मांगी है “ ???
ईशा ने त्यौरियां चढ़ाकर उससे पूछा।
“ जी हां आपने एडवाइज नहीं मांगी , लेकिन यह ड्रेस आप पर इतना प्यारा लग रहा है कि मैं खुद को कॉम्प्लीमेंट देने से नहीं रोक सका “ !!!
वह लड़का मुस्कुराते हुए कह रहा था ईशा और ज़्यादा पटख गई।
“ देखें , मुझ से फालतू में फ्री होने की कोशिश करने की कोई ज़रूरत नहीं है। अपने काम से काम रखें आप “
उस ने उंगली उठा कर उस लड़के को वॉर्न किया।
“ ज्यादा मत सोचिए मिस , मैं बिल्कुल ठीक कह रहा हूं । आपके साथ जो भी है उन्हें भी यह ड्रेस पसंद आ जाएगा, और यह आप पर सूट भी बहुत कर रहा है मेरी माने तो इसे पैक करा लें आप “ !!!
आदित्य को ईशा की फर्स्ट्रेशन मजा दे रही थी।
“ देखें, ना तो आप मेरे पर्सनल एडवाइजर है और ना ही फ्रेंड तो मैं आपकी क्यों मानूं “ !!!
ईशा ने तड़ख कर पूछा।
“ सही कहा आपने, हम लोग फ्रेंड्स नहीं है। लेकिन मैडम फ्रेंडशिप करने में देर कितनी लगती है, अब बन जाती हैं अगर आप चाहे तो हेलो माय नेम इज आदित्य एंड योर्स “ ???
वह लड़का कुछ ज्यादा ही फ्रेंक था।
“ जस्ट गो टू हेल “ !!!
ईशा गुस्से में कह कर वापस पलट कर अंदर ट्रायल रूम की तरफ पलट गई।
“ अरे ईशा बेटे, कहां चली गई थीं तुम, मैं तुम्हें कब से ढूंढ रही हूं “ !!!
आंटी की आवाज आई तो वह ट्रायल रूम में जाती जाती रुक गई।
“ मैं भी आपको ही ढूंढ रही थी आंटी आप पता नहीं कहां चली गई थीं “ ???
उस ने बराबर में नज़र डाली जहाँ कुछ देर पहले वह लड़का मौजूद उस से बकवास कर रहा था लेकिन अब वह जा चुका था। ईशा ने सुकून की साँस ली
“ मैं तो यहीं पर थी बस वह केज़ुअल वियर्स देख रही थी कुछ “ !!!
“ ओके आंटी, मैं यह ड्रैस चेंज कर के आती हूं आप यहीं वेट करें “ !!!
उस ने कनअँखियों से वहां चारों तरफ़ देखा। वह लड़का अब कहीं पर भी मौजूद नहीं था
“ अरे रुको एक मिन्ट , देखने तो दो। यह ड्रैस तो बहुत ज़बरदस्त लग रहा है तुम पर ब्यूटीफुल। डन हो गया इसे ही पैक करा लेते हैं , जाओ अब चेंज कर आओ तुम “ !!!
आंटी नें उसे तारीफ़ी नज़रों से देखते हुए कहा और आगे की तरफ़ बढ़ गयीं।
“ मैं ने कहा था ना मिस ईशा कि यह ड्रैस आप के लिये ही बना है पैक करा लें “ !!!
उन के आगे जाते ही वह लड़का फिर जिन्न की तरह आ पहुँचा। उस की आवाज़ इतनी कम थी कि वह सिर्फ़ ईशा ही सुन सकी।
“ नहीं आंटी, यह नहीं। मुझे पहनने के बाद यह कुछ खास नहीं लग रहा है , कोई दूसरा देखते हैं “ !!!
उस ने जल्दी से आगे बढ़ कर आंटी को रोकते हुए आदित्य को सुनाने के लिये ज़रा ज़ोर से कहा था आगे बढ़ता हुआ आदित्य उस की इस बचकाना हरकत पर मुस्कुरा दिया।
शॉपिंग मॉल से वापसी पर वह बुरी तरह थक चुकी थी ।
“ आंटी आई एम टू टायर्ड सो प्लीज आप मुझे घर ड्रॉप कर दीजिएगा। “ !!!
वापसी पर आंटी का रेस्टोरेंट जाने का प्लान था लेकिन वह थकन की वजह से कार में बैठते ही बोली।
“ अच्छा चलो कोई बात नहीं , अब तो रोज तुम्हारे साथ शॉपिंग के लिए जाना होता ही रहेगा फिर कभी चलेंगे रेस्टोरेंट्स तो। अभी घर पहुंचकर तुम रेस्ट करो “ !!!
आंटी ने उसके थके थके चेहरे को देखते हुए मोहब्बत से कहा तो वह भी हल्की सी स्माइल के साथ मुस्कुरा दी।
ड्राइवर ने कार स्टार्ट करके आगे बढ़ा दी लेकिन उनकी कार के पीछे किसी और की कार भी थी वह यह नोटिस नहीं कर सकी थी।
*********
मैम यह लीजिए “ !!!
चौकीदार ने एक बड़ा सा पैकेट लाकर ईशा के हाथ में थमाते हुए कहा।
“ क्या है यह “ ???
उस ने हैरान होकर पूछा क्योंकि उसे यह नहीं याद था कि उसने ऑनलाइन कुछ आर्डर किया हो।
“ पता नहीं मैम, एक साहब देकर गए थे और यह कहा था कि यह पैकेट आपको दे दूं “ !!!
चौकीदार ने बताया तो ईशा कुछ असमंजस में पड़ गई।
“ कौन हो सकता है “ ??
वह सोचने लगी।
“ साहब मतलब आरव तो नहीं थे , तुमने ध्यान से देखा ना “ ???
उसने पैकेट को उलट पलट कर देखते हुए चौकीदार से पूछा।
“ नहीं मैम, आरव सर नहीं थे। और वह साहब तो गाड़ी से बाहर निकल कर मुझे यह पैकेट पकड़ा कर गए थे तो मैंने अच्छे से देखा था वह तो कोई और ही थे “ !!!
चौकीदार ने इतने यकीन से कहा कि ईशा वाकई उलझ गई।
“ ठीक है तुम जाओ, और दोबारा वह आए तो उनके वापस जाने से पहले एक बार मुझे जरूर बुला लेना” !!!
ईशा ने कहा तो चौकीदार हां में सर हिला कर वापस पलट गया।
“ पता नहीं कौन है ,और यह गिफ्ट क्यों भेजा है। क्या है इस गिफ्ट में “ ???
ईशा सोचते हुए उस गिफ्ट को उलट पलट कर देखती हुई वापस अंदर जाने के लिए मुड़ गई।
अपने कमरे में आकर उसने गिफ्ट को आगे पीछे ऊपर नीचे सब तरह से चेक कर लिया लेकिन ना कोई नाम की स्लिप थी और ना ही बिना स्लिप के कोई नाम या कुछ टैक्स हुआ था।
वह गिफ्ट का रैपर खोलने लगी कोई बड़ा सा बॉक्स था उसने अंदाजा लगाया।
वह रैपर खोलने के बाद अंदर एक गत्ते का काफी बड़ा बॉक्स रखा हुआ था।
उसने बॉक्स को ओपन किया तो अंदर रखे गिफ्ट को देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई।
“ यह किसने भेजा है, आरव तो नहीं भेज सकते क्योंकि उन्होंने अगर मुझे उन्होंने मुझे यह भिजवाना भी था तो वह ऐसे चुपके से किसी से क्यों भिजवाते। इनफैक्ट वह तो मुझे फोन करके इन्फॉर्म करते या फिर खुद लेकर आ जाते या किसी सर्वेंट के साथ भिजवाते। तो फिर यह कौन हो सकता है “ ???
हजारों सवाल उसके दिमाग में चल रहे थे जिनका जवाब नहीं मिल रहा था।
“ मेरे अलावा किसी और को तो इस के बारे में पता ही नहीं है तो यह कौन हो सकता है जिस ने यह सीधा मेरे घर भिजवा दिया
ईशा वह गिफ्ट देख कर टेंशन में पड़ गई । किसी से कुछ कह भी नहीं सकती थी। मां तो पहले ही छोटी-छोटी बात पर परेशान हो जाया करती थी। और इस टाइम तो आती सर्दियों में उनके जोड़ों में दर्द रहने लग जाता था तो उनकी तबीयत वैसे ही खराब थी। इसलिए उस ने उन्हें परेशान करना सही नहीं समझा और गिफ्ट उठा कर अल्मारी में रख दिया ताकि किसी और की उस नज़र ना पड़ सके।
कर्नल प्रभाकर जो किसी ख्याल में गुम थे आरव की कॉल पर सोचों से बाहर निकले।
“ यस बोलिये मेजर आरव “ !!!
उन्होंने फोन रिसीव करते हो पूछा
“ सर मुझे आपसे मिलना है एंड इट्स टू अर्जेंट “ !!!
आरव ने कहा तो वे कुछ चौंक गए।
“ क्या बात है मेजर आरव, सब ठीक तो है “ !!!
“ सर यह सब मैं आपको मिलकर बताऊंगा आप यह बताइए मैं कब आऊं “ !!!
“ आप इसी वक्त आ जाइए हमारे रेजिडेंस पर ही “ !!!
“ ओके सर आई एम कमिंग राइट नाउ “ !!!
कह कर आरव फोन जेब में रख कर जाने के लिए उठ खड़ा हुआ।
“ क्या बात है मेजर आरव, आप इतना अर्जेंट में मिलने आए हैं। सब ठीक है “ ???
फोन करने के बाद दस मिन्ट के अंदर अंदर आरव कर्नल की कोठी पर पहुंचा तो उन्होंने हैरान हो कर पूछा।
“ जी सर , बात ही ऐसी थी “ !!!
“ ठीक है आप बैठिये फिर इतमीनान से बात से बात करते है “ !!!
उन्होंने आरव को सामने कुर्सी पर बैठने का ईशारा किया।
“ थैंक्यू सर “ !!!
वह शुक्रिया अदा करते हुए बैठ गया।
“ बताइये क्या बात है “ ???
आरव के फेस ऐक्सप्रेशंस से उन को महसूस हो गया था कि बात कुछ ज़्यादा सीरियस है।
“ सर , कल मैं किसी काम से बाहर गया था जहां मुझे कुछ लड़के मिले जो एक लड़की को तंग कर रहे थे और ............
आरव ने कह कर उन्हें कल की पूरी बात बता दी।
“ यह क्या कह रहे हैं आप मेजर आरव , क्या वाक़ई आप ने यह बात खुद सुनी है “ ???
वह उसकी बात सुन कर वाक़ई हैरान थे।
“ जी सर, कल वहां उन लोगो के जाने के बाद मैं उन का इस तरह पीछा करते हुए उन के अड्डे तक इस तरह पहुंचा कि उन में से किसी को मुझ पर शक भी नही हुआ। तब मैंने उन की पूरी बात सुनी थी “ !!!
आरव ने कल का सीन रिमाइंड किया ।
उन गुंडो को वहां से जाने के टाईम वह मिरर में देख रहा था जहां से वह लोग जाते हुए साफ़ दिखाई दे रहे थे उन में से एक ने वापस मुड़ कर भी देखा था। फिर आरव ने यह भी देखा कि वह लोग बाएं तरफ़ मुड़ गए जहां पर उन की गाड़ी मौजूद थी।
उन के जाने के बाद वह बहुत तेज़ी के साथ उन के पीछे पीछे निकला था और एक ऑटो पकड़ कर उन की गाड़ी का पीछा करने लगा उस गाड़ी का नम्बर भी उस ने ध्यान से देख लिया था।
उस के बाद उन सब का पीछा करते करते वह उन लोगो के ठिकाने पर पहुंच गया। वह लोग जहां रुके थे आरव ने उस से पहले ही साइड में ऐसी जगह पर ऑटो को रोक लिया था जहां से उन लोगों की नज़र उस पर नहीं पड़ी थी लेकिन वह उन की activities पूरी तरह से देख रहा था।
“ और क्या सुना था आप ने “ ???
वह उलझ गए।
“ सर यह कोई बड़ा टैरेरिस्ट ग्रुप है जो काफ़ी Illigal कामों में लगा हुआ है। बाहर से आतंकियों को लाना और हमारे देश को नुक़सान पहुंचाना इन के कामों में से एक है और इस के अलावा यह बाहर के देशों से यहां हमारे देश में अवैध हथियारों की तस्करी भी करते हैं। सर हो ना हो यह वही गैंग है जिस ने पहले भी सी एम साहब पर मॉल में अटैक कराया था “ !!!
आरव बता रहा था और कर्नल प्रभाकर का ध्यान एक दूसरी कड़ी में अटका हुआ था।
“ सर एक बात और वह लोग बोल रहे थे। पूरी बात क्लियर तो मुझे समझ नहीं आई पर वह लोग चिल्ड्रंस डे की कुछ बात कर रहे थे। वह लोग किसी मिशन के बारे में बात कर रहे थे जिस में बार बार ज़िक्र 14 नवंबर का आ रहा था। इसका मतलब यह है कि वह लोग चिल्ड्रंस डे पर किसी ऐसी जगह पर अपना मिशन अंजाम देंगे जहां पर कोई प्रोग्राम Organise हो रहा हो क्योंकि सर पहले मॉल में भी इन लोगों ने अटैक के लिये वह दिन चूज़ किया था जब वहां पर इनॉगेरेशन हो रही थी “ !!!
आरव नें बताया तो कर्नल प्रभाकर के दिमाग़ को जैसे एक ज़ोरदार झटका लगा था।
“ चिल्ड्रंस डे “ !!!
“ जी हां सर “ !!!
कर्नल प्रभाकर को जैसे गुत्थी का एक सिरा मिला था जो वह कब से सुलझाना चाह रहे थे।
“ सर चिल्ड्रंस डे का सुन कर आप चौंके क्यों “ ??
आरव नें हैरान होकर पूछा।
“ क्योंकि आरव इन का निशाना इस बार बच्चे हैं यह लोग बच्चों के ज़रिये देश में दहशतगर्दी फैलाना चाह रहे हैं “ !!!
“ ओह नो सर, हमारे पास वक़्त भी बहुत कम है So Sir we should take immediate action to counter them “ !!!
“ Yes Major Aarav , We Don’t have much more time . हमें आज ही इस प्लान पर काम शुरू करना होगा क्योंकि चिल्ड्रंस डे मैं कुछ ही दिन बचे हैं। मैं अपने स्टाफ़ को इंफॉर्म कर देता हूं इस मिशन के लिये पर बी केयरफुल, क्योंकि मेरे या आप के स्टाफ़ में से किसी को यह मालूम नही होगा कि इस मिशन के लिये आप गए हैं। सिर्फ़ यह मालूम होगा कि हमारा कोई ऑफ़िसर है Got it “ !!!
कर्नल साहब कह रहे थे। और आरव ने सोच लिया कि उसे क्या करना है।
“ Got it sir “ !!!
कहते हुए आरव खड़ा हो गया।
“ ओके मेजर आरव Wish you all the best “ !!!
कर्नल ने उसे लक विश किया।
“ Thankyou sir “ !!!
“ Ok Major Aarav Jai Hind “ !!
कर्नल साहब ने कहा।
“ Jai Hind सर “ !!!
कह कर आरव ने कर्नल साहब को सैल्यूट किया और उन की इजाज़त ले कर बाहर निकल गया।
आदित्य ने आज प्रिया और रमेश की शादी की खुशी में एक पार्टी रखी थी जिससमें ईशा और आरव भी Invited थे।
आरव ने उसे सुबह से ही पार्टी में जाने के लिए बताया हुआ था 8:00 बजे उनको होटल के लिए निकलना था और अभी 7:30 बज रहे थे और ईशा पूरी तरह से रेडी हो कर बैठी हुई आरव का वेट कर रही थी लेकिन आरव का दूर-दूर तक कोई पता नहीं था इसलिये ईशा नें रमेश और प्रिया को पहले से ही भेज दिया था क्योंकि वह लोग उस पार्टी के चीफ गैस्टस थे और उन्हें पहले पहुँचना चाहिये था।
“ पता नहीं कहाँ रह गए, कसम से यह पुलिस वालों से प्यार करना भी बड़ा मुश्किल है “ !!!
ईशा नें Furstrate हो कर सोचा फिर एक नज़र आईने में खुद पर डाली।
लाईट ग्रीन स्लीवलैस लॉंग फ्रॉक जिसका बोट स्टाइल नेक था पर उस ने लाईट लैमन कलर का ही श्रग पहना हुआ था जिस की स्लीवज़ थ्री फोर्थ थीं। रेशमी बाल हमेशा की तलह काँधो पर लहरा रहे थे। एक हाथ में मैटल का मैचिंग ब्रेस्लेट और मैटल की ही बड़ी और खूबसूरत सी एक रिंग उस ने अपनी नाज़ुक सी उंगली में डाली हुई थी, नाज़ुक दूधिया पाँव मैचिंग जूती की कैद में और ज़्यादा खूबसूरत लग रहे थे।
खुद पर नज़र डालने के बाद वह इतमीनान के साथ मुस्कुरा दी।
“ “ Looking Ammazing “ !!!
पास से आती आवाज़ पर वह चौंक कर पलटी थी।
“ Hmmm Finally आ गए आप, पता है कितनी देर से इंतेज़ार कर रही हूं मैं आप का “ !!!
उस नें वापस पलट कर एक नज़र आईने पर डालते हुए कहा और हाथ से बाल सैट करने लगी।
“ हाँ जी , पता है मुझे कि आज मेरी प्रिंसेज़ ने मेरा बहुत देर वेट किया है “ !!!
आरव शरारती नज़रों से उसे देखता हुआ उस के बिलकुल पीछे आ खड़ा हुआ तो ईशा एक लम्हे के लिये घबरा गई। आरव के इतने क़रीब खड़े होने पर उस की धड़कनों की स्पीड ओवर हो गई थी।
वह घबरा कर पलटी।
“ क्या हो गया है यार तुम तो ऐसे परेशान हो रही हो जैसे मैं तुम्हें खा जाऊंगा “ !!!
आरव को उस की घबराहट मज़ा दे रही थी।
“ ऐ... ऐसी कोई बात नहीं है, और.. र.. मैं परेशान क्यों होऊंगी आप गलत समझ रहे हैं “ !!!
वह बात करते करते अपने अँगूठे से नाखुनों को सहलाती खासी नर्वस लग रही थी लेकिन यह बात एक्सेप्ट नहीं करना चाहती थी।
“ अच्छा , परेशान नहीं हो तो फिर क्या हो “ ???
आरव दो क़दम आगे बढ़ कर उस के और क़रीब आ खड़ा हुआ तो ईशा की जैसे साँसे बंद होने लगी थीं।
“ हम... हमें द... देर.... हमें देर हो रही है म... मेरा ख्याल है कि हमें अब चलना चाहिये “ !!!!
उस ने थूक निगलते हुए बात पूरी की।
“ हाँ बिलकुल चलेंगे , कुछ देर मुझे अपनी प्रिसेज़ को देखने तो दो यार “ !!!
आरव ने दिलचस्पी से उस के नर्वस होते चेहरे को देखा जो लाईट मेकअप और शर्म के ऐहसास से और ज़्यादा खूबसूरत हो गया था। वह कुछ वक़्त के लिये बिलकुल बेखुद सा हो गया।
“ आ....आरव चलें ... वह लोग हमारा वेट कर रहे होंगे “ !!!
घबराहट के मारे ईशा के मुंह से बोल भी ठीक से निकल नहीं रहे थे।
आरव एक क़दम और आगे बढ़ा तो ईशा घबरा कर और पीछे हो गई और वहां रखे आईनें से जा लगी इस से पीछे जाने के लिये और स्पेस नहीं था उस नें घबरा कर अपनी दोनों आँखें मींच लीं।
आरव को उस की इस मासूम अदा पर हँसी भी आई और प्यार भी।
उस ने आगे बढ़ कर ईशा के माथे पर अपनी मुहब्बत की मुहर साबित कर दी।
और ईशा उस का तो मानो काटो तो लहू नहीं वाला हाल था। उसकी ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की नीचे ही रह गई थी।
********
आरव ने उस के फ़क़ पड़ते चेहरे पर एक नज़र डाली और पलट कर तेज़ तेज़ क़दमों के साथ बाहर निकल गया।
क़दमों की आवाज़ पर ईशा ने बंद आँखें खोल कर देखा वह जा चुका था।
उस ने इतनी देर से खुद को कम्पोज़ किया हुआ था अब और ज़्यादा ना कर सकी। अपने वुजूद को ढीला छोड़ा और सोफ़े पर गिरने के से अंदाज़ में बैठ गई।
उस की लाईफ़ में यह पहला इत्तेफ़ाक़ था , आज तक कभी कोई उस के इतने क़रीब नहीं आ सका या यूं कहो कि उस ने आने ही नही दिया था।
चेहरे को दोनों हाथो से ढांप कर वह कुछ देर इसी पोज़ीशन में बैठी रही कुछ देर बाद जब सांसे कुछ नॉर्मल हुई तो उस ने सर उठा कर पानी की बॉटल की तलाश में अपने आस पास देखा। बॉटल बेड के किनारे पर रखी हुई थी उस ने उठ कर बॉटल को हाथ में उठाया और गटागट एक ही साँस में पानी चढ़ा गई।
पानी पी कर कुछ नॉर्मल हुई तो साइड टेबल की दराज़ से टिशू बॉक्स निकाला और एक टिशू ले कर आईने में देखते हुए चेहरा थपथपाने लगी।
उस ने पार्टी में जाने काइरादा कैंसिल कर दिया और चेंज करने के लिये कपड़े लेने कबर्ड की तरफ़ बढ़ गई।
“ ईशा “ !!!!
उस नें अभी अल्मारी से कपड़े निकाले भी नहीं थे कि भाभी की आवाज़ पर पलट कर देखा।
“ जी भाभी “ ???
“ तुम वहाँ अल्मारी में क्या कर रही हो , आरव नीचे तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा है और तुम यहां पता नहीं किन कामों में उलझी हुई हो “ !!!!
भाभी ने कहा।
“ वह नीचे ही हैं “ ???
ईशा ने हैरत से पूछा।
“ तो ज़ाहिर है भई, वह तुम्हें लेने आया है तो साथ लेकर ही जाऐगा ना। उसी ने तो मुझे तुम्हें लेने के लिये यहां भेजा है इन्फैक्ट वह तो ऊपर ही आया था तुम्हें खुद बुलाने के लिये, लेकिन शायद तुम्हें देखा नहीं उस नें इसीलिये वापस चला गया” !!!
भाभी बता रही थीं उसे एक बार फिर कुछ देर पहले का सीन याद आ गया था।
“ अच्छा !!! पता नहीं मैंने नहीं देखा “ !!!
वह सीन याद आते ही उस ने झेंप कर कहा।
“ कोई बात नहीं , तुम अब चलो। पहले ही ईतनी देर हो चुकी है 8 बजे का टाईम था पार्टी का और साढ़े आठ तुम लोगों को यहीं हो रहे हैं। जल्दी चलो अब “ !!!
भाभी कहते हुए पलट गईं तो वह भी चुपचाप उन के पीछे- पीछे निकल गई।
घर से ले कर होटल तक का पूरा रास्ता खामोशी से गुज़रा दोनों के बीच एक हरूफ़ की बात नहीं हुई थी।
“ बात सुनो ईशा “ !!!
होटल के सामने कार रोकते हुए आरव ने सीट बैल्ट उतारती ईशा की तरफ़ देखा।
“ जी “ ???
उस के हाथ बैल्ट खोलते खोलते रुक गए लेकिन नज़रें बेल्ट पर ही थीं क्योंकि आरव की तरफ़ देखने की हिम्मत वह खुद में नहीं जुटा पा रही थी।
“ सॉरी फॉर दैट “ !!!
आरव नें कहा तो वह कुछ नहीं बोली बल्कि झुका हुआ सर और ज़्यादा झुक गया। !!
“ तुम उतरो , मैं कार पार्क कर के आता हूं “ !!!
आरव नें कहा।
वह सीट बैल्ट उतारने के बाद खुद भी कार से उतर कर ऐंट्रैंस की साइड बढ़ गई तो आरव ने भी कार पार्किंग ऐरिया की तरफ़ बढ़ा दी।
वह कार पार्क कर के वापस आया तो ईशा रिसेपशन से कुछ पहले खड़ी उस का वेट कर रही थी।
“ चलें “ ??
आरव नें पूछा
“ हम्म” !!!
कहते हुए ईशा नें उस के साथ क़दम से क़दम मिला दिये।
“ अरे आरव, कहाँ रह गऐ थे तुम लोग , कितनी देर कर दी आने में “
प्रिया उन दोनों को देखते ही उसी तरफ़ आ गई।
“ बस यार वह एक ज़रूरी काम में उलझ गया था इसलिये थोड़ी देर हो गई। यह आदित्य क्यों नज़र नहीं आ रहा है “ ???
आरव नें चारों तरफ़ देख कर पूछा।
“ अभी तो यहीं था, पता नहीं अब कहाँ चला गया “ ???
प्रिया नें भी आदित्य की तलाश में चारों तरफ़ नज़रें दौड़ाईं।
“ चलो तुम लोग बातें करो, मैं खुद देख लेता हूं उसे “ !!!
आरव नें प्रिया को कहा और ईशा को भी वहीं रुकने का ईशारा करते हुए दूसरी तरफ़ पलट गया।
“ आओ ईशा, तुम्हें हमारे यूनिवर्सिटी फ्रैंड्स से मिलवाती हूं “ !!!
प्रिया कहती हुई ईशा को ले कर एक साइड खड़े कुछ लड़के और लड़कियों के ग्रूप की तरफ़ बढ़ गई।
“ ईशा , मीट देम !!! यह हमारे कॉलेज के सब से बदतमीज़ ग्रूप के मेंमबर्स हैं जिन्होंने हमेशा टीचर्स की नाक में दम कर के रखा है “ !!!
प्रिया नें हँसते हुए कह कर बारी बारी बाय नेम उन सब का Intro दिया था।
“ और गाईज़ यह है ईशा , आरव की फियॉंसे “ !!!
अब की उस ने ईशा का Intro सब को दिया तो सब ने तारीफी नज़रों से उसे देखा था।
“ वॉव यार , आरव की फियांसे बिलकुल वैसी है जैसा हम लोगों ने ऐक्सपैक्ट किया था “ !!!
उन में से एक लड़की नें कहा तो सब हँस पड़े और ईशा झेंप कर मुस्कुरा दी।
“ क्या करती हो ईशा तुम “ ??
अब की एक दूसरी लड़की नें पूछा तो ईशा नें उसे अपनें प्रोफ़ेशन का बता दिया जिस पर लगभग सभी के मुंह खुले रह गए। कोई भी यह यक़ीन करने के लिये तैयार नहीं था कि वह इतनी बड़ी सर्जन है।
“ यार लगती तो नहीं हो तुम , इतनी नाज़ुक सी तो हो कैसे कर लेती हो यह चीर फाड़ “ !!!
पहली वाली लड़की नें कुछ हैरत से पूछा तो ईशा जवाब देनें के बजाऐ सिर्फ़ मुस्कुरा दी।
कुछ देर वह सब खड़े बातें करते रहे।
“ अरे यह ादित्य किधर चला गया ना ही रमेश का कहीं पता चल रहा है और ना आरव ही दिखाई दे रहा हैं कहीं , कहां चले गऐ यह लोग वह भी एक साथ “ ???
प्रिया नें ध्यान आनें पर चारों तरफ़ देखा पर वह लोग उसे कहीं भी नज़र नहीं आए।
“ मैं इन लोगो को देख कर आती हूं ईशा तुम तब तक यहीं रुको “ !!!
प्रिया कह कर जैसे ही पलटी तो वहां से गुज़रते वेटर से टकराई जिस के हाथ में पकड़ी ट्रे डिसबैलेंस्ड हुई और उस में रखे ग्लास में रखा जूस गिरते हुए ईशा के कपड़े गंदे कर गया।
“ ओह्ह शिट्ट !!! देख कर नहीं चल सकते हो क्या तुम “ ???
प्रिया ने वेटर की तरफ देखते हुए गुस्से से पूछा।
“ स... सॉरी मैडम गलती से गिर गया “ !!!
वेटर ने माफी मांगी।
“ वॉशरूम किधर है “ ??
ईशा ने वेटर की तरफ देखते हुए पूछा।
“ मैम यह रूम से निकलकर राइट साइड पर है ,आइए मैं आपको लेकर चलता हूं “ !!!
वेटर कहते हुए आगे बढ़ गया तो ईशा भी उन सबको एक्सक्यूज करती हुई उसके पीछे पीछे वॉशरूम चल दी।
“ हेलो गाइस “ !!!
आरव नें हाथ हिला कर उधर आते हुए उन सब को मुखातिब किया तो सबने एक साथ सर उठाकर आवाज की दिशा में देखा।
आरव रमेश और आदित्य तीनों एक साथ खड़े हुए थे।
“ है आरव, क्या हाल है “ ???
ग्रुप के बॉयज ने आरव से हाथ मिलाते हुए पूछा।
“ बिल्कुल ठीक हूं ,फर्स्ट क्लास बिंदास तुम लोग सुनाओ क्या कर रहे हो आजकल “ ???
आरव नें मुस्कुरा कर जवाब देने के बाद पूछा।
“ हमारी छोड़ यार तू अपनी बता। आर्मी में चला गया और सगाई भी करा ली क्या बात है बड़ा छुपा रुस्तम निकला तू तो “ ????
आदित्य ने आरव की कमर पर धप मारते हुए कहा तो सब एक साथ हंस पड़े।
“ कोई बात नहीं बेटा तू फिक्र ना कर। तेरी आजादी के भी बस कुछ ही दिन बचे हैं “ !!!
आरव ने जवाब दिया तो सब एक बार फिर हंसने लगे।
“ वैसे आरव तुम्हारी फ्रियांसे कितनी प्रिटी है एज़ एक्सपेक्टेड, हम लोगों ने तुम्हारी बीवी ऐसी ही एक्सपेक्ट की हुई थी “ !!!!
इस बार ग्रुप की गर्ल्स ने कहा तो आरव मुस्कुराते हुए सर में हाथ फेरने लगा।
“ अरे यार भाभी कहां है मुझे तो मिलवाओ , उस दिन तुम्हारे घर पर भी मेरी उनसे फेस टू फेस मुलाकात नहीं हो सकी बस जाते हुए ही प्रिया ने दूर से दिखाया था “ !!!
आदित्य ने पूछा।
“ हां भाई कहां है तुम्हारी पार्टनर” ???
आरव ने प्रिया की तरफ देखते हुए कहा।
“ वह जरा वॉशरूम तक गई है आती ही होगी अभी, तुम लोग वेट करो। जो लड़की लाईट लैमन कलर के ड्रेस में मेरे पास आकर खड़ी हो जाएगी तो आदित्य तुम समझ जाना कि वहीं आरव की फियांसे है।“ !!!!
प्रिया ने कहा तो उसने सर हिला कर जवाब दिया और रमेश की तरफ मुड़ गया। वे लोग आपस में बातें करने लगे थे।
“ एक्सक्यूज मी गाईज़, मैं अभी 2 मिनट में वापस आकर आप लोगों को जॉइन करता हूं यह एक अर्जेंट कॉल है सो गिव मी सम टाइम “ !!!
आदित्य को कोई अर्जेंट कॉल आ गया तो वह सब से एक्सक्यूज करता हुआ बाहर की तरफ चला गया क्योंकि वहां पर शोर हो रहा था और आवाज सही से नहीं आ रही थी।
“ हैलो... हैलो....
आदित्य हेलो हेलो करता हुआ। कमरे से निकालकर राइट साइड की तरफ से तेज कदमों से बढ़ गया। क्योंकि उधर का एरिया सुनसान था और वह रिलैक्सली बात कर सकता था।
इधर वॉशरूम में ईशा नें अपना श्रग उतार कर उसको वाश किया लेकिन वह अच्छा खासा भीग चुका था और अब दोबारा पहने जाने के लायक नहीं था इसलिए उसने श्रर्ग उतारकर उसको फोल्ड किया और श्रग के नीचे जो फ्रॉक उसने पहनी हुई थी उसी में ही वॉशरूम से बाहर आ गई। अभी वह उसी कमरे की तरफ जा ही रही थी जिधर प्रिया और बाकी सब लोग इकट्ठे थे कि उसका फोन रिंग कर उठा।
उसने स्क्रीन की तरफ देखा मां का कॉल था इसलिए उठाना भी जरूरी था।
“ जी मां कहिए क्या बात है “
उस नें फोन उठाते हुए कुछ हैरानी से पूछा, क्योंकि उसे अभी आए हुए कुछ ही देर हुई थी और ऐसे में मां का फोन करना वह वहीं रुक कर बात करने लगी।
भाभी की अचानक तबीयत खराब हो गई थी। क्योंकि प्रेगनेंसी का मसला था इसलिए वह लोग देर भी नहीं कर सकते थे। भाई इस वक्त आउट ऑफ सिटी थे इसलिए उनको हॉस्पिटल लेकर जाने के लिए घर में कोई भी मौजूद नहीं था मां ने बताया तो वह सुनकर बुरी तरह से परेशान हो गई।
“ ठीक है माँ आप लोग रुके हम लोग बस अभी पहुंच ही रहे हैं वहां पर “ !!!
उसने परेशानी से कहते हुए फोन रखा और तेज तेज कदमों से उस कमरे की तरफ बढ़ने लगी।
“ हेलो मिस ईशा “ !!!
पीछे से आती आवाज पर उसे रुकना पड़ा था।
“ जी कहिए”
वह जल्दी में पलटी तो सामने आदित्य खड़ा हुआ था।
“ आप भी आई हुई है यहां पर “ ???
आदित्य ने हैरानी और खुशी के मिले-जुले असर में ईशा को देखकर पूछा।
(क्योंकि उसे अब तक नहीं पता था कि इस आई आरव की मंगेतर है)
“ जी हां बिल्कुल आप ने बुलाया था इसलिए आई हूं “ !!!
ईशा के चेहरे पर बेज़ारियत दिख रही थी क्योंकि वह जल्दी से जल्दी आदित्य से जान छुड़ाना चाहती थी उसे भाभी की फिक्र हो रही थी।
“ मेरा ख्याल है कि आप शायद जल्दी में है , इट्स ओके हम फिर कभी बात कर लेंगे “ !!!
उसकी फेस एक्सप्रेशंस एंड आदित्य को अंदाजा हो चुका था कि वह अभी उस से बात नहीं करना चाहती है।
“ थैंक्यू “ !!!
वह कहते हुए थे तेज़ तेज़ क़दमों से सीढ़ियों की तरफ बढ़ गई उसने अंदर कमरे में जाने का इरादा भी कैंसिल कर दिया था।
उसका इरादा सीधे पार्किंग एरिया में पहुंचने का था और आरव को उसने फोन पर इन्फॉर्म कर देना था।
आरव ने ऑटो वाले को वहां का एड्रेस समझाया जहां उसने उन गुंडों के ठिकाने को देखा था और ऑटो में बैठ गया।
“ बस बस बस भैया यहीं रोक दो “ !!!
वह उस एड्रेस से पहले ही ऑटो रुकवा कर उस में से उतर गया।
ऑटो से उतरने के बाद उस ने अपने चारों तरफ देखा यह एक कम आबादी वाला इलाका था जहां कुछ कुछ दूरी पर मिट्टी के बने हुए कच्चे इक्का-दुक्का मकान ही दिखाई दे रहे थे और शायद यही वजह थी कि उन गुंडों ने अपना ठिकाना यहां पर बनाया था यहां पर उन पर किसी को शक भी नहीं हो सकता था।
उसने अपनी पॉकेट से एक छोटा कीपैड फोन निकाला और उसमें टाइम देखने लगा शाम के 4:00 बज रहे थे।
वह उसी घर की तरफ बढ़ गया जो उन गुंडों का अड्डा था।
उसने वहां लगे एक पेड़ के पीछे से छिपकर देखा। उनमें से 2 लोग उसी घर की बालकनी में खड़े हुए थे वह उन के वहां से जाने का इंतजार करने लगा।
लगभग पांच 7 मिनट के बाद वे दोनों अंदर चले गए तो आरव जल्दी से पेड़ के पीछे से निकला और तेज़ तेज़ कदम उस घर की तरफ बढ़ा दिए।
दरवाजे के किवाड़ मिले हुए थे उसने हाथ के हल्के से ईशारे से उनको खोलने की कोशिश की तो मालूम हुआ कि किवाड़ अंदर से बंद है उसने आसपास नजर दौड़ाई कि कोई खिड़की या कोई और रास्ता हो जिस से वह अंदर जा सके लेकिन वहां ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा था।
वह उस घर के चारों तरफ घूम- घूम कर कोई ऐसा रास्ता ढूंढने लगा जो उसे अंदर उन गुंडो तक पहुंचा दे लेकिन उसे ऐसा कुछ भी नहीं मिला।
उस घर का सिर्फ एक ही मेन गेट था जो बंद था।
कुछ देर तक सोचने के बाद आरव के दिमाग ने काम किया और उसने पास पड़ा एक 1 छोटा सा पत्थर उठाकर दरवाजे में मार कर जानबूझ कर आवाज की ताकि वह लोग अंदर से बाहर आएं।
और यही हुआ भी आवाज पर उन में से कोई दरवाजे की तरफ आया था।
“ कौन है बाहर “ ???
अंदर से कोई गरजदार आवाज में कहता दरवाजे की तरफ आया था।
आरव अपनी दोनों पॉकेट्स में हाथ डालकर एक साइड खड़ा हो गया और चारों तरफ सर घुमा कर ऐसे देखने लगा जैसे उसने कुछ किया ही नहीं।
“ ओए कौन है तू , और यहां क्या कर रहा है “ ???
आरव को बाहर खड़े चारों तरफ देखते हुए उस आदमी को उस पर शक हुआ था।
“ देख नहीं रहे , हवा खा रहा हूं “ !!!
उस ने चारों तरफ देखते हुए बड़े आराम से उसके गुस्से का कोई नोटिस लिए बगैर जवाब दिया तो वह गुंडा और ज्यादा तप गया।
“ ज्यादा बकवास करने की जरूरत नहीं है, चल निकल यहां से। यहां और भी बहुत सारी खाली जगह पड़ी हुई है वहां जाकर खाले हवा “ !!!
उस आदमी ने गुस्से से जवाब दिया लेकिन आरव अभी तक उसी इत्मीनान के साथ वहां खड़ा हुआ था।
“ नहीं जाऊं तो क्या कर लोगे ??? कौन सा यह सड़क तुम्हारे बाप की है जो तुम्हारे कहने से कोई आए या जाए “ !!!
वह जानबूझकर उस आदमी को गुस्सा दिलाना चाहता था।
“ ऐसे नहीं मानेगा तू, रुक तुझे अभी बताता हूं “ !!!
कहते हुए वह बाहर आया और आरव पर हमला करने की कोशिश की तो जवाब में आरव ने भी उसकी धुनाई कर दी।
लड़ाई की आवाज सुनकर अंदर से दो चार आदमी और निकल आए। जिनमें एक लंबा चौड़ा और बड़ी-बड़ी मूछों वाला भी था।
“ क्या हो रहा है यहां पर, बबलू कौन है यह आदमी और क्यों लड़ रहा है तुझसे “ ???
उस बड़ी-बड़ी मूछें वाले आदमी ने उसी लड़के से पूछा जो आरव से लड़ रहा था।
“ पता नहीं भाई कौन है हमारी घर की जासूसी कर रहा था मैंने भगाना चाहा तो भागा नहीं उल्टा मुझे आंखें दिखाने लगा। मुझे तो लगता है कि कोई पुलिस का आदमी है “ !!!
वह लड़का जिसका नाम बबलू था अपने हाथ से होंठो के पास लगा हुआ खून साफ करते हुए बोला जो आरव के एक ही फौलादी मुक्के ने उसके मुंह से निकाल दिया था।
“ क्यों बे , कौन है तू और किसने भेजा है तुझे हमारी जासूसी करने के लिए “ ???
वह बड़ी मूछों वाला आदमी जिसे बबलू भाई कह रहा था अब आरव से पूछने लगा।
“ मुझे किसी ने नहीं भेजा है मैं तो रोज यहां वॉक करने के लिए आता हूं “ !!!
आरव का जवाब सुनकर उस आदमी के माथे पर बल पड़ गए।
“ यह वॉक करने की कौन सी जगह है और अब से पहले तो हम में से किसी ने तुम्हें यहां वॉक करते नहीं देखा “ !!!
उस आदमी को आरव पर शक हो चुका था और यही आरव चाहता भी था।
“ नहीं देखा तो तुम लोगों की नजर कमजोर होगी। मैं तो यहां रोज वॉक करने आता हूं और वही कर रहा था “ !!!
आरव ने कहा तो उस आदमी के माथे के बल गहरे हो गए।
“ ओए बबलू राजू गुड्डू , जरा इस लड़के को वॉक कराओ। उसके बाद मेरे पास लेकर आना , ज्यादा चर्बी चढ़ गई है इसे सारी 1 मिनट में उतर जाएगी “ !!!!
उस बड़ी मूछों वाले आदमी ने पलट कर अपने गुंडों को हुकुम जारी किया।
“ जी भाई अभी वॉक कराते है इसे “ !!!
वह सब हंसते हुए आरव की तरफ बढ़े और वह बड़ी मूछों वाला कुर्सी दरवाजे के आगे रखकर तमाशा शुरू होने का इंतजार करने लगा।
उन सब ने आरव को चारों तरफ से घेर लिया लेकिन हथियार किसी के हाथ में नहीं था।
उनके भाई ने उन्हें हथियार से लड़ने से मना कर दिया था क्योंकि आरव के पास भी कोई हथियार नहीं था।
“ मुकाबला बराबरी का होना चाहिए , लड़के के पास कोई हथियार नहीं है तुम सब लोग भी अपने अपने हथियार एक तरफ रख दो “ !!!!
उस बड़ी मूछों वाले आदमी ने कहा।
“ जी ठीक है भाई “ !!!
उन सब ने कह कर अपने अपने हथियार निकाल कर अपने भाई के पास रख दिए।
इसके बाद वे सब आरव को चारों तरफ से घेर कर खड़े हो गए।
“ बड़ा हीरो बन रहा था ना अभी 1 मिनट में निकल जाएगी तेरी हीरोगिरी रुक तू “ !!!
कह कर उन में से एक गुंडे ने आरव पर मुक्के से वार किया जिस के जवाब में वह झुक कर बच गया।
“ ज्यादा स्याना बन रहा है “ !!!
एक गुंडा कहते हुए भाग कर उस की तरफ़ आया जिस पर आरव ने बचने का नाटक करते हुए उसका ध्यान बटाया और अपने जूतों से सीधा उसकी टांगों पर वार किया था।
वह बैलेंस नहीं बना सका और उल्टे मुंह नीचे गिर पड़ा तो वह बड़ी मूछों वाला आदमी हैरानी के साथ आरव को देखने लगा जो उन चारों पर अकेला ही भारी पड़ता दिख रहा था।
इतनी देर में बाकी के 2 गुंडों ने एक साथ आरव पर हमला किया था।
आरव ने उनमें से एक को कंट्रोल किया तो पीछे से दूसरे ने आकर उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और अपने साथी को छुड़ाने की कोशिश करने लगा जवाब में आरव ने हाथों से एक को पकड़े रखा और पैर से दूसरे की टांगो पर वार किया तो वह कुछ सेकेंड के लिये लड़खड़ा गया।
आरव के लिए इतना ही मौका काफी था।
उसने हाथों में पकड़े बंदे को दोनों हाथों से उठाकर मुड़ते हुए उसके दूसरे साथी की तरफ फेंका तो दोनों एक दूसरे में उलझ कर गिर पड़े।
पहले वाली दो में से एक ने कुछ सोचते हुए जल्दी से अपने भाई के बराबर में रखे हथियारों में से एक चाकू उठाया और आरव की तरफ भाग पड़ा।
“ रूक जाओ “ !!!!
वह आरव पर जानलेवा हमला करने ही वाला था कि पीछे से आती अपने भाई की गरजदार आवाज पर उसे रुकना पड़ा।
“ क्या हुआ है भाई क्यों रोक रहे हो , यह आदमी तो बड़ा खतरनाक लग रहा है। इसका मर जाना ही बेहतर है वरना यह हमारे अड्डे की खबर पुलिस तक पहुंचा देगा “ !!!
उन चारों में से एक लड़के ने हैरानी के साथ पलट कर अपने भाई की तरफ देखते हुए सवाल किया।
“ खतरनाक नहीं है बंदा तो अपने काम का लग रहा है। देखा नहीं किस तरह बहादुरी से तुम चार लोगों से एक साथ लड़ लिया “ !!!
वह बड़ी मूछों वाला अपने मूछों को ताव देते हुए मुस्कुरा कर आरव की तरफ देखते हुए कह रहा था।
“ हां भाई , बंदा तो काम का लग रहा है लेकिन पहले मालूम तो करो कभी कोई पुलिस का आदमी हो “ !!!
उस लड़के को अभी तक यकीन नहीं आ रहा था।
“ ठीक है तुम चारों इसे अंदर लेकर आओ अंदर बैठ कर बात करते हैं तब देखते हैं इसका क्या करना है “ !!!
भाई कहता उठ खड़ा हुआ।
“ चल ओय अंदर चल भाई बुला रहे है तुझे “ !!!
उन में से एक ने कहा तो आरव अपने दोनों हाथ झाड़ता हुआ उसके साथ चल दिया।
पीछे पीछे बाकी लोग भी अंदर की तरफ बढ़ गए।
ईशा बैठी हुई उसी गिफ्ट के बारे में सोच रही थी कि फोन की बैल ने उसको सोचो की दुनिया से बाहर निकाला था।
“ हैलो “ ??
उस नें फोन उठाकर बेज़ारियत से पूछा।
“ हेलो डॉक्टर ईशा “ !!!
दूसरी तरफ से आती हुई आवाज ईशा के लिए बिल्कुल अजनबी थी।
“ कौन “ ???
ईशा ने कुछ हैरान होकर पूछा क्योंकि दूसरी तरफ से आती हुई उस आवाज में जरा भी परेशानी या फिक्र वाली बात नहीं थी जो किसी पेशेंट के घर से आती हुई कॉल में होती थी।
“ कैसी हैं आप “ ???
उसका सवाल इग्नोर करके बड़े इत्मीनान से पूछा गया था वह और ज्यादा उलझ गई।
“ आप कौन “ ??
उसने दोबारा पूछा।
“ गिफ्ट कैसा लगा आपको, आई होप कि आपको पसंद आया हो “ !!!
उसका जवाब दोबारा इग्नोर करके उधर से एक बार फिर सवाल पूछा गया।
“ देखिए मिस्टर , ज्यादा फ्री होने की जरूरत नहीं है। आप हैं कौन ,वह गिफ्ट मुझे क्यों भिजवाया है और मेरा नंबर कहां से मिला आपको “ ???
इस बार ईशा नें लिहाज एक तरफ रख कर गुस्से से पूछा।
“ अरे इतनी जल्दी भूल गईं आप , अभी तो हम मिले थे “ !!!
उधर से एक बार फिर इतमीनान के साथ जवाब दिया गया तो ईशा का शक यक़ीन में बदल गया।
“ कौन “ ???
ईशा नें पूछा।
“ आदित्य राठौर , हम लोग मॉल में मिले थे, याद आया आपको “ ???
उसने सुकून से जवाब देने के बाद पूछा तो ईशा के गुस्से में और ज्यादा बढ़ोतरी हो गई।
“ तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे यूं गिफ्ट भेजने की ??? और मेरे घर का एड्रेस किसने दिया तुम्हें , और यह फोन नंबर कहां से मिला। तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो , हो कौन तुम “ ??
गुस्से में उसका चेहरा लाल हो गया।
“ देखिए मिस , मुझे कुछ गलत मत समझिए मैं बहुत शरीफ इंसान हूं “ !!!
आदित्य ने कहा।
“ शरीफ इंसान !!! जी वह तो दिख ही रहा है कि आप कितने शरीफ इंसान हैं। शरीफ इंसान यूं लड़कियों का पीछा करके उनके घर तक नहीं पहुंचते “ !!!
ईशा ने तंज़ से जवाब दिया।
“ देखिये मैडम, मैं कोई आप का पीछा कर के आप के घर तक नहीं पहुंचा हूं । वह तो कल जब आप लोग मॉल से घर वापस आ रहे थे तो इत्तेफाक से मेरा रूट यहीं पड़ा था , और तब मैंने आपको इस घर के आगे उतरते हुए देखा। यूं आपके घर का एड्रेस मुझे मिल गया “ !!!
उसने पूरे डिटेल के साथ बताया अब पता नहीं वह झूठ बोल रहा था या सच ईशा समझ नहीं पाई।
“ अच्छा और फोन नंबर के बारे में क्या झूठ बोलेंगे आप । मेरा फोन नंबर कहां से मिला आपको “ ???
ईशा की बात से पता चल रहा था कि उसे आदित्य की किसी बात पर कोई यकीन नहीं आया था।
“ मैडम आजकल सोशल मीडिया बहुत कॉमन चीज है किसी के बारे में पता लगाने के लिए। मैंने कल इंस्टाग्राम पर आपका नेम सर्च किया और थोड़ी सी मेहनत के बाद मुझे आपकी प्रोफाइल दिख गई थी तब मुझे मालूम हुआ कि आप सिविल हॉस्पिटल में सर्जन हैं। वेरी गुड वैसे जितनी नाजुक है उस हिसाब से लगती तो नहीं है आप कि इतना बड़ा काम कर लेती होंगी “ !!!
वह उसको कंपलीमेंट दे रहा था या मजाक उड़ा रहा था ईशा समझ नहीं सकी।
“ तो इसमें मेरा नंबर कहां से मिला आपको “ ???
“ मैडम कल मैं जब आपके हॉस्पिटल पहुंचा तो आप ऑन ड्यूटी नहीं थीं तब मैंने एक वॉर्ड बॉय से आपका कांटेक्ट नंबर लिया था “ !!!
उसका इतमीनान एक बार फिर ईशा को गुस्सा दिला गया।
“ झूठ बोल रहे हैं आप, क्योंकि हमारे स्टाफ मेंबर ऐसे ही किसी को भी किसी भी डॉक्टर या स्टाफ मेंबर का कांटेक्ट नंबर नहीं दे सकते “ !!!
आदित्य की बात सुनकर ईशा को गुस्सा आ गया। उसका बस नहीं चल रहा था कि वह सामने होता और वह उसका सर फाड़ देती।
“ जी मैडम , आप बिल्कुल सही कह रही हैं। लेकिन आपके हॉस्पिटल में जो आपके सीनियर है डॉक्टर सिंघानिया, वह हमारे पापा के क्लोज फ्रेंड्स में से हैं। तो मैंने उन से यह बोला कि मेरे किसी दोस्त के फादर की तबीयत बहुत खराब है और उसी सिलसिले में उन्हीं किसी सर्जन से कंसल्ट करना है तो उन्होंने ही वॉर्ड बॉय से मुझे आप का नंबर दिलाया था “ !!!
आदित्य नें बताया तो ईशा नें अपना सर पकड़ लिया था।
“ देखें मिस्टर , फालतू में मेरा पीछा करना बंद करें और आप का वह गिफ्ट भी वापस भिजवाना है मुझे आप घर का एड्रैस दें अपने “ !!!
उस ने पूछा लहजे में गुस्सा था लेकिन आदित्या पर बिलकुल फर्क़ नहीं पड़ा।
“ इतनी जल्दी क्या है मिस ईशा , दावत कर के बुलाऐंगे आप को घर पर। इतनी बड़ी शख्सियत हैं आप आफ्टर ऑल, तो ऐसे कैसे बुला सकते हैं आप को “ !!!
आदित्य इतने मज़े से कह रहा था जैसे वह उस का बचपन का दोस्त हो ईशा बुरी तरह तप गई।
“ जस्ट गो टू हैल “ !!!
उस ने कह कर फोन रख दिया।
“ जाहिल ईडियट कहीं का “ !!!!
वह जलते फुंकते हुए दिल ही दिल में उस को कोस रही थी।
************
13
“ अरे रितु जी जरा टीवी तो ऑन करना , उसी में खबरें देखूं। यह न्यूज़ पेपर में तो कोई खास खबर आ ही नहीं रही बस यही कि सब्जियों के रेट बढ़ गए हैं फलों के रेट बढ़ गए हैं यही छोटी मोटी खबरे आती है आजकल न्यूज़ पेपर्स में “ !!!
L मिस्टर त्यागी ( आरव के डैड ) नें हाथ में पकड़ा हुआ न्यूज़पेपर एक तरफ़ रखते हुए पास में बैठी अपनी मिसेज ने कहा जो बैठी नेल पॉलिश लगा रही थी।
“ जी ठीक है “ !!
वह कहते हुए नेल पॉलिश की कैप बंद करती उठ खड़ी हुईं।
एलसीडी ऑन करने के बाद उन्होंने न्यूज़ चैनल लगाया और रिमोट पति को पकड़ा कर वापस नेल पॉलिश की तरफ़ मुतवज्जह हो गईं।
“ तो आपको बताते चले आज की सबसे बड़ी खबर, बताया जा रहा है कि सिविल हॉस्पिटल की एक बड़ी सर्जन डॉक्टर ईशा पर मानव अंगों की तस्करी करने वाले गैंग के साथ मिले हुए होने और मानव अंगों की तस्करी करने का आरोप लगाया जा रहा है सूत्रों के मुताबिक सिविल हॉस्पिटल के किसी पेशेंट की फैमिली ने उन पर यह आरोप लगाया है कि डॉ ईशा ने उन के पेशेंट की किडनी का ऑपरेशन किया है जबकि वह सिर्फ हार्ट पेशेंट था और हार्ट का ही उसका ऑपरेशन होना था और अब उस व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है और इसीलिए उसके घर वालों ने परिसर में हंगामा किया हुआ है।“ !!!!
न्यूज़ एंकर बता रही थी और मिस्टर और मिसेज त्यागी पर जैसे आसमान टूट पड़ा क्योंकि वह कोई और नहीं बल्कि उनकी होने वाली बहू ईशा ही थी।
***************
त्यागी जी ने घबराकर पत्नी की तरफ देखा वह भी टीवी की तरफ देख रही थी।
" उठिये रितु जी , मेरा ख्याल है हमें तुरंत वहां पहुंचना चाहिए। इस समय उन लोगों को हमारी जरूरत है।" ??
त्यागी जी ने कहा।
" जी आप ठीक कह रहे हैं , आप गाड़ी निकलवाऐं मैं भी आती हूं और हां ड्राइवर को साथ मत लेकर जाइएगा क्योंकि फिर जो भी बात हो ,नौकरो के सामने हो ऐसा मैं बिल्कुल भी नहीं चाहती हूं " !!!
रितु जी नेल पॉलिश की शीशी बंद करती खड़ी होती बोली तो त्यागी जी भी अपना कोट उठाते हुए बाहर की तरफ निकल गए।
" क्या बात है भाई साहब यह न्यूज़ चैनल पर क्या दिखा रहें है, ऐसा कैसे हो सकता है हमारी बेटी तो ऐसी है ही नहीं " !!!
मिस्टर त्यागी फुल स्पीड में गाड़ी चलाते हुए ईशा के घर पहुंचे थे।
" पता नहीं भाई साहब हमें तो खुद कुछ समझ नहीं आ रहा है ,अभी कुछ देर पहले ही तो ईशा घर आ़ई है। वह बता रही थी कि उस ने कल किसी पेशेंट का ऑपरेशन किया था जिसकी आज डैथ हो गई है और आप तो जानते हैं कि ईशा किसी की तकलीफ से कितनी जल्दी और कितनी ज्यादा परेशान हो जाती है इसीलिए आज सुबह से भी दुखी थी इसीलिए उसे डॉक्टर सिंघानिया नें घर भेजा था। और अब न्यूज़ चैनल पर यह सब दिखा रहे हैं, मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा कि यह मामला क्या है?" !!
ईशा के डैड खुद बहुत बुरी तरह से परेशान थे।
" आप फिक्र ना करें , हमारी बच्ची बे गुनाह है तो उसे कोई टच भी नहीं कर सकता। बेगुनाहों के साथ तो ऊपर वाला भी साफ करता है आप परेशान ना हो सब ठीक हो जाएगा " !!!
मिस्टर त्यागी ने ईशा के डैड के काँधे को थपथपाते हुए उन्हें तसल्ली दी थी।
" होप सो " !!!
उन्होंने भी मायूसी से सर हिलाते हुए जवाब दिया।
**************
" ओये बाऊ, तुझे भाई बुला रहे है " !!!
बबलू ने अंदर आते हुए कहा तो आरव जो किसी सोच में बैठा था चौंक गया " !!!
" अच्छा, तुम चलो मैं आ रहा हूं " !!!
उसने सर हिला कर जवाब दिया।
वह लोग अब तक आरव से सब कुछ पूछ चुके थे कि उस ने फाइट कहां से सीखी है और क्या उसे ट्रेंड करना भी आता है। क्योंकि जितना अच्छा वह फाइटर है उन्हें कुछ लोगों को ट्रेंड कराना था जो उनके मिशन में आगे काम आने वाले हैं और इसीलिए उन्होंने उसे अपने ग्रुप में रखा भी था।
जो सवाल उन्होंने नहीं पूछा था वह यह था कि वह कौन है और कहां से आया है।
और इसका जवाब आरव ने पहले से ही तैयार किया हुआ था। इस वक्त शायद उनके भाई ने उसे यही पूछने के लिए बुलाया था।
सोचता हुआ वह उठ खड़ा हुआ और उस कमरे से निकलकर बराबर वाले कमरे की तरफ चल दिया। जिस कमरे में वह लोग मीटिंग किया करते थे।
" बुलाया आपने " ??
उसने अंदर जाकर पूछा।
" हां बुलाया है बैठ जा " !!!
वही बड़ी मूछों वाला आदमी जिसे वे सब लोग भाई कहते थे उसने जवाब दिया तो आरव वहां रखी चेयर पर बैठ गया।
" तु ने अब तक हमें सब बता दिया है सिवाय इसके कि तु कौन है और कहां से आया है। हालांकि हम हर किसी को ऐसे ही अपने ग्रुप में नहीं रखते लेकिन तुझे इसलिए रखा है कि तु अच्छा फाइटर है " !!!
भाई ने कहा।
" आप लोगों ने मुझे जो जो पूछा मैंने बता दिया है यह आपने पूछा ही नहीं तो मैंने बताया भी नहीं " !!!
आरव ने बिल्कुल सीरियस होकर जवाब दिया।
" तो ठीक है फिर अब बता दे कि तू कौन है और कहां से आया है और यह फाइट कहां से सीखी " ???
उसने दोबारा पूछा।
" आपके ग्रुप में पहले एक विकास जी थे , आपको याद है " ???
आरव ने उन के सवाल के जवाब में पूछा।
" विकास जी वह जो बूढ़े थे " ???
भाई ने पूछा।
" जी वही " !!!
" अरे वह तो हमारे माई बाप थे, उनके जाने के बाद ही तो मैं यह काम देख रहा हूं वरना पहले वही देखते थे लेकिन तु उन्हें कैसे जानता है " ??
भाई को आरव की बात समझ में नहीं आई थी।
" आप जानते हैं उन के कितने बेटे थे " ???
" हां जानता हूं , दो बेटे थे उनके " ???
भाई ने जवाब दिया।
" क्या आपने देखा भी है उनके बेटों को " ???
आरव ने पूछा।
" नहीं , देखना कभी नहीं हुआ हम केवल उनके परिवार के बारे में जानते थे लेकिन मिले कभी नहीं उन लोगों से " !!!
"शुक्र है कि नही मिले कभी "!!!
" आरव मुंह ही मुंह में बड़बड़ाया।
" कुछ कहा तूने लड़के " ???
भाई को उसकी बड़बड़ाहट समझ नहीं आई थी।
" न... नहीं कुछ नहीं " !!!
वह कह कर टाल गया क्योंकि उस भाई को अब तक यह समझ नहीं आया था कि आरव यह सब कैसे जानता है और उस से यह सब क्यों पूछ रहा है। और ना ही वह उस बूढ़े विकास की फैमिली को पर्सनली जानता था जो कि आरव के लिए प्लस पॉइंट था।
" मैं उन्हीं का छोटा बेटा हूं " !!!
आरव ने पहले से तैयार कहानी बताई तो वह सब उसे हैरानी से देखने लगे।
" तू झूठ तो नहीं बोल रहा है ना लड़के " ???
भाई ने आइब्रो चढ़ाकर उससे पूछा।
" अगर मैं झूठ बोल रहा होता , तो आप लोगों तक कैसे पहुंच पाता। और मुझे यह कैसे मालूम हो पाता कि मेरे पिताजी आप लोगों के साथ काम किया करते थे " ???
आरव एक आर्मी ऑफिसर था जिसे आने वाले खतरों से निपटने की पहले से ट्रेनिंग दी जाती थी इसलिए उसे आज भी यह अंदाजा था कि वह क्या-क्या सवाल कर सकता है इसीलिए उसने जवाब पहले से तैयार रखे हुए थे।
" हां यह बात तो तू सही कह रहा है लड़के इसका मतलब है कि तू वाकई विकास भाऊ का बेटा है।
यानी कि तू तो अपना ही बच्चा है बहुत अच्छा किया बेटा तूने यहां आकर। हमें विकास भाऊ की कमी बहुत महसूस होती थी अब तुझे देखकर ऐसा लगेगा कि वह यहां हमारे बीच ही हैं " !!!!
भाई को उसे देख कर अपने विकास भाऊ याद आ गए। तो आरव नें अपनी मुस्कुराहट बहुत मुश्किल से छुपाई थी। वरना उन लोगों को शक हो जाता।
" ओए बबलू गुड्डू बात सुनो आज ही तुम लोग इसे.....
" नाम क्या है तेरा बेटा, मैंने नाम तो पूछा ही नहीं " ??
उन की बात बीच में रोककर भाई ने पलट कर उससे पूछा।
" मनी भाई , मनी भाई कहते हैं सब लोग मुझे। क्योंकि मेरा काम ही लोगों की मनी लूटना है" !!!
आरव नें एक बार फिर पहले से तैयार किया हुआ बहाना बताया।
" अरे यह तो बहुत अच्छा हो गया , यानी कि तुझे खतरों से खेलने की पहले से प्रैक्टिस है " !!!
भाई ने हंसते हुए कहा।
" कैसा खतरा भाई , यह तो छोटे-मोटे काम है। मैंने तो फिरौती और किडनैपिंग में भी एक गैंग की मदद की हुई है " !!!
आरव नें बताया तो उन सबकी आंखें हैरत से खुली रह गई।
" तू तो बड़ा काम का बच्चा है , ओए बबलू गुड्डू तुम लोग आज से इसे मनी भाई ही कहा करोगे " !!!
" जी भाई " !!!
भाई ने कहा तो उन सब ने एक साथ जवाब दिया था।
" बेटा तू एक काम कर " !!!
भाई ने उस से कहा।
" जी भाई बताएं " ??
आज हम लोगों को अपने दूसरे अड्डे पर जाना है जहां पर हमारे प्लान पर काम किया जा रहा है, तू चाहे तो हमारे साथ चल। और अगर नहीं जा रहा है तो इतने यहां आसपास घूम कर यहां का एरिया देख ले और यह भी देख लेना कि कौन सी जगह सही है तेरे हिसाब से ट्रेनिंग कराने के लिए, जहां ना तो पुलिस पहुंच पाए और ना ही किसी की नजर हम पर पड़े " !!!
भाई ने कहा।
" आप सही कह रहे हो भाई मैं यहां का एरिया देख लेता हूं क्योंकि हमारे पास ज्यादा टाइम नहीं है। जितना जल्दी से जल्दी हो सके यह जगह खाली करनी पड़ेगी क्योंकि एक ही जगह रहना खतरे से खाली नहीं है पुलिस के मुखबिर भी जगह जगह होते है तो पुलिस कभी भी हम तक पहुंच सकती है " !!!!
आरव ने नहीं में सर हिलाते हुए जवाब दिया क्योंकि उन सब के जाने के बाद उसका प्लान कुछ और था।
**********
" मां मैंने कुछ नहीं किया यकीन करें मैं बिल्कुल बेगुनाह हूं मैंने कल जब इस पेशेंट का ऑपरेशन किया था तो यह बेहोश जरूर था लेकिन जिंदा था और मैंने तो सिर्फ हार्ट सर्जरी की है वह भी टीम के साथ मिलकर तो फिर यह कैसे। " !!!!
आरव और ईशा के पेरेंट्स बैठे सोच में गुम थे कि अब क्या किया जाए और ईशा का रो रो कर बुरा बुरा हाल था वह उन सब को अपनी सफाईयां दिए जा रही थी।
" बेटा हमें सफाईया देने की जरूरत नहीं है, हम जानते हैं कि तुम बिल्कुल बेगुनाह हो इसलिये तुम परेशान मत हो। हम लोग तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे " !!!!
आरव की मम्मी ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए उसे तसल्ली दी तो उसके रोने में और ज्यादा तेजी आ गई।
" मां मैं एक काम करती हूं बल्कि , मैं अभी हॉस्पिटल जाती हूं और ... और मैं वहां सब लोगों और उस पेशेंट के घर वालों को भी खुद बताऊंगी कि मेरे ऑपरेशन करने के बाद तक तो यह पेशंट जिंदा था मैंने उनके पेशेंट को नहीं मारा मैं बेगुनाह हूं " !!!
कुछ सोचकर वह दोनों हाथों की बैक से आंसू साफ करती हुई उठ खड़ी हुई।
" मेरे पास अभी डॉक्टर सिंघानिया का फोन आया था और उन्होंने कहा है कि तुम्हें बिल्कुल भी अभी हॉस्पिटल नहीं भेजा जाए तुम्हारा वहां पर जाना खतरे से खाली नहीं है। और बेटा तुम्हारे कहने से वह लोग मान तो नहीं जाएंगे ना उनका आदमी गया है वह लोग तो अपनी जगह सही है लेकिन यह तो हमें पता है कि तुम बेगुनाह हो तुम परे़शान मत हो सोचने दो अब क्या करना चाहिए " !!!
ईशा के डैड ने कहा।
" तुम्हारे डैड बिलकुल ठीक कह रहे हैं बेटा, तुम परेशान मत हो हम लोग हैं ना सोचने के लिये। बल्कि तुम अपने कमरे में जा कर आराम करो " !!!
आरव की माँ नें कहा।
" जाओ बेटा इसे इस के कमरे में ले जाओ " !!!
ईशा की माँ नें बहू को ईशारा किया तो ईशा भी उठ खड़ी हुई अचानक उसे कुछ ख्याल आया था।
" जी मम्मी जी " !!!
भाभी कहतीं उसे ले कर कमरे में आ गईं।
" म... मेरा फोन... फोन कहाँ है भाभी। मुझे आरव को फोन करना है। उन के तो काफ़ी कॉन्टैक्ट हैं ना पुलिस में तो मुझे पूरी उम्मीद है कि वह ज़रूर मेरी हैल्प करेंगे अस्ली क़ातिल को ढूंढनें में " !!!!
ईशा घबराए हुए चेहरे के साथ चारों तरफ़ घूम कर फोन देख रही थी घबराहट में उसे बैड के सरहाने पिलो के पास रखा हुआ फोन भी नहीं दिखा था।
" यह रहा फोन और पहले तुम रिलैक्स करो। आरव और घबरा जाएगा तुम्हारी ऐसी आवाज़ सुन कर " !!!
फोन उठा कर उसे देते हुए भाभी ने प्यार से उस के बिखरे बालों को समेटते हुए कहा लेकिन वह सुनी अन सुनी कर के आरव को कॉल मिलाने लगी।
वह फोन लगाती और रिस्पांस ना मिलने पर फोन कट करके दोबारा नंबर डायल करने लग जाती।
" क्या बात है गुड़िया, नहीं लग रहा क्या फोन " ???
उसे बदहवासी में यू बार बार नम्बर डायल करते देख कर भाभी भी परेशान हो गईं।
" पता नहीं भाभी, क्या बात है फोन लग ही नहीं रहा है शायद रेंज का कुछ मामला है " !!!
वह परेशानी से कहती हुई दोबारा नंबर डायल कर रही थी लेकिन उम्मीद के मुताबिक इस बार भी फोन नहीं लगा।
" तुम थोड़ी देर रुक जाओ उसके बाद लगाकर देख लेना क्या पता तब हो जाए बात " !!
उन्होंने उसे रिलैक्स किया।
" भाभी मैंने फोन पहले भी लगाया था लेकिन लगातार आउट ऑफ रेंज आ रहा है पता नहीं क्या बात है आरव कहां है जबकि इस वक़्त उन की सब से ज़्यादा ज़रूरत है। मैं अंकल आंटी से पूछती हूं उन्हें ज़रूर पता होगा" !!!
वह फोन बेड पर फेंक कर तेज़ी से दरवाज़े की तरफ़ भागी।
" ईशा कहाँ जा रही हो , रुको तो सही बात तो सुनो " !!!
भाभी पीछे से आवाज़ें देती रह गईं लेकिन वह यह जा वह जा करती सीढ़ियों की तरफ़ भाग ली।
" आंटी वह आरव....
उस नें लाऊंज में क़दम रखते ही पूछा था लेकिन वहां खड़ी नौकरानी के मुंह से निकले अलफ़ाज़ पर वह जहां की तहां रह गई।
" मैडम गेट पर पुलिस आई है , वह लोग ईशा बीबी का पूछ रहे हैं " !!!!
नौकरानी नें बताया।
" ऐसे कैसे पहुँच गई पुलिस घर तक , मैं देखता हूं जा कर कि बिना सबूत के कैसे ले कर जाऐंगे वह लोग हमारी बच्ची को " !!!
मिस्टर त्यागी कहते उठ खड़े हुए उन के पीछे पीछे ईशा के डैड भी बाहर निकले थे।
" बहू तुम ईशा को संभालो , हम लोग भी बाहर जा कर देखते हैं क्या हो रहा है यह " !!!
ईशा की माँ कह कर उठीं तो मिसेज त्यागी भी साथ ही उठ खड़ी हुईं।
" भाभी मैं भी देखती हूं जा कर " !!!
ईशा भी पीछे पीछे निकली।
" रुको ईशा , तुम यहीं रहो वह लोग गए हैं ना देखने " !!!
भाभी नें उस का हाथ पकड़ कर उसे रोका।
" नहीं भाभी प्लीज मुझे जाने दे मैं देखती हूं जाकर कभी वह लोग डैड और अंकल के साथ बदतमीजी ना कर रहे हूं " !!!
ईशा जबरदस्ती उनसे हाथ छुड़ाते हुए तेज तेज कदमों से लाउंज क्रॉस करती मेन गेट की तरफ निकल गई।
" मिस्टर त्यागी आप यहां " !!!
सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर मिस्टर त्यागी को वहां पर देखकर हैरान था। वह क्योंकि रिटायर्ड कर्नल थे इसलिए पुलिस डिपार्टमेंट से उनकी अच्छी जान पहचान थी।
" हेलो इंस्पेक्टर "
मिस्टर त्यागी ने आगे बढ़कर पुलिस वाले से हाथ मिलाया उन्हें देखकर सीनियर पुलिस ऑफिसर के तेवर कुछ ढीले पड़ गए थे।
" हां इंस्पेक्टर यह मेरा समधियाना है और डॉक्टर ईशा मेरी होने वाली बहू है " !!!
त्यागी साहब ने कहा तो उसी इंस्पेक्टर ने हैरानी से त्यागी साहब और ईशा के पेरेंट्स को बारी-बारी देखा था।
" मुझे उम्मीद नहीं थी त्यागी साहब कि आप जैसे अच्छे लोगों के यहां भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो गरीबों पर इस तरह के जुल्म करते हैं " !!!
उस इंस्पेक्टर ने कहा।
" देखिये इंस्पेक्टर साहब , आपको जरूर कोई गलतफहमी हुई है हमारी बच्ची ऐसा कुछ नहीं कर सकती " !!!
ईशा की मम्मी ने कहा तो इंस्पेक्टर ने सर उठाकर उनकी तरफ देखा था।
" देखिए मैडम सब लोग यही कहते हैं लेकिन हम लोग कानून के रखवाले हैं इसलिए हमें अपनी ड्यूटी भी पूरी करनी होती है तो बेहतर होगा कि आप लोग हमें हमारा काम करने दे और बीच में ना आऐं " !!!
इंस्पेक्टर ने कहा।
" क्या सबूत है इंस्पेक्टर आपके पास की हमारी बच्चे गुनाहगार है " ???
मिस्टर त्यागी ने पूछा।
" देखिये त्यागी साहब, जिस पेशेंट की डेथ हुई है उसके घर वालों ने डॉक्टर ईशा के खिलाफ f.i.r. करवाई है और उनका कहना है कि उनके पेशेंट की सर्जरी होनी थी जो कि डॉ ईशा ने कल शाम की थी लेकिन उसके बाद उन्हें उन के पेशेंट से मिलने नहीं दिया गया और यह कहा गया था कि जैसे ही वह होश में आता है तो वह तो उस से मिल सकते हैं। कई घंटे गुजर जाने के बाद भी जब उसकी कोई इंफॉर्मेशन नहीं मिली तब उन लोगों ने खुद डॉक्टर से कांटेक्ट किया। तब किसी डॉक्टर ने बताया कि डॉ ईशा यह केस हेंडल कर रही हैं लेकिन उनकी छुट्टी का टाइम हो चुका है और वह घर जा चुकी हैं। इसलिए कल मॉर्निंग में जब वह आकर चेकअप कर लेंगी उसके बाद ही वह लोग अपने पेशेंट से मिल सकते हैं। और आज सुबह पेशेंट को जब उसकी फैमिली के हैंड ओवर किया गया तो तब पता चला कि वह तो जिंदा ही नहीं है और उसकी बॉडी को ध्यान से देखने पर उन्होंने पाया कि उसके दो जगह पर बैंडेज भी हुई थी हार्ट और किडनी पर जबकि सर्जरी सिर्फ हार्ट की ही होनी थी " !!!
पुलिस इंस्पेक्टर की जुबानी पूरी डिटेल सुनकर ईशा चकरा गई।
यह क्या हो रहा था।
सर्जरी तो उसने वाकई कल शाम ही की थी लेकिन सर्जरी के बाद तो पेशेंट जिंदा था हां बेहोश जरूर था इसीलिए उसने एक दूसरी डाक्टर डॉ रश्मि को सारी बात समझा दी थी क्योंकि उनका ऑफ 8:00 बजे होता था सो ईशा उन्हें सारी बात समझा कर घर लौट आई। लेकिन आज सुबह जब वह हॉस्पिटल पहुंची तो पता चलता है कि उस पेशेंट की डैथ हो चुकी है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो सकता है।
" देखिए त्यागी साहब यह बात मीडिया तक पहुंच चुकी है इसलिए हम पर ऊपर से पैसा बहुत ज्यादा आ रहा है। सो प्लीज आप हमें हमारे काम से मत रोकें। हमारे पास डॉक्टर ईशा की अरेस्ट वारंट है और हमें उनको अरेस्ट करना ही होगा " !!!
इंस्पेक्टर त्यागी नहीं कहते हुए अपने साथ खड़ी लेडी इंस्पेक्टर की तरफ इशारा किया तो दो लेडी इंस्पेक्टर वहां खड़ी ईशा की तरफ बढ़ गईं।
" डैड कहें ना इन्हें , मैंने कुछ नहीं किया " !!!
बाप को आवाज़ देते हुए ईशा बौखलाई बौखलाई नज़रों से उन दोनों लेडी इंस्पेक्टर के हाथ में पकड़ी हथकड़ी की तरफ़ देख रही थी।
" चलो मैडम, सब यही कहते हैं कि उन्होंने कुछ नहीं किया। इस का यह मतलब तो नहीं कि हम गुनाहगार को छोड़ दें " !!!
उन दोनों लेडी इंस्पेक्टर में से एक ने कहते हुए एक हाथ से ईशा का हाथ पकड़ा और दूसरे हाथ में पकड़ी हथकड़ी उस की तरफ़ बढ़ाई थी।
ईशा ने चकराते सिर के साथ वहां खड़े बाप और ससुर की तरफ़ देखा वह दोनों भी मजबूर खड़े इंस्पेक्टर को रोकने की कोशिश कर रहे थे लेकिन नाकाम थे।
" वहां क्या देख रही हो बीबी, यहां देखो " !!!
वह लेडी इंस्पेक्टर उस के एक हाथ में हथकड़ी लगाने के बाद अब दूसरे हाथ में लगा रही थी ईशा नें धुंधलाई आँखों से अपने हाथों की तरफ़ देखा उस का अब और ज़्यादा खड़े रहना मुश्किल हो गया था वह संभल ना सकी और चकरा कर वहीं गिर पड़ी।
****************
“ सर जी यह मैडम तो बेहोश हो गई “ !!!
वह दोनों लेडी ऑफिसर्स जो ईशा को अरैस्ट कर रही थीं उस के गिरते ही बोलीं तो वहां मौजूद सब लोग जो उस इंसपेक्टर से ईशा को अरैस्ट ना करने के लिये रिक्वेस्ट कर रहे थे नें पलट कर उधर देखा था।
“ ईशाााा “ !!!!!!!!
माँ घबरा कर चिल्लाते हुए उधर की तरफ़ भागीं साथ ही साथ आरव की माँ भी थीं।
“ ईशा बेटे “ !!!!
डैड भी ईशा की तरफ़ लपके थे।
“ इंस्पैक्टर मैनें तुम्हें को मना किया था ना कि हमारी बेटी गुनाहगार नहीं है तुम्हें ज़रूर कोई गलतफहमी हुई है लेकिन तुम नहीं माने। अब अगर हमारी बच्ची को कुछ हुआ तो मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगा I am warning you . “ !!!
त्यागी अंकल ने ऊंगली उठा कर इंस्पैक्टर को वॉर्न किया था।
“ देखिये त्यागी साहब , मुझे धमकाने में अपना टाईम वेस्ट करने के बजाए बेहतर होगा कि आप अपना टाईम यह ढूंढनें में लगाऐं कि अगर क़ातिल आप लोगो की बेटी नहीं है तो कौन है। क्योंकि अगर क़ातिल का पता नहीं चला तो हमें मजबूरन डॉक्टर ईशा को गिरफ्तार करना होगा “ !!!!
इंसपेक्टर ने जवाब दिया।
“ तुम देख रहे हो इंसपेक्टर उस की हालत क्या है , तो ऐसे कैसे तुम लोग उसे अरैस्ट कर सकते हो। कोई इंसानियत नाम की चीज़ भी है तुम में या नहीं “ ???
मिस्टर त्यागी ने एहसास दिलाया।
“ ठीक है सर, आप की ज़िम्मेदारी पर हम उन्हें यहां छोड़ कर जा रहे हैं। कल सुबह हर हाल में आप को इन्हें थानें में पेश करना होगा “ !!!!
इंसपेक्टर नें कहते हुए लेडी पुलिस को ईशारा किया तो उस ने ईशा के हाथ में से Handcuffs के लॉक खोल दिये।
“ ठीक है इंसपेक्टर, कल मैं खुद ईशा को थानें में पेश करूंगा उस की ज़मानत के काग़ज़ात समीत “ !!!
मिस्टर त्यागी नें कहा तो वह लोग बाहर खड़ी अपनी जीप की तरफ़ पलट गए।
ईशा को सब लोह पहले ही अंदर ले जा चुके थे मिस्टरत्यागी भी तेज़ क़दमों सो अंदर की तरफ़ चल पड़े।
************
“ हेलो ऑफिसर सारा “ ???
कर्नल प्रभाकर ने सारा के फोन उठाते ही पूछा।
“ यस सर गुड मॉर्निंग ऑफिसर सारा बात कर रही हूं “ !!!
सारा ने जवाब दिया।
“ गुड मॉर्निंग ऑफिसर, आपकी ड्यूटी का टाइम आ गया है। मुझे उसी बारे में आपसे कुछ डिस्कस करना है आप अभी हैड क्वार्टर पहुंचें क्विक “ !!!
कर्नल प्रभाकर ने जवाब देते हुए आर्डर जारी किया।
“ ओके सर आई एम कमिंग विद इन 15 मिनटस “ !!!
ऑफिसर सारा ने कहा।
“ ओके ऑफिसर आई एम वेटिंग “
कर्नल प्रभाकर ने कहकर फोन रख दिया।
कुछ देर बाद सारा मिलिटरी हैड क्वार्टर में मौजूद थी।
“ मे आई कम इन सर “ ???
उस ने गेट पर खड़े हो कर इजाज़त चाही।
“ यस ऑफिसर सारा , शोर यू कम “ !!!
कर्नल प्रभाकर जो सामने लगी स्क्रीन पर बहुत ध्यान से कुछ देख रहे थे सारा की आवाज पर मुड़ कर उसे अंदर आने की इजाजत दी थी।
“ थैक्यू सर “ !!!
कहती वह अंदर आ गई।
“ “ ऑफिसर , मैंने आपको यहां जिस न्यू मिशन के लिए बुलाया है आई होप दैट उसकी ब्रीफ आपको मिल चुकी होगी “ !!!
कर्नल प्रभाकर ने नेविगेटर सारा से पूछा।
“ यस सर कल मेरी आरव सर से बात हुई थी। तब उन्होंने ब्रीफ़ देने के बाद मुझे बोला था कि इस मिशन के लिए कभी भी कॉल आ सकती है इसलिए हम लोगों को रेडी रहना है “ !!
“ ओके गुड नाउ लिसन हैंड वॉच हियर केयरफुली दैट आपको क्या करना है “ !!!
कर्नल प्रभाकर ने स्क्रीन की तरफ इशारा करते हुए ऑफिसर सारा से कहा।
“ ओके सर “ !!!
उसने हां में सर हिला कर जवाब दिया था।
“ यहां का चार्ज आप संभालेंगी और यह कुछ जीपीएस की आईडी है इनमें से कोई एक भी एक्टिवेट होता है Than You will urgently inform me “ !!!
ऑफिसर सारा को डीटेल से सब समझाने के बाद कर्नल प्रभाकर ने कुछ जीपीएस आईडीज़ उसको हैंडोवर करते हुए कहा।
“ गॉट इट सर “ !!!
सारा ने भी अच्छे से सब समझने के साथ जवाब दिया।
“ देखिए ऑफिसर यह मिशन हमारे लिए बहुत इंपॉर्टेंट है। because we Don’t Have any idea about them & their mission so we execute our plan quickly. और इंपॉर्टेंट तो सारे ही मिशन होते है पर यह इसलिए ज्यादा इंपॉर्टेंट है क्योंकि इस से हमारे देश के बहुत से बच्चों की जिंदगियां जुड़ी हुई है। हमारी एक ज़रा सी लापरवाही भी उनकी जिंदगी के लिए खतरा बन सकती है। सो बी केयरफुल बिफोर डू एनी वर्क” !!!
कर्नल प्रभाकर ने उसे एक बार फिर समझाया था।
“ ओके सर यू डोंट वरी, आई विल मैनेज एवरीथिंग केयरफुली एंड परफेक्टली “ !!!
ऑफिसर सारा ने कहा।
“ मुझे आपसे यही उम्मीद थी, ऑल द बेस्ट ऑफिसर “ !!!
कर्नल प्रभाकर ने हमेशा की तरह आदत के मुताबिक उसे लक विश किया।
“ थैंक्यू सर “ !!!
सारा ने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
“ ईशा कैसी है”
मिस्टर त्यागी और मिस्टर शर्मा ने लाउंज में ऐंटर होते हुए पूछा वह लोग वकील के पास गए हुए थे ईशा की बेल के पेपर रेडी करवाने के लिए।
“ ठीक है, डॉक्टर ने कहा है कि उसे सब तरह के स्ट्रेस से दूर रखा जाए अभी उसको नींद का इंजेक्शन लगा हुआ है इसलिये सो रही है अपने कमरे में , बहू है अभी उसके पास।“ !!!
मिसेज़ शर्मा ने उन दोनों की तरफ देखते हुए बताया।
“ हम्म ठीक है ख्याल रखो उसका “ !!!
मिस्टर शर्मा और मिस्टर त्यागी दोनों वहीं पड़े सोफे पर बैठ गए।
“ आप दोनों वकील के पास गए थे ना, क्या हुआ वहां पर? क्या कहा उसने ईशा की बेल तो हो जाएगी ना “ ???
मिसेज त्यागी ने पूछा।
“ हम लोग अभी पुलिस स्टेशन से आ रहे हैं “ !!!
मिस्टर शर्मा ने बताया तो मिसेज त्यागी और मिसेज शर्मा ने नासमझी से उनकी तरफ देखा था।
“ पुलिस स्टेशन क्यों मेरा मतलब है कि आप दोनों तो वकील के पास गए थे ना ईशा की बेल के पेपर रेडी करवाने के लिए “ ???
मिसेज शर्मा ने पूछा।
“ हां वकील साहब के साथ ही हम लोग पुलिस स्टेशन गए थे। और वहां पर हम ने इंस्पेक्टर से सारी बात कर ली है आप लोग फिक्र ना करें ईशा जेल नहीं जाएगी “ !!!
“ तो क्या कहा वकील साहब नें, ईशा की बेल के पेपर्स कब तक अप्रूव हो जाएंगे “ !!!!
मिसेज शर्मा को अपनी बच्ची की फिक्र हो रही थी।
“ लगभग 2 दिन तो लगेंगे सुषमा जी, यह कानूनी काम है इन में टाइम लगता है “ !!!!
शर्मा जी ने कुछ सोचते हुए जवाब दिया।
“ क्या कह रहे हैं आप शर्मा जी, 2 दिन ?? इसका मतलब है कि 2 दिन तक ईशा जेल में रहेगी !!! नहीं ऐसा नहीं हो सकता “ !!!!
मिसेज शर्मा 2 दिन का सुनकर बुरी तरह से घबरा गई। पर यही कुछ हाल मिसेज त्यागी का भी था। क्योंकि ईशा उन की भी होने वाली बहू थी और उसके यूं इस तरह जेल जाने से उन की रेपुटेशन पर भी बहुत ज्यादा असर पड़ना था।
“ शर्मा जी ने कहा है ना आप लोग फिक्र ना करें। ईशा को कोई जेल लेकर नहीं जाएगा। हमारी इंस्पेक्टर से बात हो गई है 2 दिन लगेंगे ईशा की बेल के पेपर्स रेडी होने में। और उन 2 दिनों में ईशा हमारे वकील साहब के फॉर्म हाउस पर रहेगी। आप लोगों को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। वहां पर ईशा को कोई भी तकलीफ है परेशानी नहीं होगी? “ !!!
त्यागी जी ने उन दोनों को तसल्ली दी थी।
“ लेकिन वकील साहब के फॉर्म हाउस पर क्यों, ईशा यहां घर पर भी तो रह सकती है। या फिर हमारे अपने फॉर्म हाउस चली जाए “ ???
मिसेज शर्मा को मिस्टर त्यागी की बात समझ नहीं आई थी।
“ देखिए भाभी जी इंस्पेक्टर को अपनी ड्यूटी पूरी करनी पड़ती है। और यह तो फिर कत्ल का केस है। अगर वह लोग ईशा को गिरफ्तार नहीं करेंगे तो बात उनकी नौकरी तक आ सकती है। हां यह बात हम लोग जानते हैं कि हमारी बेटी कातिल नहीं है लेकिन जब तक असली कातिल पकड़ा नहीं जाता तब तक हमारी ईशा उनके शक के घेरे में है। और इसीलिए उनको ईशा को अरैस्ट करना भी जरूरी है, लेकिन ईशा अरैस्ट ना हो सके इसीलिए वकील साहब ने ही आईडिया दिया है कि 2 दिन ईशा उन के फॉर्म हाउस पर रहेगी इससे यह होगा कि अगर इंस्पेक्टर को ईशा को अरेस्ट करने की फॉर्मेलिटी पूरी करने के लिए हमारे घर पर भी आना पड़ेगा तो ईशा 2 दिन उन को घर पर नहीं मिलेगी तो वह उसे अरैस्ट कैसे करेंगे “ !!!
त्यागी साहब ने वकील की पूरी बात उन दोनों के सामने रखी तो उन दोनो को भी वकील का आईडिया सही लगा था।
“ शायद आप ठीक कह रहे है त्यागी जी, लेकिन मैं अपनी बच्ची को वकील साहब के फॉर्म हाउस पर अकेली नहीं भेजूंगी क्योंकि नई जगह पर ईशा अकेले परेशान हो जाती है, इसलिए मैं भी उसके साथ वहीं पर रहने के लिए जाऊंगी “ !!!!
मिसेज शर्मा ने अपना फैसला सुनाया।
“ लेकिन सुषमा जी आप बहू का क्या करेंगी। उसे भी तो इस हालत में हम लोग अकेला नहीं छोड़ सकते हैं “ ???
मिस्टर शर्मा ने पूछा।
“ बहू को एक-दो दिन के लिए मैं उस के मायके भेज रही हूं। वैसे भी घर में जितनी टेंशन है उस में इस समय उस का यहां रहना ठीक नहीं है। कुछ दिनों में सब नॉर्मल हो जाएगा तो मैं खुद जाकर उसे ले आऊंगी “ !!!
मिसेज शर्मा ने कहा और उनकी बात सबको सही लगी थी।
“ हेलो सर मेजर आरव हियर “ !!!
आरव ने मौका देखकर कर्नल प्रभाकर को फोन किया क्योंकि इस वक्त वह लोग सब अपनी दसरू लोकेशन पर गए हुए थे और इसी टाइम वह कर्नल साहब से ठीक तरह से बात कर सकता था।
“ जी मेजर आरव कहिए “ ???
कर्नल साहब ने पूछा।
“ सर इन लोगों ने 14 नवंबर को बहुत बड़ा प्लान बनाया हुआ है और उससे पहले इनका कोई सीनियर भी यहां पर इंस्पेक्शन के लिए आएगा इसलिए इन लोगों की तैयारी जोरों पर है। मैं सब चीज देख चुका हूं और सर एक और बात कर्नल साहब आप ने जिस बच्ची की फोटो मुझे दिखाई थी मैंने उसे भी यहां पर देखा है बाकी बच्चों के साथ वह भी यहां पर बंद है “ !!!
आरव ने बताया।
“ यह क्या कह रहे है मेजर आरव आप “ !!!
कर्नल साहब पूरी तरह हैरान थे।
“ जी सर मैं बिल्कुल ठीक कह रहा हूं , पूरा प्लान बताने का अभी टाइम नहीं है। आप सिर्फ यह बताइए कि अब क्या करना है
“ !!! आरव ने पूछा तो कर्नल साहब उसे पूरा प्लान समझाने लगे।
“ ओके सर , ऐसा ही होगा और बेफिक्र रहें मैं बहुत ध्यान से सब करूंगा इन लोगों में से किसी को कोई शक नहीं होगा।“ !!
पूरी बात सुनने के बाद कहते हुए आरव ने फोन रख दिया।
फोन रखने के बाद आरव नें उस कमरे में रखे लकड़ी के उस बक्से की तरफ देखा जो उसे भाई ने उसका सामान जो लड़कों को ट्रेनिंग देने के लिए इस्तेमाल होना था रखने के लिए दिया हुआ था।
वह जल्दी से उस बक्से की तरफ बढ़ा और उसमें रखी प्लास्टिक शीट्स और कुछ अखबार निकालें जो उस ने ट्रेनिंग के दौरान कुछ देर आराम करने को बिछाने के लिए मंगवाए हुए थे।
वह दोनों चीजें निकाल कर उसने फोल्ड करके हाथ में ली और जल्दी से कमरे से बाहर निकल आया।
उन लोगों के आने में अभी वक्त था और आरव को अपना काम उन के आने से पहले पहले निपटाना था। वह न्यूज़ पेपर और प्लास्टिक शीट को संभालता हुआ गेट से बाहर निकला और दरवाजा मिलाकर वहां से सीधे हाथ की तरफ चल दिया।
वहां पर इक्का-दुक्का घर ही बने हुए थे वह भी काफी काफी दूरी पर।
लगभग 5 मिनट चलने के बाद वह घर भी नजर आने बंद हो गए।
अब मैदान आने शुरू हो गए थे आरव उसी दिशा में चलता गया लगभग 5 या 7 मिनट और चलने के बाद वह एक जगह पर रुक कर खड़ा हो गया।
यह एक बहुत पुराना किला था जो अब जगह-जगह से टूट कर खंडहर में बदल चुका था लेकिन फिर भी अपने मजबूत आसारों की वजह से अब तक खड़ा हुआ था।
उसने चौकन्ना हो कर आसपास देखा कि कहीं कोई उसका पीछा तो नहीं कर रहा है चारों तरफ देखने के बाद वह सावधानी से जल्दी – जल्दी उस किले के पीछे के दरवाजे की तरफ बढ़ गया।
पीछे के दरवाजे से उसने अंदर प्रवेश किया तो वहां बाएं हाथ पर एक कमरा बना हुआ था। वह एक बार फिर चारों तरफ देखते हुए उस में घुस गया।
उस नें अपने साथ लाए हुए प्लास्टिक शीट और न्यूज़ पेपर में लिपटी कर्नी (औजार जो मजदूर इस्तेमाल करते हैं ) निकाली और उस कमरे के एक कोने की तरफ बढ़ गया।
उस कोने की मिट्टी कमरे के बाकी कोनो की तरह बहुत ज्यादा जमी हुई नहीं थी।
आरव ने उस करनी से जल्दी जल्दी वह मिट्टी हटाई साथ ही साथ वह बार बार चारों तरफ देख रहा था कि कोई उसे फॉलो तो नहीं कर रहा है।
मिट्टी बहुत ज्यादा जमी हुई नहीं थी इसलिए जल्दी ही उखड़ गई और वहां पर एक काफी बड़ा खड्डा हो गया। जहां पर लकड़ी के एक छोटे बॉक्स में कुछ assets (चीज़ें) मौजूद थी जो उसके काम में आने वाली थी और वह कर्नल प्रभाकर ने आरव के कहने पर ही अपनी एक सिपाही के साथ वहां पर रखवाई थीं ।
जिन्हें निकालने के लिये आरव ऐसे ही किसी मौके का इंतजार कर रहा था।
और उन लोगों के जाने के बाद आज उसे वह मौका मिल गया था।
उन चीज़ों में क्रॉस स्वॉर्ड , एक एडवांस सेटेलाइट फोन कुछ gps और Instruction Manual मौजूद थे।
आरव नें उन सब चीजों को उठाकर पहले न्यूज़पेपर और फिर प्लास्टिक शीट में रख कर फोल्ड किया। उसके बाद जल्दी-जल्दी करनी से मिट्टी को बराबर किया और कर्नी वापस सामान में रख कर सावधानी से चारों तरफ देखते हुए बाहर निकल गया।
प्लास्टिक शीट और न्यूज़पेपर को अच्छी तरह से संभालते हुए वह वापसी के लिये जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाता वापस घर तक पहुंच गया।
वह लोग अभी तक वापस नहीं आए थे आरव जल्दी से दरवाजा खोल कर अंदर आ गया और जल्दी जल्दी वह सारा सामान अंदर कमरे में लाकर उसी लकड़ी के बक्से में रख दिया जिसमें से वह प्लास्टिक निकाल कर ले गया था।
उस बक्से में ट्रेनिंग के सामान के अलावा कुछ बंदूके भी मौजूद थी जो भाई ने उसे इस्तेमाल करने के लिए दी हुई थी।
आरव ने वह बंदुके बाहर निकालकर उस सारे सामान को बहुत ऐहतियात से रखा उसके बाद प्लास्टिक और न्यूज़पेपर से उसे कवर करने के बाद उसके ऊपर भूसा डाल कर भाई की दी हुई बंदूक़े उस के ऊपर कर कर वह बक्सा वापस बंद कर दिया।
***********
" माय गॉड यह क्या " !!!
चैनल बदलते हुए आदित्य अचानक न्यूज़ चैनल की हेडलाइन देखकर बुरी तरह से चौंक गया था।
" सिटी हॉस्पिटल की सर्जन डॉक्टर ईशा पर मानव अंगों की तस्करी करने वाले गैंग के साथ मिले हुए होने का आरोप " !!!!
न्यूज़ एंकर बता रही थी साथ साथ ही एलसीडी की स्क्रीन पर बड़े-बड़े शब्दों में हेडलाइंस भी आ रही थीं साथ में ईशा की फोटो भी थी।
उसने बिजली की सी तेज़ी के साथ टेबल पर रखा मोबाइल फोन उठाया और तेजी से ईशा का नंबर डायल करने लगा।
" द नंबर यू हैव डायल्ड इज करेंटली स्विच ऑफ " !!!
नंबर डायल करने पर दूसरी तरफ से आती कंप्यूटराइज आवाज पर वह झुंझला गया।
एक बार दो बार तीन बार नंबर डायल करने पर भी जब एक ही रिप्लाई आता रहा तो उसने परेशान होकर मोबाइल वापस टेबल पर रख दिया।
" अब क्या करूं, ऐसा तो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था " !!!
वह सर थाम कर बैठ गया।
" मेरा ख्याल है मुझे खुद वहां जाकर सारी बात मालूम करनी चाहिए " !!!
यह ख्याल आते ही उसने टेबल पर रखा हुआ अपना मोबाइल और कार की चाबी उठाई और फौरन बाहर निकल गया।
" गेट खोलो " !!!
चौकीदार को कहते हुए वह तेज़ी के साथ अपनी कार की तरफ बढ़ गया।
चौकीदार गेट खोल चुका था आदित्य ने कार स्टार्ट की और सड़क पर ले आया।
फुल स्पीड में गाड़ी दौड़ आते हुए वह शर्मा मेंशन पहुंचा था।
उसने कार गेट के बाहर ही रोक दी।
" जी सर किस से मिलना है आपको " ???
कोई कार गेट के बाहर रुकी देखकर चौकीदार बाहर आया और उससे पूछने लगा।
" शर्मा अंकल हैं घर पर " ??
पूछते हुए अचानक उसकी नजर लॉन में पड़ी जहां पर शर्मा जी बैठे धूप सेंकते किसी सोच में गुम थे।
" जी हां ,साहब जी घर पर ही हैं , आप अपना नाम बता दीजिए मैं साहब को बता देता हूं " ??
चौकीदार के पूछने पर आदित्य उसे से अपना इंट्रोडक्शन दे ही रहा था कि चौकीदार को किसी से बात करता देख कर शर्मा जी खुद ही उठ कर उधर चले आए।
" साहब जी, यह कोई आदित्य साहब है आपसे मिलना चाहते हैं " !!!
चौकीदार ने पलटकर शर्मा जी से कहा।
" आने दो अंदर " !!!
चौकीदार को कहते हुए वह वापस पलट कर उसी टेबल की तरफ बढ़ गए हैं जहां से उठकर आए थे।
चौकीदार ने गेट खोल दिया तो आदित्य कार अंदर ले आया।
कार को पार्किंग में पार्क करने के बाद उसने बाहर आकर उसे लॉक किया और चाबी को पॉकेट में डालने के बाद अपना फोन भी उसने साइलेंट कर दिया।
" सर आपको साहब जी उधर बुला रहे हैं " !!!
एक नौकर ने आकर उसे कहा।
" ठीक है चलो " !!!
नौकर को इशारा करते हुए वह उसी तरफ चल दिया जिस तरफ शर्मा अंकल बैठे हुए थे।
" तुम जाओ "
शर्मा जी ने नौकर को इशारा किया तो वह चला गया।
" बैठो बेटा " !!!
उन्होंने अब आदित्य की तरफ देखते हुए कहा तो वह उनके सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया।
" थैंक्यू अंकल " !!!
उसने उनका शुक्रिया अदा किया।
" सॉरी बेटा लेकिन मैंने आपको पहचाना नहीं " ???
शर्मा जी ने पूछा।
" कल में आरव का दोस्त हूं इंफेक्ट आप लोगों की फैमिली से आरव के घर पर मेरी मुलाकात भी हो चुकी है आप नहीं थे उस दिन इसलिए इंट्रोडक्शन होना रह गया। मेरा नाम आदित्य है और मैं आरव का दोस्त हूं " !!!
आदित्य ने कहा।
" ओह अच्छा अच्छा, हां मैं उस दिन त्यागी मेंशन नहीं गया था इसलिए मेरी तुमसे मुलाकात भी नहीं हो सकी। खैर कोई बात नहीं आज तो हो गई है ना मुलाकात, और सुनाओ बेटा क्या हाल है , और आज कैसे आना हुआ" ???
शर्मा जी ने पूछा।
" अंकल मैंने अभी अभी न्यूज़ में देखा कि सिटी हॉस्पिटल में कुछ कॉम्प्लीकेशन हो गई है और वह लोग उसके लिए वह लोग ईशा को ब्लेम कर रहे है मेरी जैसी ही न्यूज़ देखी फौरन ईशा को कॉल किया था लेकिन उनका फोन लगातार बंद जा रहा है। इसीलिए मैंने सोचा कि यहां आकर आप लोगों से एक बार मिल लेता हूं" !!!
आदित्य ने अपने आने का मकसद बताया।
" हां बेटा, पता नहीं हमें हमारे किस पाप की सजा मिली है। जबकि हमने तो किसी के लिए कभी बुरा नहीं सोचा और हमारी ईशा, वह तो इतनी सेंसिटिव बच्ची है कि उसे दूसरों का दुख भी अपना ही महसूस होता है " !!!
शर्मा अंकल के चेहरे पर दुखों के आसार साफ नजर आ रहे थे।
" अंकल आप बिल्कुल परेशान ना हों , ईशा बेगुनाह हैं तो उन्हें कोई सजा नहीं दिलवा सकता। मैं इसी सिलसिले में आज यहां आपके पास आया हूं। मैं ईशा को बचाने में आप लोगों की मदद करना चाहता हूं " !!!
आदित्य के कहने पर शर्मा जी नें कुछ चौंक कर उसकी तरफ देखा था।
" कैसी मदद बेटे " ???
" देखिए अंकल , जब तक उन लोगों के हाथ असली कातिल नहीं आ जाता है तब तक वह लोग ईशा को ही गुनहगार समझेंगे। इसलिए हम लोगों को असली कातिल का पता लगाना है ताकि ईशा का इस मामले से हम पीछा छुड़ा सके " !!!
आदित्य ने पहली सी सोची हुई बात उन्हें बताई तो शर्मा जी भी सोच में पड़ गए।
" चाहता तो मैं भी यहीं हूं लेकिन बेटे यह सब होगा कैसे किसी कातिल को पकड़ना इतना आसान तो नहीं है " !!!
" जी मैं आपकी बात समझता हूं अंकल , लेकिन इसके अलावा हमारे पास और कोई चारा भी तो नहीं है " !!!
आदित्य ने कहा और इस बार शर्मा जी भी उसकी बात से एग्री थे।
" शायद तुम ठीक कह रहे हो बेटे बताओ यह कैसे मुमकिन है " ???
उन्होंने पूछा।
" वह सब आप मुझ पर छोड़ दें अंकल, बस आपको मुझसे एक वादा करना होगा " !!!
आदित्य ने कहा।
" कैसा वादा " ???
शर्मा जी को उसकी बात समझ नहीं आई थी।
" इस सारे मामले में मेरा नाम कहीं भी नहीं आए , ईशा को यह बिल्कुल नहीं पता चले कि मैंने इस मामले में कोई भी हेल्प की है " !!!!
आदित्य ने कहा तो शर्मा जी मुस्कुरा दिए।
" ठीक है बेटा ऐसा ही होगा, लेकिन यह बताओ कि अब करना क्या है " ???
शर्मा जी ने पूछा।
" ईशा के अरेस्ट वारंट निकल चुके हैं , उसके लिए आपने क्या किया है " ???
आदित्य ने पूछा तो शर्मा जी ने उसे पूरी बात बता दी।
" हम्म... यानि के अभी 2 दिन है हमारे पास " !!
उसने कुछ सोचते हुए जवाब दिया उसके बाद मोबाइल निकाल कर किसी का नंबर डायल करने लगा।
" 15 मिनट में तुम मुझे मेरे घर पर मिलो " !!!
फोन पर किसी से कहने के बाद उसने फोन कट करके वापस जेब में रखा था।
" ओके अंकल, मैं शाम में मिलता हूं आपसे " !!!
वह कह कर उठ ही रहा था कि नौकर नाश्ते की ट्रॉली ले आया तो उसे वापस बैठना पड़ा।
" थैंक्यू वंस अगेन बेटे " !!!
कहते हुए शर्मा जी ने कॉफी का मग उठाकर उसके हाथ में पकड़ाया था।
" थैंक्यू अंकल " !!!
उसने भी मुस्कुराकर शुक्रिया अदा करते हुए उनके हाथ से मग थाम लिया।
*************
" दरवाजा खोलो " !!!
बाहर दरवाजा जोर से खटखटाया जा रहा था।
" ए बबलू जाकर देख कौन है " !!
भाई ने कहा।
" तुम रुको मैं जा कर देखता हूं " !!
आरव नें बबलू को हाथ के इशारे से रोक दिया तो वह उठता - 2 वापस बैठ गया।
" कौन है " ???
आरव नें अंदर से आते हुए पूछा।
" दरवाजा खोलो खुद पता लग जाएगा कि कौन है " !!!
बाहर से किसी ने तेज आवाज में जवाब दिया।
" बोलो कौन है, और किस से मिलना है " ???
आरव ने दरवाजा खोलते ही पूछा उसके पीछे और बाकी लोग भी थे।
" तुम लोगों से ही मिलना है " !!!
वहां खड़े कुछ लोगों ने जबरदस्ती अंदर आते हुए कहा।
" ऐसे कैसे , तुम ऐसे कैसे जबरदस्ती किसी के घर में घुस सकते हो " ???
आरव नें उन लोगों को वही दरवाजे पर ही रोक लिया।
" घर, अच्छा क्या यह घर है। हमें तो लगता नहीं कि यह घर है। क्योंकि हम नें यहां से कभी किसी को घर का कोई कभी सामान लाते ले जाते नहीं देखा " !!!
उन में से एक आदमी ने जवाब दिया।
" तुम्हें मिलना किस से है तुम यह बताओ " .?
आरव दरवाजे के बीचो-बीच खड़ा हुआ था जिस से उन लोगों को अंदर जाने का मौका नहीं मिल रहा था।
" अरे अंदर तो आने दे सब पता भी चल जाएगा तुम लोगों को " !!!
वह लोग ज़बरदस्ती अंदर आने की कोशिश करने लगे तो आरव नें उन्हें वही रोक दिया।
" रुक जा मनी, आने दे इन लोगों को अंदर घर देख लेने दे इन्हें । करने दे इनको अपनी मर्जी पूरी " !!!
पीछे से भाई की आवाज आई तो वह दरवाजे में से एक तरफ हट कर खड़ा हो गया तो वह लोग भी अंदर आ गए।
" तू कौन है बे " ???
बब्लू वहां दरवाज़े पर उसी फ़क़ीर को खड़ा देख कर चौंक गया जो पहले कॉलोनी में भी मौजूद था जब पहली बार उन की आरव से लड़ाई हुई।
" फकीर हूं बेटा, दो दिन से कुछ नहीं खाया। और आसपास और कोई घर भी नही है जो मैं मांग सकूं। यहां पर इन लोगों को आते देखा तो मैं भी आ गया सोचा कुछ मिल जाए यहां से " !!!
उस बूढ़े फ़क़ीर ने कहा।
" चल भाग यहां से, यहां कुछ नहीं है। और आगे से दिख मत जाना दोबारा कभी इस घर के आस पास " !!!
बब्लू नें उसे धमका कर कहा तो वह बड़बड़ाता हुआ आगे बढ़ गया।
" क्या काम करते हो तुम लोग यहां पर " ??
अंदर आने के बाद उन में से सबसे आगे खड़े आदमी ने पूछा।
" पहले यह बताओ कि तुम लोग हो कौन, और यहां पर इस तरह से क्यों आए हो " ??
भाई ने भी जवाब देने की बजाए सवाल किया जिसका जवाब उन लोगों में से किसी ने भी देना जरूरी नहीं समझा था।
" चलो काम करो " !!
सबसे आगे खड़े हुए उस आदमी ने मुड़कर अपने लोगों को इशारा किया तो उनमें से कुछ लोग एक कमरे और कुछ दूसरे के कमरे की तरफ बढ़ गए।
" ऐ ऐ ऐ, वहां क्यों जा रहे हो, और हो कौन तुम लोग बताते क्यों नहीं ?? और यहां पर इस तरह से तलाशी लेने का मतलब क्या है तुम्हारा " !!!
इस बार भाई ने ज़रा गुस्सीली आवाज में पूछा।
" हम लोग पुलिस डिपार्टमेंट से हैं और हमें खबर मिली है कि यहां पर कुछ इल्लीगल काम हो रहा है, और हमारे पास सर्च वारंट भी हैं। इसलिए चुप चाप हमें हमारा काम करने दो किसी ने भी रोकने की कोशिश की तो वह अपनी जान से जाएगा " !!!
सबसे आगे खड़ा हुआ वह शख्स जो यकीनन पुलिस वाला था तेज होकर बोला।
" देखो, हम यहां कोई गैरकानूनी काम नहीं कर रहे हैं। तुम्हें किसी ने गलत इंफॉर्मेशन दी है, तुम लोग वापस चले जाओ इसी में तुम्हारी बेहतराई है " !!!
भाई इस बार तन कर उन लोगों के आगे खड़ा हो गया था।
" मैं देखता हूं कौन रोकता है तुम लोगों को तलाशी लेने से । चलो तुम लोग अंदर जाओ और दोनों कमरों की अच्छे से तलाशी लो। देखो इन लोगों ने यहां पर क्या छुपा रखा है " ???
उस इंस्पेक्टर ने भाई को घूर कर देखते हुए कहा तो बाकी सब को भी गुस्सा आ गया। बबलू पप्पू और बाकी सारे गुंडे उस इंस्पेक्टर के साथ आए हुए आदमियों पर झपट पड़े और हाथापाई शुरू हो गई।
" सब जहां पर हो ,रुक जाओ वहीं पर वरना मैं गोली चला दूंगा " !!!!
भाई ने अपनी पॉकेट की साइड में लगी गन निकाल कर तेज़ आवाज़ में कहा तो सब जहां थे वहीं रुक गए।
" सब वापस हो जाओ यहीं से , और कोई भी अंदर कमरे में नहीं जाएगा " !!!
वह गन उन की तरफ़ कर के खड़ा हो गया।
" यह तुम बहुत बुरा कर रहे हो , बहुत पछताओगे तुम अपनी इस हरकत पर " !!!
इंसपेक्टर ने कहा।
" चल ओय ज़्यादा बोल मत और जो कह रहा हूं कर चुपचाप " !!!
भाई ने कहा ईधर इंसपेक्टर नें अपने एक ऑफिसर को ईशारा कर दिया था जो उस भाई और आरव के पीछे खड़ा हुआ था। उस ने चुपके से जा कर आरव के सर पर गन रख दी।
" सब एक तरफ़ हो जाओ , अगर ज़रा भी होशियारी की तो इस का सर उड़ा दूंगा मैं " !!!
उस ने धमकी दी
**************
नवंबर की आती सर्दियों और ठंड की शुरुआत ने मौसम में भी अच्छी खासी ठंडक पैदा कर दी थी। आज उसे त्यागी जी के वकील साहब के फॉर्म हाउस आए दूसरा दिन था दिल भी अजीब उड़ा उड़ा सा हो रहा था ना कुछ करने को दिल चाह रहा था ना किसी से बात करने का।
मां के कहने पर सर्वेंट नें विंडो के पर्दे हटाने के साथ-साथ के शीशे भी कुछ पीछे सरका दिए थे जिस से हल्की हल्की धूप छन कर अंदर आती भली मालूम हो रही थी।
वह खिड़की से बाहर दिखते आसमान की तरफ देखते हुए कुछ सोच रही थी।
" ईशा बेटे, क्या सोच रही हो " ???
उसे किसी सोच में यूं घिरा देखकर माँ ने कमरे में दाखिल होते हुए पूछा। उनके साथ में नौकरानी भी थी जो हाथ में ट्रे पकड़े हुए थी और उस में कॉफी के दो कप भी रखे थे। उन्होंने दरवाजे से ही ट्रे उस के हाथ से लेकर उसे वापस जाने का इशारा कर दिया।
" कुछ नहीं मां बस यूं ही " !!!
ईशा ने गायब दिमागी के साथ जवाब दिया।
" बेटे परेशान नहीं होते , तुम्हारे डैड ने कहा तो है कि वह तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे। और फिर त्यागी जी भी देखो एक रिटायर्ड कर्नल है तो उनकी सोर्स भी काफी अच्छी है वह भी लगातार कोशिश कर रहे हैं तुम फिक्र ना करो सब ठीक हो जाएगा और असली कातिल जल्द ही पकड़ा भी जाएगा " !!!!
मां ने उसे तसल्ली देते हुए ट्रे में से कॉफी का एक मग उठाकर उसके हाथ में पकड़ाया था।
" बुरा वक्त तो मां गुजर ही जाता है, लेकिन बुरे वक्त में काम ना आने वाले लोग हमेशा याद रह जाते हैं " !!!
वह दोनों हाथों में मग थामें कॉफी से उठ कर हवा में मिलती भाप को बहुत गौर से देखते हुए जैसे सोच कर बोल रही थी।
" क्या मतलब है तुम्हारा , किसकी बात कर रही हो " ???
मां को उसकी बात समझ नहीं आई थी।
" आरव की " !!!
उसने जवाब दिया लहजा अभी तक वही था खोया खोया था।
" बेटा ऐसे नहीं कहते, क्या पता किसी जरूरी काम में फंसा हुआ हो। वरना वह ऐसा गैर जिम्मेदार बच्चा तो नहीं है यह बात जानती हो तुम भी " !!!
मां ने समझाया।
" कैसा भी जरूरी काम हो मां , जैसे हालात इस वक्त मेरे साथ चल रहे है उससे ज्यादा जरूरी तो नहीं हो सकता ना। और फिर यह कोई छोटी बात तो नहीं है , हर न्यूज़ में आजकल यह हैडलाइन बनी हुई है। आरव जहां पर भी है न्यूज़ तो देखी ही होगी। तो क्या यह भी नहीं हो सकता था कि वह फोन पर ही हमारी खैरियत मालूम कर लें " ???
ईशा दुखी दिल से कह रही थी और उसके दिल की यह हालत मां समझ सकती थी। आरव उस का मंगेतर था, और जिन हालातों से वह इस वक्त गुजर रही थी उसमें आरव का उसके साथ मौजूद रहना बहुत जरूरी था ईशा के लिए भी और उन दोनों की आने वाली जिंदगी के लिए भी।
लेकिन उसने तो एक फोन तक करके उन लोगों की खैरियत पूछना तक जरूरी नहीं समझा। वह कहां था किसी को कुछ मालूम नहीं था यहां तक कि उसके मां-बाप को भी नहीं। मिसेज शर्मा उलझ कर रह गई। ईशा को तसल्ली देती भी तो किन अल्फाज में।
" आंटी से कोई बात हुई है आपकी इस बारे में क्या उन्होंने मालूम करने की कोशिश भी नहीं की कि आरव इस वक्त है कहां " ???
ईशा ने उनकी तरफ देखकर पूछा।
" पूछा था मैंने। लेकिन वह तो खुद परेशान हैं आरव का कुछ पता नहीं चल पा रहा है जिस जिस जगह से उम्मीद थी उन्होंने हर जगह पता करा कर देख लिया लेकिन किसी को कुछ भी पता नहीं है। जिस दिन तुम लोग पार्टी से आए थे उससे अगले दिन सुबह ही वह घर से चला गया था और जाते हुए मां को सिर्फ यह बता कर गया था कि मैं किसी जरूरी काम से जा रहा हूं और लौटने में वक्त लग जाएगा" !!!
" कर्नल साहब से तो मालूम करने की कोशिश करते है यह लोग। अगर वह किसी सीक्रेट मिशन पर गया है तो जरूर उन्हीं मालूम होगा " !!!
ईशा ने कॉफी का सिप लेते हुए कहा।
" सब जगह से मालूम कर चुके हैं वह लोग ,कहीं से कुछ पता नहीं चल रहा है। अब तो बस जब आरव आएगा तो वह खुद ही कुछ बताएगा तभी कुछ पता चल सकता है इसके अलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है " !!!!
मां जवाब देकर कॉफी के सिप लेने लगी तो ईशा भी खामोश होकर फिर से खिड़की से बाहर देखते हुए कुछ सोचने लगी।
***********
अचानक सामने खड़े लड़कों में से एक लड़के ने मूव किया जिस पर सब पुलिस वालों की निगाह एकदम से उसकी तरफ उठी थी। और उस मौके का फायदा उठाकर आरव ने उस सीनियर इंस्पेक्टर की कनपटी पर बंदूक रख दी।
" खबरदार कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा " !!!
उस इंस्पेक्टर की कनपटी पर बंदूक रखते हुए आरव ने अपना बायां हाथ उसकी गर्दन में डालकर उसकी गर्दन के चारों तरफ घेरा तंग कर लिया तो सब पुलिस वाले अपनी अपनी जगह सीधे खड़े हो गए।
" ए चलो, तुम सब लोग अब अपने अपने हथियार फेंक दो " !!!
भाई ने सब पुलिस वालों की तरफ देखकर तेज़ आवाज़ में कहा तो सब ने अपने अपने हथियार वही नीचे ज़मीन पर रख दिए।
" सुनो बबलू तुम एक रस्सी ले कर आओ और इन सब लोगों को बांध दो " !!!
आरव ने कहा तो बबलू अंदर जाकर रस्सी उठा लाया और उन लोगों को बांधने लगा और इस हड़बड़ाहट में एक हवलदार के हाथ से वायरलेस छूट कर नीचे गिर गया और नीचे गिरते हुए बटन दब कर उसका स्पीकर भी ऑन हो गया था।
" इंस्पेक्टर , बैकअप आप की लोकेशन से सिर्फ 2 मिनट दूर है आप लोग फिक्र ना करें बैकअप आ रहा है " !!!
वायरलेस से आवाज आई तो सब चौकन्ने हो गए।
" ओह्ह, तो इसका मतलब यह है कि तुम लोग पुलिस की पूरी टीम को इनफॉर्म करके आए हो अपना यहां आने का " !!!
आरव ने उन की तरफ देख कर कहा।
" अब क्या करें मनी भाई " ???
बबलू और पप्पू ने आरव की तरफ देख कर एक साथ पूछा।
" पहली बात तो कोई गोली नहीं चलाएगा क्योंकि अगर पुलिस यहां तक पहुंच जाती है और उससे पहले हमारे गोली लगने से इन सब में से कोई भी घायल हो गया तो हमें जेल भी हो सकती है। और हमारे पास ज्यादा टाइम नहीं है पुलिस किसी भी वक्त यहां पहुंच सकती है हमें फौरन यहां से निकलना होगा। तुम लोग जल्दी निकलने की तैयारी करो। और तुम इंसपेक्टर , तुम अभी उन लोगों को फोन करो और बैकअप यहां पर लाने के लिए मना करो। जल्दी करो वरना तुम्हारा यह ऑफिसर आज अपनी जान से जाएगा " !!!!
आरव बबलू और पप्पू से कह कर सामने खड़े पुलिस वालों से बोला और उस सीनियर इंसपेक्टर की गर्दन पर अपना घेरा और ज़्यादा तंग (टाईट ) कर लिया तो वह हवलदार किसी को फोन मिलाने लगा।
" तुम सब जाकर गाड़ी में बैठ जाओ मैं इन लोगों को निपटा कर आता हूं " !!!
आरव ने उन सब की तरफ़ देखते हुए कहा।
" तुम सब लोग चलो अब एक तरफ हो जाओ जल्दी करो " !!!
इंस्पेक्टर की कनपटी पर बंदूक रखे रखे ही आरव ने सब पुलिस वालों को ऑर्डर दिया तो वह सब मजबूर होकर दरवाजे से हटकर एक तरफ होकर खड़े हो गऐ और सारे गुंडे एक-एक कर के जल्दी-जल्दी दरवाजे की तरफ बढ़ गए।
सारा सामान गाड़ी में लोड करवाने के बाद सब लोग गाड़ी में बैठ चुके थे और आरव अभी तक घर के अंदर ही उस इंस्पेक्टर की कनपटी पर बंदूक रखे हुए था।
" मनी भाई जल्दी आ जाओ , हमारे पास ज्यादा टाइम नहीं है पुलिस पहुंचने वाली होगी " !!!
पप्पू गाड़ी से उतर कर वापस अंदर आया।
" चलो अब तुम लोग एक तरफ हो जाओ " !!!
इंस्पेक्टर को लिए लिए ही आगे बढ़ते हुए आरव ने सब पुलिस वालों को इशारा किया तो वे सब आरव के ईशारे के साथ-साथ एक तरफ हो गए आरव उस इंस्पेक्टर के साथ साथ ही दरवाजे तक पहुंच गया था।
पप्पू ने बाहर निकलते हुए दरवाजा खोल कर रखा और आरव इंस्पेक्टर की कनपटी से बंदूक हटाते ही फ़ौरन दरवाजे से बाहर निकल गया और दरवाजा बाहर से बंद कर दिया उसके बाद वे दोनों जल्दी से गाड़ी में बैठ गए।
बबलू ने गाड़ी स्टार्ट करके आगे बढ़ा दी।
काफी देर तक सड़कों पर घूमने के बाद भी जब वे लोग फैसला नहीं कर सके कि कहां जाना है तो आरव कुछ सोचने लगा।
" भाई हम लोग जा कहां रहे हैं " ???
आरव ने पूछा भाई भी किसी सोच में गुम था।
" अभी इतनी जल्दी कोई और इंतजाम होना तो मुश्किल है, इसलिए हमारे पास अभी जाने के लिए ही ऑप्शन है " !!!
भाई अभी भी हवाओं में देखते हुए कुछ सोच रहा था।
" कौन सा ऑप्शन " ???
वह कुछ समझ नहीं पाया था।
" चल बबलू उधर ही चल " !!!
बबलू से कहने के बाद अब भाई आरव की तरफ मुड़ कर उसे नई जगह का एड्रेस समझाने लगा।।
*****************
" हैलो " !!!
कर्नल प्रभाकर ने सूबेदार को कॉल लगाया।
" जी सर सूबेदार साहिल बात कर रहा हूं " !!!
" यस सूबेदार साहिल कर्नल प्रभाकर हिअर लिसन केयरफुली व्हाट आई एम सेयिंग।" !!!
कर्नल प्रभाकर ने कहा।
" जी सर बताइए मैं सुन रहा हूं। " !!!
सुबेदार साहिल ने जवाब दिया।
" सूबेदार मुझे अपने करंट ऑपरेशन के लिए कमांडो की टीम चाहिए जिसे आप क्रिएट कराएंगे इसीलिए मैंने आपको आज कॉल किया है। आप अपनी ऑफिसर से कह कर एक कमांडो टीम रेडी कराइए एज़ सून एस पॉसिबल " !!!
कर्नल प्रभाकर ने कहा।
" ओके सर हो जाएगा " !!!
" और सूबेदार यह काम 2 दिन के अंदर अंदर हो जाए चाहिए क्योंकि इस मिशन के लिए हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है " !!!
" ओके सर " !!!
" ओके सूबेदार साहिल आपसे फिर बात होती है। आप जल्द से जल्द कमांडो टीम रेडी कराऐं और मुझे इन्फॉर्म करें " !!!
कर्नल प्रभाकर ने कह कर फोन रख दिया।
********
टीवी देखते आदित्य की अचानक वॉल क्लॉक पर नजर पड़ी 10:30 बज रहे थे उसे अचानक कुछ याद आया तो टेबल पर रखा मोबाइल फोन उठाकर कोई नंबर डायल करने लगा।
फोन रिसीव होने के बाद उसने उसे स्पीकर पर डाल कर टेबल पर रखा और पास रखे अपने सॉक्स उठाकर पहनने लगा।
" काम हो गया आदि भाई " !!!
स्पीकर से आवाज उभरी।
" वेरी गुड अब जो मैं कह रहा हूं उसे ध्यान से सुनो " !!!
सॉक्स पहनने के बाद वह पेंट का पांयचा नीचे करते हुए बोला।
" जी भाई कहिये " ???
दूसरी तरफ जो कोई भी था उससे बहुत ज्यादा इज्जत से बात कर रहा था।
" तुम अब डॉक्टर सिंघानिया के पास जाओगे और उन से ऑपरेशन थिएटर के बाहर लॉबी में लगी सीसीटीवी की फुटेज चेक करने के लिए कहोगे " !!!
उस नें अब दूसरा सॉक्स पहनते हुए अगला आर्डर जारी किया।
" लेकिन भाई मेरे कहने पर वह ऐसा क्यों करेंगे " ???
दूसरी तरफ से थोड़ा रुक रुक कर सवाल किया गया जैसे उसके सवाल किए जाने पर आदित्य का गुस्सा हो जाने का डर हो।
" क्योंकि मैं उन्हें कह दूंगा। मैं डैड की फोन पर उन से बात करा दूंगा डैड और उनके काफी अच्छे टर्मस है इसलिये वह तुम्हें मना नहीं करेंगे। " !!!
दोनों सॉक्स पहनने के बाद उस ने फोन का स्पीकर ऑफ किया और अब वह कान से मोबाइल लगाए बात कर रहा था।
" ठीक है आदि भाई लेकिन, आगे क्या करना है " ???
स्पीकर के दूसरी तरफ वाले बंदे ने एक बार फिर से सवाल किया।
" पैन है ना तुम्हारे पास " ???
" जी भाई है वह तो " ??
" हां तो उसे लेकर जाना, उसके इस्तेमाल की बारी आ गई है " !!!
आदित्य ने वह हिडन कैमरा याद दिलाया जो उस ने इसी तरह के कामों के लिए रखवाया हुआ था।
" जी भाई " !!!
" और सुनों, पूरी वीडियो मेरे पास आ जानी चाहिए। " !!!
आदित्य ने खासतौर से उसे ताकीद की थी।
" जी भाई ठीक है " !!!
" और इस काम को जल्दी खत्म करो ,क्योंकि इसके बाद तुम्हें पुलिस स्टेशन भी जाना है " !!!
उस ने अगला ऑर्डर जारी किया।
" जी भाई जैसा आप कहें " !!!
स्पीकर के दूसरी तरफ बैठे शख्स ने एक बार फिर ताबेदारी से जवाब दिया।
" और इस बात का ध्यान रखना कि डॉक्टर सिंघानिया के अलावा कोई यह ना जान पाए कि तुम्हें मैंने भेजा है " !!!
" ओके " !!!
" ठीक है अब तुम हॉस्पिटल पहुंचो मैं डॉक्टर सिंघानिया को कॉल कर देता हूं " !!!
उस ने कहते हुए कॉल कट किया और डॉक्टर सिंघानिया का नंबर डायल करने लगा।
***********
उसकी बेल अप्रूव हो चुकी थी इसीलिए डैड उसे शर्मा मेंनशन वापस ले आए।
2 दिन वह वकील साहब के फार्म हाउस में रही तो अपना फोन बंद किए रखा था जिस वजह से उसके सारे फ्रेंड्स भी परेशान हो चुके थे इसीलिए आज सुबह जब से फोन ऑन किया तब कॉल्स पर कॉल्स आए जा रहे थे।
इस वक्त भी निमी का कॉल था और वह बात करते हुए अपने कमरे की तरफ जा रही थी की ड्राइंग रूम से आती किसी जानी पहचानी आवाज को सुनकर वह ठिठक कर रुक गई।
जरा सा आगे होकर ड्राइंग रूम में झांका तो सामने ही सोफे पर डैड के बराबर में बैठे आदित्य को देखकर पूरी तरह से हैरान रह गई जो मुस्कुराते हुए डैड की किसी बात का जवाब दे रहा था।
" यह यहां क्या कर रहा है , और डैड को कैसे जानता है। आज से पहले तो कभी इसे हमारे घर पर नहीं देखा तो फिर आज यहां कैसे " ????
आदित्य को वहां देख कर वह मुंह मुंह में बड़ बड़ाई फोन अभी भी उसके कान से लगा हुआ था।
" क्या बोल रही हो ईशा , कौन जानता है तुम्हारे डैड को ?? और किसी नहीं देखा तुमने अपने घर पर आज से पहले " !!!!
उसके बड़बड़ाने की आवाज निमी भी तक पहुंच गई थी।
" कुछ नहीं , मैं तुमसे बाद में बात करती हूं निमी। अभी इस वक्त एक अर्जेंट काम है मैं फ्री होकर तुम्हें खुद फोन कर लूंगी बाय" !!!
उसने जल्दी से कहते हुए दूसरी तरफ से निमी का जवाब सुने बगैर ही फोन कट कर दिया और अपनी पूरी तवज्जोह अंदर से आने वाली आवाज़ों पर लगा दी।
" थैंक्यू बेटा तुमने इतनी परेशानी के समय में हमारी मदद की उसके लिए तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया। वरना हमें तो चारों तरफ से रास्ते बंद नजर आ रहे थे। और जिसने भी यह काम किया है उसने ईशा को इस तरह से घेरा था कि सब उसे ही कातिल समझ रहे थे " !!!
डैड शुक्र भरी नजरों से आदित्य को देखते हुए किसी बात पर उसका शुक्रिया अदा कर रहे थे।
" अरे अरे क्यों शर्मिंदा कर रहें है अंकल , और इसमें शुक्रिया की कोई बात नहीं है। परेशानी के वक्त दोस्त ही दोस्तों के काम आते हैं सो मैंने अगर आप लोगों की थोड़ी हेल्प कर दी है तो यह मेरा फर्ज था " !!!
आदित्य मुस्कुराते हुए कह रहा था और बाहर खड़ी ईशा के सर पर से उनकी बातें जा रही थीं। उस को समझ नहीं आ रहा था कि वह लोग किस टॉपिक पर बात कर रहे हैं और आदित्य नें ऐसी कौन सी मदद कर दी उनकी जो डैड इस तरह से उसके शुक्रगुजार हैं।
" बेटा आप जैसे लोग बहुत कम होते हैं दुनिया में। वरना बुरे वक्त में तो अपना साया भी साथ छोड़ देता है लेकिन आप तो परेशानी की इस घड़ी में हमारे लिए एक फरिश्ता बनकर आए हैं " !!!!
" प्लीज अंकल फरिश्ता कह कर मुझे शर्मिंदा ना करें मैं तो एक बहुत गुनाहगार इंसान हूं " !!!
वह मुस्कुराते हुए कह रहा था। डैड भी मुस्कुरा दिए।
" आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा बेटा आगे भी आते रहना " !!!
डैड ने मुस्कुराते हुए कहा।
" जी अंकल जरूर लेकिन फिलहाल मुझे इजाजत दीजिए " !!!!
वह कहता खड़ा हो गया।
" अरे ऐसे कैसे बेटा , रुको अभी आज लंच हमारे साथ ही करके जाना " !!!
डैड ने कहा।
" नहीं अंकल अभी के लिए सॉरी , अभी मैंने जाकर चेक करना है कि प्रोसेस कहां तक पहुंचा। क्योंकि मैंने अपने एक बंदे को वह वीडियो लेकर पुलिस स्टेशन भेजा हुआ है। इसलिए जा कर उससे मालूम करूंगा कि इंस्पेक्टर ने क्या कहा " !!!
आदित्य ने मुस्कुराते हुए रिफ्यूज कर दिया।
" ओके जेंटलमैन फिर बात होती है आपसे " !!!!
डैड भी मुस्कुराते हुए उसके साथ ही खड़े हो गए।
" ओके अंकल बिल्कुल !!! लेकिन प्लीज आप अपना वादा याद रखिएगा " !!!
आदित्य ने एक बार फिर मुस्कुराते हुए उन्हें कुछ याद दिलाया था जिस पर वह जोर से हंस पड़े।
" हां हां बेटा मुझे याद है मेरा वादा, बेफिक्र रहो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा " !!!!
" ओके अंकल बाय " !!!
आदित्य ने उनसे हाथ मिलाते हुए कहा और दरवाजे की तरफ पलट गया तो दरवाजे के एक तरफ खड़ी ईशा भी जल्दी से दीवार की ओट में हो गई।
************
" हैलो मेजर आरव " !!!
कर्नल प्रभाकर ने फोन उठाते ही कहा इस वक्त आरव उन क्रिमिनल्स के साथियों की ट्रेनिंग के लिए बाहर आना होता था इसलिए कोई भी इंफॉर्मेशन एक्सचेंज करनी हो तो वह कर्नल प्रभाकर को इसी टाइम कॉल किया करता था।
" जी सर मिशन सक्सेसफुल। हम लोग उनके नए वाले अड्डे पर पहुंच चुके हैं उम्मीद है कि यहां बच्चों से रिलेटेड कोई इंफॉर्मेशन मिल जाएगी " !!!
आरव ने कहा।
" गुड जॉब मेजर आरव, अब जैसे ही आप उनकी लोकेशन पर पहुंचें आप ने काम बहुत ध्यान से करना है एण्ड मेक श्योर कि उन लोगों को कोई भी शक ना हो सके " !!!
कर्नल साहब ने उसे बहुत एहतियात करने की खास ताकीद की थी।
" ओके सर बताऐं अब आगे क्या करना है " ?????
आरव ने इधर उधर देखते हुए पूछा कि कहीं कोई उस का पीछा ना कर रहा हो।
" मेजर, पहले आप उस लोकेशन का पता लगाऐं जहाँ पर उन लोगों ने बच्चों को रखा हुआ है। उस के बाद आपके पास जो जीपीएस मौजूद है वह आपको बच्चो की लोकेशन पर प्लांट करना है । इससे हमारे ऑफिसर्स को आपकी असली लोकेशन का पता चल जाएगा और ऐसे हम उन की बाकी एक्टिविटीज पर भी नजर रख पाएंगे " !!!
कर्नल प्रभाकर नें उसे आगे का प्लान बताया।
" ओके सर लेकिन आपको यहां की लोकेशन में कैसे सेंड करूं " ???
" उस की फिक्र आप मत करिए मेजर आरव , ऑफिसर हरभजन को आपकी करंट लोकेशन मालूम है " !!!
कर्नल प्रभाकर ने बताया तो उसे कुछ इत्मीनान हुआ था कि उनका प्लान बिल्कुल सही जा रहा है।
" ओके सर , हो जाएगा। आगे बताऐं " !!!
उस ने जवाब में पूछा।
" मेजर अब आप आपके पास जो मैप मैनुअल है उसमें उस जगह का मैप ड्रॉ करें जहां बच्चों को रखा हुआ है और उस के आस पास के ऐरियाज़ भी जहां से रेस्क्यू के लिये हमें आसानी हो। और इस वक़्त आप जहां पर मौजूद हैं उस जगह से आगे एक खंडहर नुमा जगह है जहां पर आपको वह मैप मैनुअल छोड़ना है अगर आपको किसी भी तरह की हेल्प की जरूरत चाहिए होगी वह भी आपको वहीं पर मिलेगी और उस खंडहर के एक कमरे में आपको एक छोटा बॉक्स रखा मिलेगा यह मैनुअल आपको उसी में रखना है एण्ड ऑफिसर हरभजन आप के आस पास ही है और वह आपको अपने होने का सिग्नल भी दे देंगे " !!!!
कर्नल साहब ने समझाते हुए कहा।
" ओके सर, जैसे ही मुझे कुछ पता चलता है मैं आप को फौरन इन्फॉर्म करूंगा। " !!!!
उस ने कहा
" ओके मेजर जय हिंद " !!!!
कर्नल साहब नें कहा
" ओके सर, जय हिंद " !!!
कर्नल साहब ने फोन रख दिया तो वह भी मोबाइल जेब में रख कर वापस उसी घर की तरफ़ पलट गया।
अभी उसे सब से पहले मैप ड्रॉ करना था।
सब लोग कमरे में बैठे अभी तक 14 नवंबर वाले प्लान पर डिस्कस ही कर रहे थे।
" भाई , मुझे ऊपर का एरिया देखना है " !!!
आरव नें उस कमरे में झांक कर कहा जहां उन लोगों की मीटिंग हो रही थी।
" ऊपर का क्यों " ???
भाई नें कुृछ चौंक कर पूछा।
" क्योंकि भाई रास्ते चारों तरफ़ के पता होने चाहिये , कब किस की ज़रूरत पड़ जाए कुछ नहीं पता। और फिर इसी हिसाब से मुझे सुबह इन लोगों की प्रैक्टिस भी करानी है " !!!
उस ने कहा और उस की यह बात भाई को भी सही लगी थी।
" ठीक है , जैसा तुझे ठीक लगे कर ले, और अगर इन लोगों में से किसी को साथ ले जाना हो तो ले जा " !!!!
भाई ने जवाब दिया।
" नहीं , कोई ऐसा खास काम नहीं है इन लोगों से करवाने का , मुझे तो बस यहां की लोकेशन देखनी है " !!!
वह कहते हुए बाहर निकल गया और मौक़ा देख कर उस ने अपने सामान में से मैप मेनुअल निकाला और उस के बाद वह धीरे धीरे उस तरफ़ बढ़ गया जहां पर बच्चों को रखा हुआ था।
मैप ड्रॉ करने के बाद कमरे के बराबर बने ज़ीनें से उपर छत की तरफ़ चला गया ताकि वहां की लोकेशन भी अच्छे तरीक़े से देख कर ड्रॉ कर सके।
ऊपर जा कर उस ने आस पास की लोकेशन को ध्यान से देखा।
वहां पर ज़्यादा तर प्लाट और मैदान ही थे और जिस घर में यह लोग थे यहां, उस के बाहर की तरफ़ की दीवार से मिलते हुए एक प्लॉट पर चारदीवारी करा कर उसे खाली छोड़ा हुआ था।
उस ने चारों तरफ़ घूम कर कुछ और लैंड मार्क तलाशने की भी कोशिश की थी ।लेकिन वहां सिर्फ़ कुछ दूरी पर एक बड़ा सा टीला था जहां दूर दूर तक रेत और मिट्टी के अलावा किसी चीज़ का नामो निशान नहीं था। इस के अलावा भी आरव ने कुछ ढूंढने की कोशिश की लेकिन वहां पर उस को काफ़ी दूर पर जलती हुई एक हल्की चिंगारी जैसा कुछ महसूस हुआ लेकिन कोई लैंड मार्क टाईप लोकेशन नही मिली थी।
वह पलट कर वापस नीचे की तरफ़ उतर आया।
*************
इन दिनों जिन हालातों से वह गुज़र रही थी ज़हन बुरी तरह से डिस्टर्ब हो चुका था इसलिये आज आरव की मम्मी ने उसे अपने घर पर इन्वाईट किया हुआ था। माँ ने भी उसे जाने के लिये बहुत फोर्स किया तो उसे आना ही पड़ा क्योंकि माँ चाहती थीं कि वह थोड़ा घर से निकले ताकि माइंड कुछ फ्रैश हो सके।
" गुड आफ्टरनून मैडम " !!!
वह आरव के घर पहुंची तो चौकीदार ने जल्दी से अपनी जगह से उठकर उसके लिए दरवाजा खोलते हुए इशारे से उसे आफ्टरनून विश किया था।
उस ने ईशारे से सर हिला कर जवाब दिया और गाड़ी अंदर ले आई ।
वहां गाड़ी पार्क करने के बाद उसने कार लॉक की और कीज़ लेकर अंदर की तरफ बढ़ गई।
" हेलो बेटा " !!!
आरव की मम्मी जो उसके इंतजार में लाऊंज में ही बैठी हुई थी खड़े हो कर उसके गले लगते हुए बोलीं।
" हेलो आंटी कैसी हैं आप " !!!
उस ने उनके दोनों हाथ थामते हुए पूछा।
" बस देख लो तुम्हारे सामने ही हूं। बाकी सब तो ठीक है लेकिन आरव के जाने से थोड़ा घर में हो रही रौनक खत्म हो ही जाती है। वह रहता है तो कुछ ना कुछ शरारतें करता रहता है जिससे घर में रौनक बनी रहती है " !!!
आरव की मम्मी बेटे को याद करते हुए थोड़ी भावुक हो गई।
" ओहो आर्मी ऑफिसर , और शरारती क्या सच में " !!!
ईशा को सुनकर हैरत सी हुई।
" हां सच में वह बहुत ज्यादा शरारती है। इतना बड़ा ऑफिसर बन गया है लेकिन शरारतें अब भी उसकी बच्चों वाली ही है। और जब उसकी दी आ जाती है फिर तो तुम देखा करो क्या हंगामा होता है हमारे घर में। कभी उसके बाल खेंच कर भाग जाएगा तो कभी खाना खाने बैठी तब उसकी बाउल उठाकर उसे वापस नहीं देगा वह चिल्लाती रहेगी लेकिन आरव पर जो जरा भी असर होता हो " !!!
आंटी नम आंखों के साथ मुस्कुराते हुए बता रही थी ईशा भी सुनकर उदास हो गई।
" अरे मैं भी क्या बातें लेकर बैठ गई। बेटा तुम आरव के कमरे में चलो मैं चाय लेकर आती हूं वहीं बैठ कर चाय पीते हैं " !!!
आंटी ने उसे आरव के कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा तो वह भी हां में सर हिला कर उधर की तरफ बढ़ गई। आंटी ना भी कहती तो वह खुद उस के कमरे में जाने की इजाजत उन से लेने वाली थी।
आरव के कमरे में पहुंच कर उसने चारों तरफ घूम कर देखा हर चीज बिल्कुल वैसी की वैसी रखी थी जैसी उसके सामने होती थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह बिल्कुल अभी इस कमरे को छोड़ कर गया हो।
आहिस्ता आहिस्ता चलते हुए ईशा वहां रखी राइटिंग टेबल तक आ गई जहां बहुत सारी बुक्स रखी हुई थी आरव को राइटिंग का भी शौक था वह बहुत ज्यादा तो नहीं लिखता था लेकिन कभी कभार जब वक़्त मिलता तो पोएट्री लिख लेता था।
अभी भी वह मेज पर रखी सारी किताबों से होते हुए एक किताब पर पहुंचकर रुक गई।
अफ़ारिया फारुकी का यह नॉवल मुहब्बत एक सबक़ उसे ईशा ने ही रिकम्मेंड किया था।
" यार क्या लिखती है यह बंदी। इतने फनी डायलॉग्स होते है कि पढ़ कर हंसी आने लग जाती है। इन्हें खुद को लिखते हुए हंसी नहीं आई होगी क्या " ?? ?
उसे याद आया वह नॉवल पढ़ने के बाद जब आरव की उससे मुलाकात हुई तो आरव नें उसे कहा था।
" हां सच में , इनकी लव स्टोरीज भी मजे की होती है। टिपिकल लव स्टोरीज की तरह सिर्फ एक ही वे में नहीं जाती है इन की कहानियां बीच-बीच में फन का तड़का भी लगाती रहती हैं " !!!
उस ने भी मुस्कुरा कर उस की हाँ में हाँ मिलाई थी।
" अच्छा इस नॉवल में जो हीरो है अनस अगर उसकी तरह मैं तुम्हें कहूं कि तुम बिल्कुल कब्रिस्तान से भागी हुई चुड़ैल लग रही हो तो तुम क्या जवाब दोगी " ???
आरव ने आंखों में शरारत लिए उस से पूछा।
" तो मैं भी इस नॉवेल की जो हीरोइन है शिफ़ा उसी की तरह यह पूछूंगी की शेखचिल्ली से ऑनलाइन क्लासेज लेनी तो नहीं शुरु कर दी आपने , जो इस तरह की बे सिर पैर की बातें कर रहे हैं " !!!
ईशा ने भी अपनी मुस्कुराहट दबाते हुए उसकी बात का जवाब दिया।
" बहुत बदतमीज़ होती जा रही हो तुम ईशा " !!!
आरव ने उसे झूठी नाराजगी दिखाई।
" अब जैसी भी हूं , हूं तो आपकी ही। झेलना तो आपको ही है इसलिए बेहतर है कि कंप्लेन ना करें " !!!
ईशा खिलखिलाते हुए बोली तो आरव भी मुस्कुरा दिया।
उसके साथ गुजारे हुए टाइम को याद करते हुए ईशा की आंख से आंसू निकल कर उस के गालों पर आया तो वह एकदम चौंक कर होश दुनिया में आई थी।
" मिसिंग यू मेजर आरव " !!!
मन ही मन कहते हुए उसने हाथ में पकड़ा नॉवल वापस उन्हीं किताबों के साथ रख दिया और भीगी आंखों को हाथों से साफ करने लगी।
" ईशा बेटे " !!!
आंटी की आवाज़ वह खुद को कम्पोज़ करती हुई वापस पलटी।
आंटी के साथ सर्वेंट नाशते की ट्रॉली लिये मौजूद था।
" अरे आंटी आप ने इतनी क्यों तकलीफ़ की, मैं कोई मेहमान तो नही हूं" !!!
उस ने ट्रॉली की तरफ़ देख कर कहा।
" अरे तकलीफ की क्या बात है बेटा , और यह मैंने नहीं सर्वेंट्स ने किया है सब और मेहमान नहीं तुम्हारा अपना घर है जब जी चाहे आओ " !!!
आंटी ने इतने मान से कहा कि वह मुस्कुराने लगी।
" ईशा बेटा तुम बैठो " !!!
वह उसे कह कर अब सर्वेंट की तरफ मुड़ी थी।
" रामदीन , तुम जाओ चाय मैं सर्व कर दूंगी " !!!
" जी मैडम " !!!
रामदीन पलट कर वापस चला गया।
" आंटी आरव से कोई कांटेक्ट हुआ है " ???
उस ने पूछा।
" नही बेटा, कहां हुआ है हम लोग तो खुद परेशान हैं उस की वजह से। अब कर्नल प्रभाकर से कांटेक्ट करने की कोशिश कर रहे हैं वह भी नही हो पा रहा। अब तुम्हारे अंकल खुद जा कर मिलेंगे उन से तब कुछ पता चलेगा " !!!
वह उदासी के साथ बता रही थीं। सुन कर ईशा का चेहरा भी उतर गया।
**********
जब से वह त्यागी मेंशन (आरव के घर ) से वापस आई थी किसी चीज़ में दिल नहीं लग रहा था। एक अजीब सी बेचैनी ने उस को अपने हिसार (घेरे ) में लिया हुआ था।
पहले उसे कहीं ना कहीं इक छोटी सी उम्मीद थी कि आरव के घर जा कर उसे उस के बारे में ज़रूर कुछ ना कुछ मालूम हो जाएगा लेकिन आंटी के जवाब नें उसे बहुत मायूस किया था कि उन लोगों का अभी तक आरव से कोई कांटेक्ट नहीं हो सका है। वह इस वक़्त जिन हालात से गुज़र रही थी उसे आरव के मोरल स्पोर्ट की बहुत ज़्यादा ज़रूरत थी और वह था कि अपने बारे में उसे एक कॉल तक कर के इन्फॉर्म नहीं कर सका था अब तक।
इस वक़्त भी रैड टी शर्ट पर स्काई ब्लू डेनिम जैकिट पहने जिस की स्लीव्स उस ने कलाइयों तक फोल्ड कर रखी थी स्टैप कट बालों का ज़बरदस्ती फोल्ड कर के बनाया हुआ जूड़ा जिस में से कुछ लटें उस के चहरे पर झूल रहीं थीं और कुछ को उस ने पकड़ कर कानों के पीछे उड़स दिया था। खिड़की की जालियों से आसमान में उड़ते परिंदों पर नज़रें जमाए वह बहुत गहरी सोचों में गुम थी कि उस के बालों से और ज़्यादा बर्दाशत नहीं हो सका था और जूड़ा खुल कर सारे बाल उस के कांधो पर बिखर गए तो उस की सोचों का सिलसिला एक दम से टूटा था।
उस ने अपने दोनों हाथो से चेहरे पर और कानों के पीछे से सारे बालों को इक्ट्ठा कर के पोनीटेल की शक्ल में एक हाथ में पकड़ा और दूसरे हाथ से बैग की ज़िप को ज़रा सा खोल कर उस में से बालों में लगाने के लिये कल्च टटोलने लगी।
कल्च तो हाथ नहीं लगा लेकिन बैग में पड़ी किसी और चीज़ से हाथ टकराया तो वह किसी ध्यान से चौंकी थी। उसने सर नीचे झुका कर बैग को पूरे तरीक़े से खोला तो सामने एक एनवल्प पड़ा हुआ था।
उस ने उस एनवल्प को निकाल लिया।
जब वह त्यागी मेंशन में आरव के कमरे में उस की राइटिंग टेबल के पास गयी थी तो वह नॉवल मुहब्बत एक सबक़ जो आरव पढ़ रहा था उस ने बेइरादा ही हाथ में उठा लिया। नॉवल के कुछ पेजेज़ के बीच में एक मोटा गैप हो रहा था जैसे बुक में कोई चीज़ रखने से हो जाता है।
ईशा नें वहीं से पेज ओपन कर लिया तो सामने एक एनवल्प रखा हुआ था।
ईशा उसे खोल कर देखने ही लगी थी कि बाहर से आंटी की आवाज़ पर उस ने जल्दी से वह एनवल्प अपने बैग में डाल लिया। लेकिन वहां से वापस आने के बाद वह इतनी ज़्यादा डिस्टर्ब थी कि इस बारे में बिलकुल ही भूल गई थी।
उस ने दूसरे हाथ में पकड़े बालों को छोड़ दिया और दोनों हाथों से वह एनवल्प खोलने लगी।
" डियर ईशा, मैं एक बहुत इमपॉर्टेंट मिशन पर जा रहा हूं इसलिये तुम से अभी कुछ दिन कॉंटेक्ट नहीं हो सकेगा। I am sorry कि मैं जाने से पहले तुम्हें इन्फॉर्म नहीं कर सका क्योंकि यह बात फोन या मैसेज पर मैं तुम्हें बता नहीं सकता था और तुम से मिलने के लिये मेरे पास वक़्त नहीं था इसलिये मैंने यह लैटर लिखा है। मुझे मालूम था कि मेरे बारे में कहीं से भी कोई इन्फॉरमेशन नहीं पा कर तुम घर पर ज़रूर आओगी और इस नॉवल को भी ज़रूर देखोगी क्योंकि इस से हमारी बहुत सारी मेमोरीज़ जुड़ी हुई हैं। तुम बिलकुल परेशान मत होना मैं वहां पर टाईम निकाल कर तुम से बात करने की कोशिश ज़रूर करूंगा। ओके बाक़ी बातें आ कर होती हैं तुम बस दुआ करना कि मैं जल्द और कामयाब हो कर वापस लौटूं। तुम्हें बहुत मिस करूंगा Love You Very Much. Your's आरव।
आरव का लैटर पढ़ कर उस के इतने दिन से आए गुस्से पर जैसे घड़ों पानी पड़ गया था। लेकिन शदीद बेबसी का एहसास उसे तब हुआ जब दो आँसू उस के गालों से फिसल कर उस लैटर पर गिरे थे।
ईशा नें एक गहरा साँस लेते हुए पलके झपक कर आँसुओं को अपने अंदर उतारा और सीधे हाथ की पुश्त (Back) से आँसुओ को साफ करने के बाद उस लैटर को फोल्ड कर के एहतियात से अल्मारी में रख दिया और दोबारा से बैग में कल्च ढूंढने लगी।
बालों मे कल्च लगाने के बाद उस ने चार्जिंग पर लगाने के इरादे से मोबाइल हाथ में लिया ही था कि स्क्रीन पर कोई अननोन नंबर से कॉल आने लगी। कि स्क्रीन पर कोई अननोन नंबर से कॉल आने लगी।
" ओ हो अब यह कौन आ गया " ???
उसने झुंझला कर सोचा।
इस वक्त किसी से भी बात करने का उसका मन नहीं था लेकिन कोई अर्जेंट कॉल भी हो सकती थी कोई इमरजेंसी केस , यही समझ कर उस नें फोन रिसीव कर लिया।
" हैलो " !!!
उसने फोन रिसीव करते ही पूछा आवाज में बेज़ारी (उकताहट) थी।
" ईशा " !!!
आरव की आवाज आई तो ईशा को एक बहुत तेज़ झटका लगा था। उसने फोन कान से हटा कर एक बार स्क्रीन पर नज़र आ रहे नंबर को देखा लेकिन यह तो वह नंबर नहीं था जो उसने आरव का अपने मोबाइल में सेव किया हुआ था यानी कि आरव के पास वह नम्बर चल ही नहीं रहा था जो उस के पास था तब ही रेग्यूलरली उस का मोबाइल आउट ऑफ़ कवरेज था।
" हैलो ईशा, कहां खो गईं यार " ???
आरव की दोबारा आवाज़ उसे होश की दुनिया में ले आई।
" आप " ????
उसके मुंह से सिर्फ इतना ही निकल सका उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह आरव का फोन आने पर खुश हो ,उस के बताए बगैर जाने पर नाराज हो या बात करें उसकी हालत अजीब हो गई थी।
" हां जी मैं, क्यों यकीन नहीं आ रहा क्या " ???
आरव को उस के इस रिएक्शन पर हंसी आई।
" कहां हैं आप , और मुझे बताएं बगैर क्यों गए " ???
उसकी शिकायत आंसुओं के गोले की शक्ल में उसके गले में अटक गई और वह रूंधी हुई आवाज से सिर्फ इतना ही कह सकी।
" वह सब मैं तुम्हें घर आकर बताऊंगा , अभी तो मैंने सिर्फ तुमसे बात करने के लिए फोन किया है। कैसी हो " ???
आरव ने पूछा।
" आपको फर्क पड़ता है कि मैं कैसी हूं " ???
ईशा से बर्दाश्त नहीं हुआ। वह फोन पर ही रो पड़ी थी।
" अरे अरे यह बिन बादल बरसात क्यों शुरू कर दी यार तुम ने ,सॉरी लेकिन बहुत अर्जेंट में निकलना पड़ा मुझे इसीलिए तुम्हें इन्फॉर्म तक नहीं कर पाया इसलिए आज बहुत मुश्किल से टाइम निकाल कर तुम्हें कॉल किया है " !!!
आरव ने एक्सक्यूज़ दिया।
" मुझे आप के एक्सक्यूज़िज़ नहीं सुनने हैं, आपको अंदाज़ा भी है कि मैं कितनी परेशान थी " ???
वह अभी तक रो रही थी।
" अरे बताया तो है कि अर्जेंट में निकलना पड़ा। अच्छा सॉरी , एक्सट्रीमली सॉरी लेकिन अब प्लीज़ यह रोना तो बंद करो " !!!!
आरव से उस का रोना बर्दाशत नही हो रहा था लेकिन वह कुछ नही बोली बस खामोश रही थी।
" Princess " !!!!
आरव ने इस बार आवाज़ दी तो मजबूरन उसे बोलना पड़ा था।
" नही रो रही हूं " !!!
उस ने अपने बाऐं हाथ की बैक से दोनों आँखों से आँसू साफ करते हुए भीगी भीगी आवाज़ में जवाब दिया।
" अच्छा !!! क्या वाक़ई , लेकिन यह भीगी हुई आवाज़ किस की है फिर " ???
आरव ने उस का मूड सही करने के लिये जान बूझ कर उसे तंग किया था लेकिन इस बार वह फिर से खामोश रही थी।
" अच्छा यह बताओ कि तुम ने जो मुझे डाँटा है वह इसलिये नही डाँटा ना कि तुम मेरी वजह से परेशान हो बल्कि यह तो तुम ने तुम्हारे खुद के परेशान होने की वजह से डाँटा है ना क्योंकि मैं तुम्हें बता कर नहीं गया था है ना " !!!
आरव ने एक बार फिर से उसे बोलने पर उकसाया ताकि उस का मूड कुछ बेहतर हो।
" जी ... जी, बिलकुल सही कहा आप ने वह तो अच्छा हुआ आप को जल्दी पता चल गयी यह बात मैं तो बहुत बुरी हूं " !!!
उस नें दाँत पीस कर जवाब दिया।
" वैरी गुड, अब लग रही हो ना तुम मेरी प्रिंसेज मेरी ईशा " !!!
उस के गुस्से को इंजॉय करते हुए आरव ने हँस कर जवाब दिया था।
" आरव " !!!
ईशा ने आवाज़ दी लहजे में नाराज़गी थी।
" जी आरव की जान " !!!
उस पर जो ज़रा भी कोई असर हुआ हो बहुत इतमीनान से बोला।
" बहुत बुरे हैं आप सच में " !!!
ईशा ने मुंह बना कर कहा।
" हा हा हा हा , वैसे कितने अफ़सोस की बात है कि तुम्हें यह बात अब मालूम हुई , अगर पहले मालूम हो जाती तो Engagment भी ना करनी पड़ती " !!!
आरव ने शरारत से कहा।
" हाँ बिलकुल , आप तो पछता रहे है मुझ से Engagment कर के। पता चल रहा है " !!!
ईशा ने तप कर जवाब दिया।
" अच्छा बस , नाराज़गी खत्म करो यह मुझे फोन रखना है अब। वह तो यह लोग यहां हैं नही इसलिये बात करने का टाईम भी मिल गया और अभी मुझे एक और काम निमटाना है इसलिये और ज़्यादा बात नहीं कर सकता " !!!
आरव ने इस बार सीरियस हो कर कहा।
" ओके लेकिन कब आना होगा वापस यह तो बताइए " ???
ईशा ने वह सवाल पूछा जो कब से उस के ज़हन में चल रहा था।
" यार देखो यह तो मुझे भी नही पता कब आना होगा। लेकिन काम खत्म होते ही मैं वापस आ जाउंगा फिक्र ना करो " !!!
आरव नें उसे तसल्ली दी।
" Ok but I will miss you " !!!
ईशा का लहजा फिर से नम हो गया।
" I will Miss you too princess " !!!
आरव ने कहा तो वह नम आँखो से मुस्कुरा दी।
" ओके अब मैं फोन रखता हूं बाय " !!!
आरव ने कहा तो वह भी बाय कह कर फोन रखने लगी।
" सुनो प्रिंसेज़ " !!!
उस ने दोबारा आवाज़ दी।
" जी " ???
फोन रखते रखते उस ने वापस कान से लगा लिया।
" Love you so much " !!!
आरव नें कहा।
" Same Here " !!!
उस नें झेंप कर कहते हुए फोन रख दिया।
फोन रखने के बाद अब वह आसमान की तरफ़ देखने लगी।
" यह प्यार भी क्या चीज़ है, पल भर में हर चीज़ बदल कर रख देता है। इंसान के अंदर का मौसम अच्छा हो तो बाहर का भी सब कुछ उसे उतना ही अच्छा लगता है " !!
वह सोचते हुए मुस्कुरा रही थी।
***********
आज भाई उसे उस तरफ का एरिया दिखाने के लिए ले गया था जहाँ पर उस ने उन आतंकवादियों की ट्रेनिंग करनी थी।
आरव ने चारों तरफ़ ध्यान से देखा।
यह एरिया भी पहले वाले एरिया के मुक़ाबले में कुछ ज्यादा अलग नहीं था।
यहां पर भी इक्का-दुक्का घर ही थे बस पहले वाले एरिया के मुकाबले में यहां पर बड़े खेत खलिहान नहीं थे बल्कि ज्यादातर मैदान और प्लॉट पड़े हुए थे।
" यह देख मनी बेटा, तुझे इन लोगो को अपनी जैसी ट्रेनिंग देनी है और इसके लिए मेरे ख्याल से तो यह एरिया बिल्कुल सही है। बाकी तू देख लेना कैसे हिसाब करना है, जो चीज चाहिए होगी वह मंगा देंगे। लेकिन इनकी ट्रेनिंग तुझे आज से ही शुरु करनी होगी। क्योंकि हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है हमारा एक बहुत बड़ा काम है जो 14 नवंबर को होना है बस यह समझ ले कि दिवाली है हमारी " !!!!
भाई ने बताया आँखों में चमक थी जो आरव को किसी आने वाले बहुत बड़े खतरे का पता दे रही थी।
" दिवाली का क्या मतलब भाई, कैसी दिवाली " ???
उसने हैरान होकर पूछा।
" ठहर अभी, कुछ टाइम रुक तुझे सब पता लग जाएगा " !!!
भाई ने हंसते हुए कहा आरव को उसके इरादे ठीक नहीं लग रहे थे लेकिन उसने ज्यादा कुरेदना ठीक नहीं समझा इससे उन लोगों को शक भी हो सकता था।
" ठीक है भाई जैसा आप कहें " !!!
वह कहकर खामोश हो गया।
" चल अब घर वापस चलें , खाना खाने के बाद तू सब लड़कों को लेकर यहां आ जाना और उन सबको बता भी देना कि कब कैसे और क्या करना है " !!!
" जी भाई ,लेकिन उसके लिए मुझे एक बास्केटबॉल वाली नेट और कुछ और सामान भी चाहिए " !!!
आरव नें कहा।
" हां ठीक है, तू बबलू और पप्पू को बता देना वह दोनों जा कर सारा सामान ले आएंगे, बाजार यहां से दूर जा कर है " !!!
भाई ने कहा तो उसने हां में सर हिला दिया उसके बाद वह दोनों वापस घर जाने के लिए पलट गए।
घर वापस पहुंचे तो वहां पर उनकी और साथियों के साथ साथ दो लड़कियां भी मौजूद थीं।
" यह दोनों कौन हैं " ???
उसने बबलू से पूछा वह उस से अब तक काफी क्लोज हो गया था और बहुत सी बातें उसे बता भी दिया करता था।
" यह दोनों लड़कियां यह तो मनी भाई हमारे भाई ने इसलिए रखी हुई है ताकि अगर कभी कोई पुलिस या कोई रेड पड़े तो इन लोगों के मौजूद होने से उन लोगों को यह घर ही लगे। इसके अलावा भी हम सब लोगों का खाना भी यह दोनों ही बना देती हैं " !!!
बबलू ने बताया तो आरव कुछ हैरान हो गया।
" लेकिन बबलू मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि जब तुम सब लोग वहां दूसरे वाले अड्डे पर थे तो यहां पर यह इतने लोग क्यों मौजूद हैं। क्या कर रहे थे यह यहाँ पर " ???
आरव ने आखिर वह सवाल पूछ ही लिया जो बहुत देर से उसके दिल और दिमाग में घूम रहा था।
" क्योंकि मनी भाई ,यहां पर हमारा एक ऐसा खजाना मौजूद है जिसकी पहरेदारी के लिए इन लोगों का यहां पर मौजूद होना बहुत जरूरी है" !!!
बबलू ने बताया।
" कैसा खजाना " ??
आरव अभी भी कुछ नहीं समझा था।
" पता लग जाएगा भाई आपको भी, उस्ताद ने आपसे हम लोगों की ट्रेनिंग कराने के लिए कहा है ना। वह इसीलिए कहा है क्योंकि इस खजाने पर बहुत से लोगों की नजर है इसलिए उन लोगों से निपटने के लिए हम लोगों को भी तो तैयार रहना जरूरी है " !!!
बबलू अब तक भी गोलमोल बातें ही किए जा रहा था, जो आरव के अब तक भी सर के ऊपर से ही जा रही थी। उसे सिर्फ इतना ही अंदाजा हो सका कि 14 नवंबर को यह लोग कुछ बहुत बड़ा करने वाले हैं लेकिन क्या वह यह समझ नहीं पाया था।
" लेकिन बबलू, भाई नें तो तुम लोगों की ट्रेनिंग मुझे आज से ही शुरू करने के लिए कहा है और 14 नवंबर में तो अभी काफी दिन पड़े हैं तो मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि उनको इतनी जल्दी क्यों है " ???
आरव ने एक और पत्ता फेंका कि शायद इस बार कोई बात समझ में आ जाए।
" क्योंकि बड़े सर हम लोगों की ट्रेनिंग देखने के लिए आने वाले हैं और उनके आने का कोई टाइम फिक्स नहीं है वह कभी भी आ सकते है क्योंकि 14 नवंबर को हमारे लिए बहुत बड़ा दिन है इसलिए तैयारी भी बहुत अच्छे तरीके से होनी चाहिए। और इसीलिए भाई चाहते हैं कि उनके आने से पहले पहले हम लोग काफी कुछ सीख जाएं " !!!!
बबलू ने बताया तो आरव और ज्यादा उलझ गया। अब यह नया कैरेक्टर कौन है जो इनका भी सीनियर है और वह कहां से आ रहा है। उसके दिमाग में नए सवाल घूमने लगे थे जिनका जवाब सिर्फ़ बबलू और उसके उस्ताद भाई के पास था।
" बबलू तुम्हारे यह बड़े दिन का क्या मतलब है, अभी भाई मेरे साथ मुझे इधर का एरिया दिखाने के लिए लेकर गए थे तब भी उन्होंने 14 नवंबर का कोई जिक्र किया था। लेकिन मैं अब तक समझ नहीं पाया हूं कि 14 नवंबर को तुम लोग क्या करने वाले हो " !!!
इस बार आरव ने उलझ कर सीधे-सीधे अल्फाजों में उससे पूछा।
" देखो मनी भाई मैं तुम को बताता हूं लेकिन पक्का प्रॉमिस करो कि किसी को नहीं बताने का है क्योंकि यह बात सिर्फ उस्ताद और मेरे को ही मालूम है। पूरे गैंग को हमने सिर्फ यह बताया हुआ है कि 14 नवंबर को कोई बड़ा दिन है लेकिन क्या होने वाला है हम नें यह किसी को नहीं बताया यह हमारा एक सीक्रेट मिशन है " !!!
बबलू ने बहुत धीरे से उस के पास आकर उससे जिक्र किया तो आरव के कान खड़े हो गए।
" ठीक है मैं प्रॉमिस करता हूं कि मैं किसी को नहीं बताऊंगा। बताओ अब क्या बात है , कैसा प्लान है ??क्या करने वाले हो तुम लोग 14 नवंबर को " ???
उस ने भी धीमे से ही बबलू से पूछा।
" धमाका " !!!
बबलू ने मुस्कुराते हुए कहा।
" कैसा धमाका " ???
आरव चौंक गया।
" भाई अभी थोड़ी देर पहले तुम पूछ रहे थे ना कि यहां पर ऐसा कौन सा खजाना है जो इतने लोगों का यहां पर रहना बहुत जरूरी है " ???
" हाँ...हाँ " !!!
" वहां खजाना है 14 नवंबर को होने वाली हमारी दिवाली के पटाखे , जिन को हमने यहां पर रखा हुआ है और उनकी हिफाजत के लिए ही यहां पर यह कड़ी सुरक्षा तैनात की गई है " ???
" दिवाली , पटाखे !!! क्या बोल रहे हो तुम मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है बबलू। साफ-साफ बताओ क्या बात है " ???
इस बार आरव ने कुछ उलझ कर पूछा।
" तुम्हें ऐसे समझ नहीं आएगा भाई , आओ मैं तुम्हें पटाखे दिखाता हूं " !!!
कहते हुए बबलू खड़ा हो गया तो आरव भी उसके साथ साथ उठ खड़ा हुआ।
************
Comments
Post a Comment